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फाइनेंशियल प्लानिंग करें, सदा खुश रहें

By: Team Aapkisaheli | Posted: 16 May, 2012

फाइनेंशियल प्लानिंग करें, सदा खुश रहें
  • अध्ययनों के अनसार 65 प्रतिशत नवविवाहित जोडों के बीच शादी के एक साल के अंदर ही मनी मैटर्स को लेकर विवाद शुरू हो जाते हैं। स्वाभाविक भी हैं। दो विभिन्न लाइफस्टाइल में पले बढे लोगों की सोच एक जैसी नहीं होती। सफल विवाह में पैसों का सही मैनेजमेंट अहम भूमिका निभाता है इसलिए फाइनेंशियल प्लानिंग की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
    शादी से पहले
    फाइनेंशियल प्लानिंग दो तरह से होती है, एक माता-पिता द्वारा, दूसरी खुद लडके-लडकियों द्वारा।
    वर-वधू की फाइनेंशियल प्लानिंग
    शादी से पहले
  • аशादी से पहले की मुलाकात को पॉजीटिव रूप में लें और एक-दूसरे को ज्यादा समझने की कोशिश करें।
    • аगिफ्ट्स का आदान-प्रदान अपनी क्षमता के अनुसार ही करें। एक-दूसरे को प्रभावित करने के लिए बहुत महंगे गिफ्ट न दें। गिफ्ट के लिए दोस्तों से उधार न लें।
    • बातचीत के दौरान अपने-अपने परिवार की आर्थिक स्थिति व अपेक्षाओं पर भी बातचीत करें। यदि आर्थिक समस्याएं हों तो उनके हल के लिए एक-दूसरे की मदद करने की कोशिश करें।
    • а भविष्य के लिए प्लान करते समय आर्थिक मुद्दों पर भी गंभीरता से बात करें और किसी तरह का कोई संकोच न करें।
    • аशादी से पहले अपनी आर्थिक स्थिति का खुलासा करना जरूरी है। पर्सनल लोन या कर्ज, उत्तरदायित्वों के बारे में जानकारी देना जरूरी है। इस विषय पर एक दूसरे की सलाह लें और अपने होने वाले पार्टनर को सही तरीके से समझने की कोशिश करें।
    • аकिसी भी रिश्ते की नींव में सच्चाई, ईमानदारी और भरोसा बहुत ही महत्वपूर्ण है, खासकर आर्थिक मामले में। विवाह की सफलता में इसकी भूमिका बहुत अहम है।
    शादी के बाद
    ज्वाइंट अकाउंट
    अक्सर लोग सोचते हैं कि अब हम एक हो गए हैं तो ज्वाइंट अकाउंट खोलने का क्या मतलब हैक् हम एक हैं तो हमारा पैसा भी एक ही है। सोच ठीक भी है लेकिन एक सफल वैवाहिक जीवन में इससे समस्याएं भी आ सकती हैं। एक-दूसरे के खर्च करने के तरीके को लेकर गलतफहमियां और झगडे हो सकते हैं।
    • अपनी-अपनी आमदनी अपने अकाउंट में डालें।
    • аएक अलग ज्वाइंट अकाउंट खोले। घर-गृहस्थी के सारे खर्च, बिल पेमेंट आदि इस अकाउंट से करें। इस अकाउंट में हर महीने एक निश्चित राशि जमा करें।
    • аसाथ ही अपने सिंगल अकाउंट की जानकारी भी पार्टनर को दें और उसे ही नॉमिनी बनाएं।
    • аयदि कोई पारिवारिक खर्च आ जाए तो एक-दूसरे की सलाह से खर्च करें।
    खर्च व लोन
    • аलोन की स्थिति है तो बात को छिपाएं नहीं बल्कि आपसी सलाह व सोच-समझकर एक बजट बनाएं और नियमित रूप से उसे यथासंभव जल्दी चुकाने की कोशिश करें।
    • аदोनों पार्टनर्स को इसे अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।
    • इस दौरान अपनी फिजूलखर्ची या बेवजह मनोरंजन व शापिंग की चाहत को नियंत्रित करें। क कोई अतिरिक्त इन्वेस्टमेंट भी न करें।
    बजट
    • साथ बैठकर मंथली बजट की प्लानिंग करें तथा एक-दूसरे द्वारा किए गए खर्च पर भी नजर डालें।
    • аफिजूलखर्ची से बचें ताकि बजट बिगड न जाए। इसके लिए बेहतर होगा कि के्रडिट कार्ड की बजाए कैश खर्च करें।
    • аयदि आपके द्वारा बजट से बाहर खर्च हो जाए तो झगडा करने या अपनी बात पर तर्क देने की बजाए अपनी गलती को स्वीकारें और भविष्य में ध्यान रखें।
