1 of 1 parts

पापा की लाडली

By: Team Aapkisaheli | Posted: 17 Mar, 2012

पापा की लाडली
आज की बेटी पिता के लिए कोई बोझ या जिम्मेदारी बनकर नहीं रह गई है, बेटियों के पैदा होने पर अक्सर मुंह बनाने वाले माता-पिता के लिए बेटियां सीख का कार्य कर रही हैं। बेटियां राष्ट्रीय ही नहीं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्य कर रही हैं और उनका नाम रोशन कर रही हैं। आज का पढा-लिखा आधुनिक समाज बेटियों की अहमियत पहचानने लगा है। आज बदलते समय में पिता का झुकाव, बेटों से ज्यादा बेटियों की और बढ रहा है। उन्हें बेटी का महत्व समझ में आने लगा है। वाकई में बेटियां कितनी प्यारी होती हैं, उनकी प्यारी सी खिलखिलाहट, चुलबुलाहट और मीठी सी आहट कितनी सारी समृद्धियों से भर देती है। बेटियां भी आज बेटों का फर्ज बखूबी निभा रही हैं, यही नहीं सफलता का कोई मुकाम ऎसा नहीं है, जहां उन्होंने अपनी सफलता का परचम न लहराया हो। यही वजह है,कि आधुनिक समय में पिता का झुकाव घर के चिराग से ज्यादा घर की रोशनी पर होने लगा है। आज बेटियों को लेकर लागों की सोच व हालात में बहुत बदलाव आए हैं। बेटियां भी जिन्हें कभी शिकायत रहती थी कि पापा मेेरे और भाई के बीच में भेदभाव करते हैं, वही आज गर्व से सिर उठाकर कर रही हैं, मैं हंू पापा की आंखों का तारा। यानि की आज पिता-पुत्री का रिश्ता गहरी दोस्ती में बदलता जा रहा है। जहां इमोशन और संस्कार दोनों का समन्वय नजर आता है। घटती दूरियों के बीच पिता को बेटी की कीमत समझ में आने लगी है। बेटियों के प्रति पिता के बढते लगाव का कारण वर्तमान में बेटों से ज्यादा बेटियों द्वारा सफलता का मुकाम हासिल करना है ऎसा नहीं है, कि बेटे तरक्की नहीं कर रहे या वह किसी लायक नहीं, लेकिन बेटों की जीवन शैली, उनकी प्राथमिकताएं एवं जरूरत आदि बदल गई हैं। जहां शादी के बाद बेटे मां-बाप क ो छोडकर अलग गृहस्थी बसाना पसंद करते हैं, वहीं बेटियां शादी के बाद भी मां-बाप की फिक्र करती हैं, शादी के बाद भी भावनात्मक रूप से वो मां-बाप से अलग नहीं हो पाती, आज परिवार वालों को भी नजर आने लगा है, कि भविष्य में बेटों से कुछ उम्मीद का सहारा नजर आ रही हैं, बल्कि पिता एवं घर परिवार के रूतबे को भी बढा रही हैं। ऎसे में आज के पैरेंटस खासकर पिता को चाहएि कि अपनी बेटी की परवरिश में कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखें- प्यार का अहसास - पहले अकसर पिता बेटी की परवरिश की सारी जिम्मेदारी उसकी मां पर छोड देते थे, लेकिन अब समय बहुत बदल चुका है, ऎसे में आज के युवक पापा बनते हैं और घर में बेटी आती है तो उसके पालन-पोषण में पत्नी को पूरा सहयोग दें। जब वो थोडी बडी हो तो उसे लगे कि उसकी परवरिश मे भी कोई कमी नहीं है। कई घरों में आज भी बेटों और बेटियों के बीच भेदभाव होता है जो सही नहीं है। आप भूलकर भी ऎसा ना करें, क्योंकि जब बेटियों को लगता है, कि उनके पिता उनके साथ भेदभाव करते हैं, तो उनके मन में असुरक्षा की भावना घर करने लगती है, इसलिए बेटी के मन में असुरक्षा की भावना न पनपे इसके लिए बेटियों को खूब प्यार व लगातार दुलार दें। प्रोत्साहन- बच्चाों की सफलता के लिए यह बहुत जरूरी है, कि समय-समय पर पर उन्हें प्रोत्साहित करते हैं, तो उसके उत्साह व आत्मविश्वाश में दुगुनी बढोत्तरी हो जाती है। अगर आपकी बच्चाी के अन्दर कोई कला छिपी है, तो पढाई के साथ-साथ उसे उसकी उस कला को उभारने के लिए पूरी तरह से प्रोत्साहित