बच्चों के दें इमोशनल सिक्योरिटी
By: Team Aapkisaheli | Posted: 16 July, 2012
बच्चो का सबसे बडा भावनात्मक सहारा माता-पिता होते हैं। वह समझता है कि कोई मुसीबत आएगी तो वे उसे बचा लेंगे, अगर उसकी हिम्मत पेरैंट्स ही तोडेंगे तो उसका हाल बुरा होना तय है। बच्चो की दुनिया भले ही काल्पनिक होती हो पर आप की तो नहीं होती। उम्र के साथ साथ बच्चा कल्पनाओं की दुनिया से बाहर निकल सचाई से रूबरू होता है। इस स्वाभाविक प्रक्रिया में दखल डालना उसे दब्बू बनाना और असुरक्षा में डालने जैसी बाते है, जो सीधे उस के दिलोदिमाग पर बुरा असर डालती है। बेहतर है कि बच्चे का सहारा बनें, उसे डराएं नहीं। भावनात्मक सुरक्षा दने सम्बन्धी निमA बातों का खास खयाल रखें। बच्चो को कल्पनाओं की दुनिया, जादूटोने व चमत्कार जैसी बातों से दूर रखते हुए उसे इन की वास्तसिकताएं बताएं। बच्चो की जिज्ञासाओं का गलत समाधान ना निकालें उसे बस बताएं।
तुतलाने या हकलाने पर उसे सटीक उच्चारण व बोलने का अभ्यास कराएं। बच्चो को पैसों की अहमियत और वस्तु की अनुपयोगिता के बारे में बताएं, बजाय झल्ला कर यह कहने कि खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। बाहरी लोगों के सामने भूलकर भी उसकी कमजोरियों और गलतियों का जिक्र ना करें। जैसे आप अपनी कमजोरियों को सार्वजनिक होते नहीं देखना चाहते वैसे ही बच्चो की स्वाभाविक इच्छा यही रहती है।
कभी भी बच्चो को उपेक्षित ना करें।
बाहर और बाहरी लोगों के सामने तो इस बात का खास ख्याल रखें। बच्चो के लिए अलग से वक्त निकालें उससे बातचीत करें और जाने कि वह आपसे क्या अपेक्षाएं रखता है। अच्छे काम करने या बात मानने पर उसकी पीठ थपथपाएं, उसे प्रोत्साहन दें। इन बातों का ध्यान रखे जिससे आप अच्छे पेरैंट्स बन सकते हैं और बच्चे के अभिभावक होने के माने भी सार्थक कर सकते हैं।