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होमवर्क हैंग-अप से बचने के उपाय

By: Team Aapkisaheli | Posted: 16 May, 2012

होमवर्क हैंग-अप से बचने के उपाय
आजकल के वर्किग पेरेंट्स के लिए बच्चों का होमवर्क करना-कराना सचमुच किसी चैलेंज से कम नहीं,कई बार तो बच्चेे सुनते ही नहीं और मामला डांटने से लेकर मारने तक पहुंच जाता है। लेकिन यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए,तो होमवर्क की समस्या को आसानी से हैंडल किया जा सकता है।
होमवर्क करने की जगह तय करें
कई घरों मे बच्चें कहीं भी, जैसे - बेडरूम, ड्राइंगरूम में होमवर्क करने बैठ जाते हैं, कई पेरेट्स तो खुद टीवी देखते-देखते बच्चे का होमवर्क कराते हैं और बच्चे के टीवी देखने पर उसे डांटते है कि होमवर्क पर ध्यान दो। क्या यह संभव हैक् क्या ऎसे में बच्चा एकाग्रचित हो पाएगाक् बेहतर होगा होमवर्क के लिए जगह निश्चित करें। जगह की कमी है तो डाइनिंग टेबल पर भी होमवर्क कराया जा सकता है, लेकिन यदि आपके यहां जगह हो तो बच्चे के लिए स्टडी टेबल खरीद दें। आजकल ये आकष्ाüक रंगों और डिजाइनों में मिलती हैं, उस पर अच्छा-सा पेनस्टैंड रखें, जिसमें डेकोरेटिव पेंसिल, इरेजर व स्केल हो। इससे बच्चे को होमवर्क करने में मजा आएगा।
होमवर्क का समय निश्चित करें
बच्चे को बहुत छोटी उम्र से ही यह आदत लगानी चाहिए। इससे बच्चा होमवर्क के समय में खेलने-कूदने के बारे में नहीं सोचेगा, क्योंकि उसे पता है हर काम का समय निश्चित है। यदि कभी बच्चे को होमवर्क नहीं दिया गया है तो उसे कविता या कुछ और याद कराएं। गणित का कुछ रिवीजन दें या सिलेबस के किसी भी विषय की किताब पढने को दें। इससे उसके दिमाग में यह बात अच्छी तरह से बैठ जाएगी कि पढाई के समय सिर्फ पढाई ही करनी है और कुछ भी नहीं।
आराम भी जरूरी है
कई घरों में बच्चों के दोपहर को स्कूल से लौटते के बाद तुरंत पढने के लिए बैठा देते हैं, जो गलत है, स्कूल से आने के बाद उन्हें कुछ खिलाएं। यदि वे सोना चाहें तो सोने दें या थोडी देर घर में ही खेलने दें। इससे वे तरोताजा हो जाएगें। इसके बाद उन्हें पढने के लिए बिठाऎं। होमवर्क का सही समय स्कूल से आने के बाद, डिनर से पहले या डिनर के बाद होता है। हर बच्चे का एनर्जी लेवल अलग-अलग होता है, अत: बच्चे के हिसाब से समय चुनकर उसे उसी समय पढने के लिए बिठाएं।
रोल मॉडल बनें
जब बच्चा होमवर्क कर रहा हो तो आप खाली न बैठे। कोई न कोई पेपरवर्क करें। ऑफिस या प्रोजेक्ट का कोई काम, बिल पे करने के लिए चेक लिखना, लेटर ड्राफ्ट करना आदि। बच्चे बडों का अनुकरण करते हैं, इससे बच्चों को ये मैसेज जाएगा कि बडें होने पर भी होमवर्क होता है और वह आपके बिना कहे ही होमवर्क पर ध्यान देगा।
होमवर्क बच्चे का काम है आपका नहीं
बच्चे को गणित के सवाल का हल या किसी प्रश्न का उत्तर खुद ही न लिखवाएं, बल्कि पहले उन्हें हल करने दें। उनका उत्साह बढाते हुए पूछें, ""टीचर ने किस तरह हल करने के लिए कहा है क्लास मे तुमने कैसा उत्तर लिखा थाक् इससे वे खुद ही हल करने की कोशिश करेंगे। यदि उन्हें एक बार रेडीमेड जवाब की आदत लग गई तो वे खुद भी कभी कोशिश नहीं करेंगे। जब उन्हें न आए तो आप समझाएं। भले ही ज्यादा समय लगे। भूलकर भी उनके सवाल खुद हल करने की गलती न करें।