    इमरजेंसी
    • аअपने बैंक बैलेंस में पैसों का इतना इंतजाम जरूर रखें कि 2-4 महीने आप बिना आमदनी के भी गृहस्थी चला सकें।
    • а अपना मासिक खर्च अलग निकालकर नियमित रूप से हर महीने सेविंग्स जरूर करें।
    • यदि कहीं से भी अतिरिक्त आय या आपकी मासिक आमदनी बढती है तो उसकी 50-75 प्रतिशत सेविंग करें, ताकि इमजेंसी की स्थिति में तकलीफ न होने पाए।
    इंश्योरेंस लाइफ
    इंश्योरेंस के साथ-साथ मेडिकल इंश्योरंस भी आज की बडी जरूरत है। मेडिकल ट्रीटमेंट बहुत ज्यादा महंगा हो गया है। मेडिकल पॉलिसी ऎसी लें जिसमें मेटर्निटी खर्च भी कवर हो। इंश्योरेंस लेने से पहले अनेक प्रकार की पॉलिसीज व हेल्थ कवरेज आदि के बारे में एक्सपट्स की राय जरूर लें। वे आपको टैक्स लाभ के बारे में जानकारी देंगे।
    इन्वेस्टमेंट
    निवेश की शुरूआत जल्दी करें। कई कपल्स सोचते हैं कि अभी दो-चार साल एंजाय कर लें, फिर सेविंग्स या इन्वेस्ट करना शुरू करेंगे। यह सोच ठीक नही हैं। आगे जब परिवार टूट जाता है तो यह बहुत मुश्किल हो जाता है। इसके लिए एक्सपर्ट की सलाह लें ताकि टैक्स लाभ भी मिल सकें। आप छोटे इन्वेस्टमेंट से भी शुरूआत कर सकते हैं। फिलहाल फाइनेंशियल प्लानिंग जितनी जरूरी है उतनी ही जरूरी है शादीशुदा जिंदगी की खुशियां, मनोरंजन व सैर-सपाटा। जीवन के हर क्षेत्र में, हर खर्च में संतुलन बनाकर चलें। ज्वाइंट प्लानिंग करें। लेकिन हर क्षेत्र की तरह यहां भी स्पेस, स्वतंत्रता व प्राइवेसी की गुंजाइश रखें।
    माता-पिता की प्लानिंग
  • аसबसे पहले तो अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार सोच-समझकर एक बजट बना लें। ऎसा न करें कि एक बच्चे की शादी मे दुनिया को बढ-चढकर दिखाएं या अपनी झूठी शान के चक्कर में बेहिसाब खर्च कर डालें जिसका असर दूसरे बच्चे की शादी, पढाई या करियर पर पडे।
  • аयदि शादी के लिए लोन या कर्ज लेना पडे तो उतना ही लें जितना आसान किश्तों में चुकाया जा सके। वरना बाद में अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड सकता है। क कभी भी घर या कीमती चीजे रखकर किसी व्यक्ति से कर्ज न लें। लेना ही पडे तो बैंक से लोन लें।
  • аदोनों पक्षों मे से यदि एक पक्ष की आर्थिक स्थिति अधिक मजबूत हो, तो भी बराबरी करने का प्रयास न करें। शादी तय करते समय ही अपनी आर्थिक स्थिति और सीमा का जिक्र कर दें। यदि लेन-देन ज्यादा लगे तो बेहतर होगा कि रिश्ता ही न करें।
  • аप्राय: देखा गया है कि जो भी बजट प्लान किया गया है। हमेशा उससे 10-20 प्रतिशत ज्यादा खर्च हो जाता है। इस बात को ध्यान में रखे।
  • а खाना-पीना, ज्वेलरी, कपडे, उपहार आदि खरीदते समय हर चीज के लिए एक सीमा निर्धारित करें। बेटे-बेटी को अपनी आर्थिक सीमा से अवगत कराएं ताकि वे कोई ऎसी इच्छा या डिमांड न करें जो सीमा से बाहर हो और उनकी इच्छा पूरी न कर पाने का मलाल मन में रह जाए।
  • शादी मे उपहार या भेंट स्वरूप दी जानेवाली चीजों के बारे में परिवार से सलाह ली जा सकती है। इस तरह बेहतर प्लानिंग के साथ गृहस्थी के लिए जरूरत की हर चीज का बेहतर इंतजाम किया जा सकता है।
  • аजगह दोनों परिवारों की सहूलियत के अनुसार चुने और डेकोरेशन आदि के लिए बजट प्लानिंग का काम किसी जिम्मेदार व्यक्ति के हाथों में दें क्योंकि आजकल इस पर होने वाला खर्च काफी ज्यादा होता है।

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