करें। बने रोल मॉडल- बेटियों का मां से ज्यादा पिता के प्रति लगाव होता है इसका शायद यही है, कि मां तो हमेशा उनके साथ रहती है, पिता वक्त निकालकर ही उनसे मिल पाते हैं। लेकिन आज हसबैंड और वाइफ दोनों ही वर्किग हैं, तो माता-पिता दोनों ही बच्चाों कोबराबर समय दे पाते है, ऎसे में पैरेंटिंग उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं इसलिए बेटे ही नहीं बेटियों के साथ भी पिता मित्रवत हो रहे हैं लेकिन दोस्त से ज्यादा अगर पिता बेटी के लिए अच्छा है, क्योंकि दोस्तों से राज तो शेयर किए जा सकते हैं लेकिन सीख नहीं ली जा सकती।माना कि पैरेंटस आज बच्चाों के और अपने बीच के जैनरेशन गैप को भी मिटाने में लगे हैं, ऎसे में पैरेंटस की बच्चाों खासकर पिता की पुत्री के प्रति जिम्मेदारी अधिक बढ गई, आज के खुले माहैल में आपकी बेटी भटक न जाए ऎसे में माता के साथ-साथ पिता को भी जरूरत है बेटी को सही मार्गदर्शन देने की, और स्वयं को उसके सामने रोल मॉडल की तरह पेश करने की। यूनिक- आज की बेटियां किसी भी मामले में बेटों से कम नहीं हैं, इसलिए उसकी बेटे के साथ तुलना बिलकुल भी नहीं की जानी चाहिए। मां से ज्यादा घर का मुखिया होने के कारण पिता का यह कत्त№व्य बनता है, कि बेटियों के सही विकास के लिए उन पर किसी तरह का दबाव न डालकर उन्हें स्वाभाविक रूप से बढने देना चाहिए। बेटा और बेटी में किसी तरह का भेदभाव न हो इसके लिए कुछ नीतिगत परिवर्तन बहुत जरूरी है। इच्छाएं - बचपन से सभी बच्चाों का बडा होकर कुछ न कुछ बनने का ख्वाब होता है, और उनके ख्वाबों को हकीकत के पंख तभी मिल सकते हैं, जब उनके पैरेंटस उन्हें अपना पूरा-पूरा सहयोग दें। आज भी हमारे समाज में बेटों की हाई एजुकेशन के लिए अच्छा खासा पैसा लगा दिया जाता है, मगर बेटियों के बारे में आज भी कई लोगों की सोच पुरानी ही है। बदलते जमाने के साथ आज के पैरेंटस के लिए जरूरी है, कि वो अपने सोच के दायरे को बढायें और बेटियों को भी अपना कैरियर चुनने व उसमें सफलता पाने के लिए अपना पूरा सहयोग दें। क्योंकि बेटियां, बेटों से ज्यादा मां-बाप की अपेक्षाओं पर खरी उतरती हैं। कैसे बने आंखों का तारा पापा की आज्ञा का पालन करें, किसी भी बात पर पापा से बहस न करें, लेकिन अपनी बात आराम से पापा के सामने जरूर रखें, अगर पापा बात नहीं समझ पा रहे हैं तो प्यार से बात करें बदजुबानी न करें,। पापा की जरूरतों को समझें, उनका ख्याल रखें, पापा की अनकही बातों को भी समझने का प्रयास करें। अपने अन्दर साहस व आत्मविश्वास जगाएं, हर काम के लिए पापा पर ही निर्भर न रहें, उन्हें अहसास कराएं आपने अपने आत्मविश्वास के दम पर मुश्किल कार्य को संभव कर दिखाया। पापा की जिम्मेदारियों एवं तनाव को समझें। हो सके तो उनके कामों में भी उनकी हैल्प करने की कोशिश करें। ऎसा कोई भी काम न करें जिससे उनको दु:ख हो। पापा को उनके जन्मदिन, शादी की सालगिराह या फादर्स डे पर उनकी पसंद का प्यारा सा गिफ्ट दें। यही नहीं और भी अवसरों पर उनकी पसंद-न-पसंद का पूरा-पूरा ख्याल रखें।

Mixed Bag

News

рд░рд┐рдВрдХреВ рд╕рд┐рдВрд╣ рдХреЗ рдкрд┐рддрд╛ рдиреЗ рдХрд╣рд╛,рдмрд╣реБрдд рдЙрдореНрдореАрджреЗрдВ рдереА, рдЙрд╕рдХрд╛ рджрд┐рд▓ рдЯреВрдЯ рдЧрдпрд╛ рд╣реИ
рд░рд┐рдВрдХреВ рд╕рд┐рдВрд╣ рдХреЗ рдкрд┐рддрд╛ рдиреЗ рдХрд╣рд╛,рдмрд╣реБрдд рдЙрдореНрдореАрджреЗрдВ рдереА, рдЙрд╕рдХрд╛ рджрд┐рд▓ рдЯреВрдЯ рдЧрдпрд╛ рд╣реИ

Ifairer