1 of 1 parts

जाने भी दो यार...

By: Team Aapkisaheli | Posted: 10 Jan, 2013

जाने भी दो यार...
बदले की भावना एकदम आम बात है, लेकिन बदला लेना बेहद नकारात्मक। यह भाव इस हद तक नकारात्मक है कि डिप्रेशन तक हो सकता है। विशषज्ञ जिन्दगी की ऎसी बातों को भूल जाने को कहते हैं जो बदला लेने के लिए उकसाती हैं। क्योंकि इससे सबसे ज्यादा नुकसान अपना ही होता है। बचपन में नैतिक शिक्षा के पाठाकों में यह बात हम सभी का खूब सिखाई गई है, लेकिन जहां तक बात प्रैक्टिकल लाइफ की है, शायद ही कोई इस भाव से बच सके। एक शोध की माने तो इंसान को दूसरों के बुरे बर्ताव के लिए उन्हें सजा देकर खुशी मिलती है। इस खुशी की संभावना के बारे में सोचते ही हम बदला लेने के बार में सोचना शुरू कर देते हैं।

रिसर्च के अनुसार यदि एक इंसान के साथ धोखा होता है। तो जाहिर है उसे बुरा लगता है। लेकिन अगर उसके साथ धोखा करने वाले को सजा न मिले तो उसे और भी ज्यादा बुरा लगता है।

मसलन अगर आपके ऑफिस में कोई आपके खिलाफ साजिश कर रहा है तो आप उसकी हैंडलिंग दो तरह से कर सकते हैं।

आप उस व्यक्ति के खिलाफ खुद साजिश करने में अपना समय बर्बाद कर सकते हैं या फिर कॉन्फिडेंस और सतर्कता के साथ आगे बढते हुए अपने काम को और बेहतर बना सकते हैं।

ऎसे मामलों में सब कुछ छोड कर आगे बढना अच्छा है। ऎसा नहीं है कि धोखा देने वाले ने अकेले सब कर लिया। इसमें कहीं ना कहीं धोखा खाने वाले की भी गलती होती है। किसी ना किसी वाकये में उसे जरूर पता चला होगा कि सामने वाला उसके लिए वफादार नहीं है। जानने के बाद भी यदि उसने नजरअंदाज किया तो इसमें उसकी भी उतनी ही गलती है जितनी दूसरे की। इसके अलावा जिन्दगी में हर चीज जिसे आप चाहें, आपको मिल नहीं सकती । यहां दूसरों की भावनाओं का सम्मान करने की भी जरूरत है। उसे यह समझने की जरूरत है कि शायद दूसरा उसे उस हद तक प्यार नहीं करता कि जिन्दगी बढाने के बारे में सोचे। इसलिए आगे बढना उचित हे। बदले की भावना के साथ व्यक्ति में नकारात्मकता आने लगती है। अगर यह हद से ज्यादा बढ जाए तो वह डिप्रेशन का शिकार भी हो सकता है। आपका मन किसी काम में नहीं लगता और आप नकारात्मक ऊर्जा का संचार रकते हैं।

कैसे बचें इस भाव से
इस भाव को पहचानें। कई बार बदले की भावना गुस्से से भी प्रेरित होती है, जो कि दिमाग ठंडा होने के साथ ही खत्म भी हो जाती है। इसलिए अगर आपको कभी ऎसा महसूस हो तो खुद को ब्रेक दें।

थोडा खाली समय निकालकर समझें कि प्रॉबलम कहां है। इस मामले में वास्तविक स्थिति समझना बेहद जरूरी है। कई बार हमें जो चीजें खुद के लिए बुरी लगती हैं, वे दरअसल कुछ और नहीं, बस हमारा वहम होती हैं। सोच कर देखें कि कहीं यह स्थिति आपका वहम ही तो नहीं। ठंडे दिमाग से सोचें कि असलियत क्या है।

देखें कि पूरे वाकये में आपकी गलती कहां रही। पूरे वाकये में अपने रोल को देखकर आगे की रणनीति के बारे में सोचें।

किसी एक घटना को आधार बना कर अपने जीवन को कोसने से बचें।

Mixed Bag

Ifairer