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शरीर पर नमक-चीनी और मसालों का प्रभाव

By: Team Aapkisaheli | Posted: 12 Jun, 2012

शरीर पर नमक-चीनी और मसालों का प्रभाव
त्योहारों के आते ही घर व बाजारों में तरह-तरह के व्यंजनों की भरमार शुरू हो जाती है ऎसे में हमारा मन को मसालेदार, तीखा खाने से रोक नहीं पाते और ऊपर से मेहमानों का आना-जाना लगा ही रहता है कभी चाय, समोसे, मिnयां आदि को खाते रहना और यही नहीं बरसात के आते ही हमारा मन मसालेदार तले पकौडों के साथ में गरमगरम चाय पीने को मन करता है पकौडों पर डाल हुआ मसाला तीखापन जब चाय के मीठे से मिलता है। तो उस समय चाय का स्वाद फीका सा लगने लगता है। और फिर हम बिना कुछ सोचेसमझे चाय में स्वाद बढाने के लिए 1 या 1/2 चम्मच चीनी और डाल देते हैं।
बदलते मौसम में यह पता ही नहीं चलता कि जाने आजाने में खानेपीने की उठती तलब को शांत करने और अपनी जाबान का टेस्ट के चक्कर में हम अनजाने में अपने खानपान में मिर्चमसालों, नमक और चीनी का मात्रा बेवजह ही बढाते रहते हैं। कुछ समय के लिए तो हमारे खाने को टेस्ट अच्छा हो जाता है। लेकिन परेशानी तो उसके बाद शुरू होती है। जो बहुत ही कष्टप्रद होते है क्योंकि ये गंभीर शारीरिक और मानसिक रोगों का कारण बनते है। हमारे शारीरिक, मानसिक विकास के लिए भोजन का बहुत अधिक महत्तव है। इसके लिए नमक, चीनी और मसालेदार खाने का महžव है। लेकिन इन सबकी मात्रा सीमित होनी चाहिए तभी यह शरीर को फायदा भी पंहुचता है। अगर यह खाने में जरूरत से ज्यादा हो जाएं तो ये शरीर को लाभ की जगह नुकसान पहुंचता हैं।
नमक का इस्तेमाल
ये तो सभी जानते हैं कि नमक हमारे आहार का एक महत्तपूर्ण हिस्सा है। हर व्यक्ति को प्रतिदिन 4-5 ग्राम नमक लेने की सलाह देती है। सोडियम हमारे शरीर के विकास के लिए अज्यंत जरूरी तत्व है लेकिन सोडियम का जरूरत से ज्यादा प्रयोग एक नहीं अनेक समस्याओं को जन्म देता है जैसे कि सूजन, अस्थमा, अस्थि रोग, उच्च रक्तचाप छाती में जलन आदि इन बीमारियों से बचने के लिए हमें नमक का प्रयोग बहुत सोचसमझ कर करना चाहिए। वहीं शरी में नमक की कमी की वजह से मांसपेशियों में एठन, पूरी बॉडी में सूजन, सिर का चकराना आदि समस्याएं शुरू हो सकती है। और ये आगे चल कर गंभीर स्त्रायु रोग का रूप धारण कर सकती है। एक विशेषज्ञा का मानना है कि कम नमक खाने वाला व्यक्ति बहुत ज्यादा पानी पी लेता है। तो वह पीनी इंटौक्सिकेशन का शिकार हो सकता है। बाजार में कई प्रकार के नमक उपलब्ध होते है लेकिन किसी भी प्रकार के नमक के इस्तेमाल करने से पहले उसकी विशेषताओं के बारे में जान लेना चाहिए। तभी आप खाने में उसका यूज करें।
पहाडी नमक- पहाडी नमक में कम से कम 84 से खनिज पाए जाते है लेकिन इसका आप खाने पीने की चीजों में स्वाद या महक के लिए नहीं किया जाता है इनको सिर्फ आप भुने आलू, पोल्ट्रीफूड, मीड बने व्यंजानेों में इसका प्रयोग किया जाता है।
समुद्री नमक- यह आम नमक की तरह ही पोषक होता है इस नमक में पोटैशियम, मैगशियम और आयोडीन जैसे तव प्राकृतिक रूप से मौजूद रहते है। यह नमक देखने और स्वाद में दूसरे नमक से भिन्न होता है। आम नमक के म़ुकाबले समुद्री नमक में खनिज की मात्रा अधिक होती है, और इसमें समुद्र की महक महसूस की जा सकती है।
