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ग्रहों के आगे सारे सौन्दर्य प्रसाधन फेल

By: Team Aapkisaheli | Posted: 01 Mar, 2013

ग्रहों के आगे सारे सौन्दर्य प्रसाधन फेल
ग्रहों की इच्छा के बिना सौन्दर्य प्रसाधन कम्पनियां चल नहीं सकतीं। सौन्दर्य प्रसाधन कम्पनियां लाखों करो़ड रूपए का व्यवसाय करती हैं परन्तु यदि ग्रहों की इच्छा को समझ लिया जाए तो मनुष्य प्राकृतिक साधनों से अपना काम चला सकता है और ब़डा खर्चा बच सकता है। कृत्रिम रसायनों से शरीर, त्वचा तो खराब होती ही है, मनुष्य मानसिक दृष्टि से भी अपने आप को असुरक्षित समझता है। लेकिन, सुन्दर दिखने की चाहत मनुष्य से क्या नहीं करा देती।
अब çस्त्रयां ही नहीं पुरूष भी सुन्दर दिखने के लिए क्या नहीं करतेक् मान लीजिए ,किसी फिल्म स्टार को दिन में छह बार शेव करनी प़डे और शरीर पर व सीने पर हर तीन दिन में रेजर चलाना प़डे तो कितनी ब़डी पी़डा का काम है। ग्रहों के कार्य को अगर हम समझ लें तो हमें ब़डी भारी मदद मिल सकती है। आप पाएंगे कि जिन çस्त्रयों में नैसर्गिक सौन्दर्य है वे कृत्रिम सौन्दर्य प्रसाधन या उपकरणों की परवाह नहीं करतीं परन्तु जो बहुत सुन्दर नहीं हैं ,उन्हें कुछ न कुछ करते रहना प़डता है। एक विषय ऎसा है जिसमें स्त्री और पुरूषों पर एक ही भांति का मनोविज्ञान काम करता है और वह है उम्र को छुपाना। इस लिहाज से çस्त्रयां बदनाम हैं परन्तु पुरूष भी उम्र छुपाने के लिए कुछ न कुछ करते ही रहते हैं।

आइए हम कुछ तथ्यों को जानें कि ग्रह कैसे इन सब बातों में अपनी भूमिका निभाते हैं। मॉइश्चराइजर: दुनिया की ब़डी कम्पनियां मॉइश्चराइजर उत्पादन के व्यवसाय में धनी होती चली गई। स्त्री-पुरूष प्रकृति के द्वारा दिए गए मॉइश्चर यानी पानी या नमी को तो काम में नहीं लेते बल्कि कृत्रिम रूप से बनाए मॉइश्चराइजरों पर भारी खर्चा करते हैं। त्वचा में नमी अत्यन्त आवश्यक है। साथ ही त्वचा में इनफेक्शन न हो, यह भी आवश्यक है। यदि प्राकृतिक पानी का प्रयोग करें तो वह त्वचा में उतनी ही गहराई तक अंदर जाएगा जितनी गहराई तक कृत्रिम मॉइश्चराइजर जा सकते हैं, शरीर के ऊपर रोम छिद्र यही काम करते हैं। शरीर के बाहर और शरीर के अंदर के जल तत्व या रसायनों वातावरण से संबंध बनाए रखते हैं। अगर आप रोम कूपों को या रोम छिद्रों को भली-भांति साफ करते रहें तो पसीना बाहर निकलता रहेगा, शरीर के विष तत्वों की निकासी और तापमान नियंत्रण बेहतर ढंग से हो सकता है। पसीना निकलना शरीर के लिए अत्यन्त आवश्यक है।

अब मान लीजिए, आप प्रकृति के दिए वरदान को भुलाकर कृत्रिम उपाय अपनाते रहें तो कितना गलत होगाक् मैं ऎसे बहुत सारे लोगों को जानती हूं जो मॉर्निग वॉक तो करते हैं परन्तु पसीना आना शुरू होने से पहले ही मैदान छो़ड देते हैं। तेज चाल से भ्रमण न केवल अतिरिक्त कैलोरी को जलाता है बल्कि शरीर से विष तत्वों को निकालने में और तापमान नियंत्रण मे मदद करता है।

मॉइश्चराइजर के बारे मे कहा जाता है कि वह त्वचा के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है और त्वचा को नम बनाए रखता है। वैज्ञानिक तथ्य यह है कि पसीना शरीर के विष को निकालता है। जब पानी से हम त्वचा को साफ करते हैं तो रोम छिद्रों की सफाई हो जाती है, शरीर से पानी बाहर निकलता है और उस पानी की पूर्ति हमें प्यास लगने पर पानी पीने से करनी होती है। पानी की ब़डी पूर्ति तो पीकर ही की जा सकती है। त्वचा को नम करके शरीर में नमी की कमी की पूर्ति नहीं की जा सकती परन्तु त्वचा में नमी अवश्य लाई जा सकती है।

ज्योतिष योग: चन्द्रमा मॉइश्चर देने वाले सबसे प्रमुख ग्रह है। यदि चन्द्रमा नीच राशि में हो तो शरीर से पानी का निष्कासन तो तेज गति से होगा परन्तु इसकी प्रतिपूर्ति अच्छी तरह नहीं हो सकेगी। जिनके चन्द्रमा उच्चा के हैं उन्हें दूसरी तरह की समस्या होगी यानी पसीना ज्यादा आएगा। अगर इनके चन्द्रमा का संबंध मंगल से हो जाए तो उसके पसीने मे दुर्गध भी आएगी। एकमात्र उपाय यह है कि पसीने को बार-बार धो लिया जाए और चेहरे को बार-बार पानी से धोकर साफ कर लिया जाए। चाहे उच्चा के चन्द्रमा हों और चाहे नीच के, उन्हें हमेशा चन्द्रमा का पूजा-पाठ करना ही प़डेगा। जिनके चन्द्रमा नीच राशि के हों, उन्हें चन्द्र दर्शन भी बार-बार करना चाहिए और चन्द्रमा का रत्न पहनने से भी मदद मिल सकती है, यदि जन्मपत्रिका इसकी आज्ञा देती हो। मंगल और राहु बैक्टीरिया से दुर्गध उत्पन्न करने में मदद करते हैं। राहु दूषित हों तो पसीने में दुर्गध तेजी से पैदा होती है और कई बार तो स़डांध उत्पन्न कर देती है। बैक्टीरिया या वायरस उत्पन्न करने में मंगल भी कम नहीं हैं। आमजन को यह बात समझ मे नहीं आएगी कि ग्रहों की पूजा से पसीने की दुर्गध का क्या संबंध हैक् परन्तु ग्रहों की शांति के लिए मंत्र-मणि-औषधि का प्रयोग तो बताया ही गया है।

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