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प्यार व अपनेपन से ससुराल बन सकता है मायका

By: Team Aapkisaheli | Posted: 09 July, 2012

प्यार व अपनेपन से ससुराल बन सकता है मायका
अगर युवती चाहे तो ससुराल में वैसा ही महसूस कर सकती है, जैसा वे मायके में करती थी। सोचा जाए तो, मायके और ससुराल में सिर्फ इतना ही अंतर होता है कि ससुराल में उसके साथ थोडी ज्यादा जिम्मेदारियाँ और उम्मीदें जुड जाती हैं। लेकिन अगर उन्हें सहजता और प्यार से लिया जाए तो यह फर्क भी मिट जाता है।
जरूरी है सबका मन जीतना
यह सिर्फ एक उदाहरण नही है, बल्कि सच है कि परिवार की नवविवाहित को प्यार और आजादी मिलती है तो उन्हें भी ससुराल के हर व्यक्ति को मानसम्मान देना होता है। वे अगर यह सोच लें कि उनका मतलब तो सिर्फ पति देव से ही है तो कभी भी ससुराल के अन्य सदस्यों को खुले मन से अपना नहीं पाती है। जहां एक ओर परिवार को बांधे रखने के लिए एक बहू कोअगर अपनी जिम्मेदारियों को खूब अच्छे निभाना पडता है, तो दूसरी ओर अपने मधुर व्यवहार से सब का दिल जीत कर अपने लिए भी एक खास जगह ससुराल में बनानी पडती है। अगर एक बार वह अपनी जगइ बना लेती है और सब का विश्वास जीत लेतीहै तो फिर सारी जिन्दगी वहीं हंसते-हंसते बिता सकती है।
ससुराल में घुलमिल कर रहना
शादी का अर्थ केवल पति का साथ व प्यार पाना या केवल उसी एक रिश्ते को सम्भालना नहीं है, बल्कि विवाह होते ही पति से जुडे हर रिश्ते के साथ लडकी भी जुड जाती है। अगर वह खुशी से इस बात को स्वीकार कर सबसे के साथ सामंजस्य बैठाने की कोशिश करती है तो उस की जिन्दगी के साथ-साथ बाकी लोगों की जिन्दगी भी खुशनुमा हो जाती है और ससुराल के माहौल में कभी कडवाहट नहीं घुलती है।
सास को दें आदर-सम्मान
जिस तरह बहू के मन में सास की एक छवि बनी होती है, उसी तरह बहू की भी एक छवि हर सास के मन में बनी होती है। ऎसी बहू की छवि जो उसका आदर करेगी। उनकी बात मानेगी। घर-परिवार को जोड कर रखेगी व उसकी बैटी बन कर उसकी जिम्मेदारियों को बांटगी। हो सकता है कि आप अपने सासससुर की ड्रीम बहू ना हो। आप उन्हें बहुत अधिक महत्तकांक्षी लगें। इस परिस्थिति में घर में शांति बनाए रखने में ही समझदारी है समय के साथ उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए आप को ही चुप रहना होगा। हो सकता है आपको सास के ताने भी सुनने पडें। पर जब आप उन के नजरिए से इस बात को समझेंगी तो उनकी खीज आपको गलत नहीं लगेगी।
परेशानी होने पर सीधे बात करें
अकसर ससुराल वालों व बहू के विवाद में पति फंस जाता है। वह एक का पक्ष लेता है तो दूसरा पक्ष उस से नाराज हो जाता है। पति को क ठघरे में खडा कर के अपने सम्बन्धों को जोखिम में डालने के बजाय अगर कोई बात आपको परेशान कर रही है तो सम्बन्धित व्यक्ति से सीधा संवाद कायम कर जितनी जल्दी हो सके, उसे सुलझा लें। अपनी मां से बात कर लो कि वह मेरे मामले में टांग ना अडाए या अपने घर वालों से खुद ही निबटो, मैं उनके पचडों में नहीं पडना चाहती, जैसे शब्दों को पति ना कहें। ऎसा कर के आप पति के मन में अपने व परिवार वालों के प्रति गांठें ही डालेंगी। इस तरह ससुराल की दीवारें दरकने लगती हैं और बहू घर तोडने का कारण बन जाती है। थोडी बहुत तकरार और मतभेद होना स्वाभाविक है, आखिरकार परिवारों में ऎसा तो होता ही रहता है।

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