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बेहतर करिअर बनता है दिलचस्पी व पैशन से

By: Team Aapkisaheli | Posted: 07 Nov, 2012

बेहतर करिअर बनता है दिलचस्पी व पैशन से
आमतौर पर माना जाता है कि जिसका एजुकेशनल बैक ग्राउंड जितना शानदार होगा, वह उतना ही बेहतर जॉब पा सकेगा। यहां एजुकेशन बैक ग्राउंड से मतलब मार्कस से है। इसलिए एग्जाम में कम मार्कस लाने वालों से कमतर ही अपेक्षा की जाती है, लेकिन यह मिथक अब टूट रहा है। ऎसे कई उदाहरण हैं, जिसे पढने या समझने के बाद आपको पता चलेगा कि लो मार्कस वालों ने हाई पोस्ट तक के सफर तय किए हैं। पहला उदाहरण देश नहीं दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा यूपीएससी के टॉपर श्रीकृष्ण वत्स की है। उन्हें ग्रैजुएशन में थर्ड डिविजन मिला। लेकिन उन्होंने यूपीएससी का टॉपर बनकर दिखा दिया कि मेहनत से कुछ भी पाया जा सकता है। तो जरूरी नहीं कि आप बेहतर मार्कस लाएं, तो ही आप लाइफ में आगे बढ पाएंगे। लो मार्कस लाने वालों ने भी करियर की उन बुलंदियों को छुआ है, जिसे हासिल करना बडों-बडों के लिए सपना था। दूसरा उदाहरण आज के महानायक अमिताभ बच्चन के एक खास पहलू आपसे शेयर करते हैं। 12वीं करने के बाद उन्होंने साइंस पढने की इच्छा जताई, लेकिन उस कोर्स में उन्हें एडमिशन नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने दूसरे कोर्स में नामांकन कराया। उस समय पिता हरिवंश राय बच्चन ने कहा था कि जो मन का हो अच्छा और जो मन का न हो वह और भी अच्छा। क्योंकि मन का होने से संतोष मिलता है और जो मन का नहीं होता, उसका मतलब ईश्वर की इससे ज्यादा करने की इच्छा है।
उस समय शायद उन्हें इस बात का एहसास न हुआ हो, लेकिन आज न केवल वह बल्कि पूरी दुनिया जानती है, उनके पिता के कहे शब्द कितने सटीक थे। कòरियर काउंलर कि अपने चॉइस का सब्जेक्ट चुनें और उसके लिए पैरंट्स को तैयार करें। कभी- कभी देखने में आता है कि पैरंट्स बच्चों की क्षमता जाने बिना उन्हें इंजिनियरिंग और मेडिकल एरिया में जाने के लिए फोर्स करते हैं, जो गलत है। दरअसल, बेहतर करियर दिलचस्पी और पैशन से बनता है। इसके लिए मार्कस की अनिवार्यता नहीं है। अगर देखें, तो आजकल पार्ट टाइम जॉब की बहार जैसे आई गई है। कॉल सेंटर और किसी नामी कपडे के शोरूम से लेकर ऎसे सभी जगहों पर नौकरी पा सकते हैं, जहां केवल 12वीं या ग्रैजुएशन पास होने की अनिवार्यता है। यहां वर्क एक्सपीरियंस लेकर आगे और बेहतर करियर बनाया जा सकता है। इस बीच किसी कोर्स में डिप्लोमा में एडमिशन लेने से भी फायदा हो सकता है। जिनको मेहंदी लगाने, फ्लॉवर कटिंग, हेयर कटिंग, ब्यूटी पार्लर, बूटिक आदि में दिलचस्पी है, वे उसमें बेहतर करियर बना सकते हैं। आज रोजगार के क्षेत्र में कई ऑप्शन मौजूद हैं।
बस जरूरत है दिलचस्पी के साथ आगे बढने की। करियर एक्सपर्ट की सलाह है कि जिनको 40 से 50 या इससे कुछ ऊपर नंबर आएं, वे दिल्ली यूनिवर्सिटी के इवनिंग कॉलेजों में दाखिला ले सकते हैं। यहां भी एडमिशन न मिले तो कॉरसपॉन्डेंस से कोर्स कर सकते हैं। आप ट्रडिशनल कोर्स या बीबीए, बीसीए, बीकॉम आदि में एडमिशन लेकर अच्छी मेहनत करें, फ्यूचर निश्चित ही बढिया होगा। उन्होंने एक खास बात बताई कि आजकल बडी कंपनियां कॉस्ट कटिंग करने लगी हैं। इसलिए वे कॉलेजों से सीधे स्टूडेंट्स का सिलेक्शन करने लगी हैं। इसके बाद सिलेक्टिव स्टूडेंट्स को इन हाउस ट्रेनिंग दी जाती है और हैंडसम सैलरी पे की जाती है। कॉरसपॉन्डेंस का एक अलग फायदा भी है।
इसमें आप बाहर से कोई प्रफेशनल कोर्स भी कर सकते हैं। इसके अलावा पार्ट टाइम जॉब भी कर सकते हैं। इसलिए कम मार्कस आने पर उदास होने की नहीं बल्कि कठिन परिश्रम से बेहतर करने और एक उदाहरण बनने की जरूरत है। एक और बेहतर उदाहरण जो आपको काफी मोटिवेट कर सकता है वह मदर टेरेसा का जिन्होंने लोगों की सेवा करने की ठानी। शुरू में उन्हें कई तकलीफों से रूबरू होना पडा था, लेकिन लगन और मेहनत के बल पर उनको नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया।

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