1 of 1 parts

ताकि हंसता रहे आपका शिशु

By: Team Aapkisaheli | Posted: 06 Feb, 2012

ताकि हंसता रहे आपका शिशु
नवजात शिशु जब आंगन में किलकारी मारते घुटनों के बल चलते हैं तो घर के सभी सदस्यों का मन प्रसन्न हो जाता है। लेकिन छोटे शिशु की सही देखभाल करना बहुत जरूरी है। शारीरिक रूप से कमजोर और रोगप्रतिरोधक क्षमता कम होने से बच्चे विभिन्न रोगो के शिकार बन जाते हैं। पहले शिशु के समय मां को उसकी देखभाल के बारे में ज्यादा पता नहीं होता इसलिए वे शिशु की देखभाल और आहार में गलतियां कर देती हैं। बच्चे को गर्भावस्था से ही सही आहार और देखभाल की जरूरत होती है। कुछ बातों का ध्यान रखें तो गर्भावस्था व शिशु के जन्म के बाद होने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है।

1. गर्भावस्था में ही शिशु के दांत निकलने शुरू हो जातेहैं लेकिन उस समय दांत मसूढ़ों में छिपे रहते हैं। इसलिए गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कैल्शियम की अधिकता वाले खाद्यपदार्थ खाने चाहिए जैसे- पालक, चौलाई, चुकंदर, मेथी, प्याज, दूध आदि। कैल्शियम के अभाव में शिशु के साथ मां के स्वास्थ्य को भी हानि पहुंचती हैं। फलों में गर्भवती महिलाओं को अनार, जामुन, संतरा, अमरूद, केला, नाशपती, खजूर आदि फल खाने चाहिए। इनसें मिलने वाले कैल्शियम से शिशु के दांत और अस्थियां मजबूत होती हैं।
2. नवजात शिशु को स्तनपान से सर्वोत्तम आहार मिलता है। इसलिए 6 महिने तक शिशु को स्तनपान कराना चाहिए। इससे शिशु की रोधप्रतिरोधक क्षमता भी विकसित होती है। साथ उसके शरीर में पानी की मात्रा सही रहती है। स्तनपान कराने से महिलाऎं भी स्तन कैंसर से सुरक्षित रहतील है। 6 महिने के बाद शिशु को गाय का दूध देना चाहिए। साथ ही दाल, दाल-चावल से बनी खिच़डी, पतला दलिया, फलों का रस आदि का सेवन भी कराना चाहिए।
3. दांत निकलते समय ज्यादातर बच्चे अतिसार से पिडित हो जाते हैं। ऎसे में उनका विशेष ध्यान रखना चाहिए। बच्चों को उबला हुआ पानी छानकर पिलाना चाहिए। भोजन में वसा की अधिक मात्रा से भी अतिसार हो सकता है।
4. एक वर्ष की आयु के बच्चों को करीब 750 मिलीलीटर दूध पिलाना चाहिए। साथ ही शरीर के विकास के लिए आधा कटोरी दाल,एक चपाती या चावल की आवश्यकता होती है। एक वर्ष की आयु के शिशु का वजन जन्म के समय से तीन गुना अधिक होना चाहिए। इसलिए उसको आहार भी उसी मात्रा देना चाहिए। एक साल के बच्चे की लंबाई 20 से 25 सेमी से अधिक और सिर का आकार 10 सेमी से अधिक होना चाहिए।
5. 2 से 5 वर्ष तक की उम्र के बच्चों को बाहर का भोजन नहीं खिलाना चाहिए। उन्हें घर में बना हुआ भोजन ही खिलाना चाहिए। इस आयु में बाहर का खाने से और फास्टफूड खाने से बच्चों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पडता है। इस आयु में बच्चों के शारीरिक विकास के लिए उन्हें संतुलित आहार खिलाना चाहिए। संतुलित भोजन में वसा, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटिन और खनिज तत्व से भरपूर खाद्यपदार्थ होने चाहिए। बच्चों को हरी सब्जियां, दालें व चावल प्रतिदिन खिलाने चाहिए। साथ ही फलों के रस का भी सेवन कराना चाहिए।
6. छोटे बच्चों में साधारण पेट दर्द आफरे के कारण भी हो जाता है इसलिए थोडी सी हींग पानी के साथ घोलकर शिशु की नाभी के आस-पास लगानी चाहिए। इससे दूषित वायु निष्काषित होती है और पेट दर्द ठीक हो जाता है। शिशुओं को बोतल से दूध पिलाते समय स्वच्छता का पूरा ध्यान रखना चाहिए। बच्चे को बाजरे की खिचडी, मीठा ढोकला, ज्वार का उपमा, दूध की खीर, पनीर और दही भी खिला सकते हैं। साथ ही बच्चों के शरीर पर प्रतिदिन मालिश भी करनी चाहिए। मालिश करने से बच्चो स्वस्थ रहते हैं और उनमें शक्ति और स्फूर्ति विकसित होती है।

Mixed Bag

News

рд░рд┐рдВрдХреВ рд╕рд┐рдВрд╣ рдХреЗ рдкрд┐рддрд╛ рдиреЗ рдХрд╣рд╛,рдмрд╣реБрдд рдЙрдореНрдореАрджреЗрдВ рдереА, рдЙрд╕рдХрд╛ рджрд┐рд▓ рдЯреВрдЯ рдЧрдпрд╛ рд╣реИ
рд░рд┐рдВрдХреВ рд╕рд┐рдВрд╣ рдХреЗ рдкрд┐рддрд╛ рдиреЗ рдХрд╣рд╛,рдмрд╣реБрдд рдЙрдореНрдореАрджреЗрдВ рдереА, рдЙрд╕рдХрд╛ рджрд┐рд▓ рдЯреВрдЯ рдЧрдпрд╛ рд╣реИ

Ifairer