बच्चे पर ज्यादा बोझ न डालें
आजकल सभी पेरेंट्स चाहते हैं कि उनका बच्चा हर क्षेत्र में आगे हो, इस चक्कर में वे स्पोट्स एवं हॉबी की अनेक क्लासेज लगा देते हैं। बच्चा स्कूल से आते ही वहां भागता है। इससे उसे होमवर्क के लिए बहुत कम समय मिल पाता है। ध्यान रहे, आपके बच्चे को भी आराम की जरूरत होती है, उसे अपने दोस्तों के साथ खेलने में ज्यादा मजा आता है। अत: इन सभी एक्टिविटीज को सीमित रखें तो अच्छा है, ताकि वह अपना बचपन एंजॉय कर सकें।
टीचर से मिलते रहें
बच्चे का एडमिशन होने के बाद पेरेंट्स केवल दो ही काम से स्कूल जाते हैं - एक तो फीस भरने, दूसरे पेरेंट्स मीटिंग में। यह ठीक नहीं है। बच्चा छोटा हो या ब़डा, उसकी टीचर से मिलना बहुत जरूरी होता है। इससे बच्चे के बारे में काफी बातें पता चलती हैं कि उसे कौन-सा विषय कठिन लगता हैक् उसकी और क्या कठिनाईयां हैक् उन्हे किस तरत सुधारा जा सकता है स्पेलिंग या अन्य उत्तर याद करने की कौन-सी लर्निग स्टाइल बच्चो को सूट करेगी वगैरह।
बच्चे से बहुत ज्यादा अपेक्षाएं न रखें
कई बच्चे खुद ही पढाई करने बैठ जाते हैं, परंतु कई बार उन्हें आपकी मदद की जरूरत भी होती है। उन्हें पढाएं। यदि आप उन्हें पढा नहीं पाती और बच्चे को समझ में नही आ रहा है, तो उसे डांटें नही, बल्कि उसको वह डिफिकल्टी नोट करवाएं और ट्यूशन टीचर से पूछने के लिए कहें। दूसरे दिन ध्यान से देंखें कि बच्चे ने पूछा है या नहीं। कई बार बच्चे संकोच या डर से अपनी डिफिकल्टी पूछ नहीं पाते। ऎसी स्थिति में आप स्वयं टीचर से मिलकर बच्चे की डिफिकल्टी सॉल्व करें। सब कुछ बच्चे पर न छोडें। यह भी आशा न करें कि बच्चे हर बार टेस्ट में अच्छे नंबर ही लाएंगे। नंबर न आने पर उन्हें डांटे नहीं, न ही किसी अन्य बच्चे से उसकी तुलना करें, बल्कि उसका उत्साह बढाएं अन्यथा उनके अंदर हीनभावना घर कर जाएगी और वे पढाई से जी चुराएंगे अच्छा परफार्म करने पर उनकी तारीफ करना न भूलें।
कम्प्यूटर होमवर्क पर निगाह रखें
आजकल बच्चों को कम्प्यूटर से बडा लगाव है। चाहे बच्चा बडा हो या छोटा, ध्यान रखे कि कहीं कंप्यूटर होमवर्क के बहाने बच्चा गेम तो नहीं खेल रहा। बच्चा बडा हो तो बीच-बीच में आकर उसके कमरे में झांके। ध्यान रखें और उसे ज्यादा देर कम्प्यूटर पर बैठने न दें।
बच्चे की मुश्किले समझें
यदि बच्चे को मैथ्स, साइंस या अन्य विषय कठिन लग रहा है, वह ठीेक से समझ नहीं पा रहा तो क्लास टीचर से मिलकर, एक्स्ट्रा हेल्प मांगे। आजकल अनेक स्कूलों में छुट्टी के 1 घंटे बाद का समय इसके लिए रखा जाता है। यदि ऎसा नहीं है तो सभी पैरेंटस मिलकर मीटिंग मे इसकी मांग करें। साथ ही ट्यूशन टीचर को वे टॉपिक समझाने व उस पर ध्यान देने को कहें, जो बच्चो को कठिन लग रहे हैं। यदि वह मुश्किल नहीं सुलझाई गई तो अगली क्लास में जाने पर बच्चा वहीं अटकेगा और तब समझाना कठिन होगा।

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