काला नमक- इस का प्रयोग शिकंजी बनाने और आदि चीजों में किया जाता है एक अध्ययन से भी यह पता चला है कि अगर गर्भावस्था के दौरान काले नमक का प्रयोग अधिक करती है उनके बच्चो कमजोर पैदा होते हैं। और उन बच्चो  में बीमारियों से लडने की क्षमता दूसरे बच्चो के मुकाबले कम ही होती है।
चीनी का इस्तेमाल
शरीर के लिए मीठा बहुत जरूरी हैं क्योंकि इससे शरीर को ऊर्जा और शक्ति मिलती है। लेकिन आप अगर इसका यूज करते हैं। तो यह वजन तो बढती ही है, साथ में बीमारियों का भी घर हो जाता है। चीनी में कैलोरी की मात्रा अधिक होती है। आप को तो पता ही होगा कि चीनी में मिनरल,विटामिन या पौष्टिक तत्व नहीं होता। यह व्यक्ति को शक्ति व ऊर्जा प्रदान करती है और वह भी 1 ग्राम में 4 कैलोरी की दर से । अधिक मिठाइयां, चाकलेट व ठंडे पेयों को लेने सिर्फ आहार का सतुलन बिगड ही है और आहार का सारा पौष्टिता खत्म हो जाती है।
मीठे के नाम पर हम ज्यादा कोल्ड डिंरक्स और आइसक्रीम आदि लेते हैं, जो सिर्फ कैलोरीज बढाते हैं, शरीर को किसी भी प्रकार का पोषण नहीं देते कोल्ड ड्रिंक्स की जगह सादा ठंडा पानी, डब्बाबंद फ्रूट जूस की जगह आधा कप 100 प्रतिशत ताजे फलों का रस और खाने के बाद मीठे की जरूरत महसूस हो तो खीर या हलवे की जगह फ्रेश फल खाने चाहिए। जरूरत से ज्यादा या कम चीनी होने पर आप के शरीर में खतरे की घंटी बजने का संकेत होने का डर रहता है। जब रक्त में चीनी की मात्रा बढने पर प्यास और भूख बहुत लगती है और यूरीन में भी बारबार आता है दूसरी तरफ अगर आप खाने के समय में जरूरत से ज्यादा अंतर रखते है खाना कम मात्रा में खाते हैं। या फिर खानी पेट अलकोहल का सेवन करते हैं, जरूरत से ज्यादा व्यायाम करते है। तो रक्त में चीनी का स्तर गिरने से आप बेजान सा महसूस करते हैं।
मसालों का इस्तेमाल
मसाले खाने को स्वादिष्ट और सुगंधित बनाने के साथ ही साथ खाने को एक बेहतरीन लुक प्रदान करते है विशेषज्ञा के अनुसार मसालों में फाइटी न्यूट्रीऎंट्स होते हैं, जो मानव शरीर के हैल्दी सैल्स को कैंसर सैल्स में परिवर्तित होने से रोकते हैं। नमक की तरह कोई भी पैमाना मसालों के सुरक्षित प्रयोग और विषाक्त तžवों के बारे में सही और पूरी जानकारी नहीं देता। जितनी कम मात्रा में मसालों का प्रयोग किया जाएं मसाले हमें सुरक्षा भी प्रदान करते है। जैसे- हलदी स्वाद में कडवी और प्रभाव में गरम होती है यह कफ औरपित्त के दोषों को दूर करती है। कटने, छिलने और जलने पर हलदी का प्रयोग ऎटीसेप्टिक की तरह भी किया जाता है। इसकी गुण के कारण हलदी का प्रयोग स्वास्थ्य अैर सौंदर्यवर्धन के लिए भी होता है। लौंग दातं दर्द से लौंग तुरंत राहत प्रदान करती है यह एक बहुत अच्छ माउथ फै्र शर का काम भी करती है। दालचीनी यह एक पेड की छाल होती है यह गैस, बलगम, ह्वदय रोग, खुजली, पेट के कीडे सायनस दूर करने और वीर्य बढाने में सहसयक है। अदरक कोलैस्ट्रौल कम करने से लेकर रक्तचाप नियंत्रित करने और थकान दूर करने तक में सहायक है। शरीर में होने वाली बीमारियां से राहत पहुंचाते हैं, आंखों में चुभन, कैंसर, जोडों के दर्दü, छाती में जलन, और अलसर जैसीा बीमारियों से कई वषों से मसालों का प्रयोग बुखार पेट दर्द, बदहजमी, त्वचा रोग, बुखार आदि का उपचार के लिए होता आ रहा है। मसाले किसी भी बीमारी को पूरी तरह से ठीक तो नहीं कर सकते, लेकिन उस बीमारी की गंभीरता को काफी हद तक कम कर सकते है और कुछ हद तक आराम जरूर पहुंचाते हैं।

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