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बढती उम्र और रिश्तों में आते बदलाव

By: Team Aapkisaheli | Posted: 17 Feb, 2012

बढती उम्र और रिश्तों में आते बदलाव
उम्र के साथ साथ सोच बदलती है। जैसे जैसे उम्र के साथ साथ अनुभव बढते जाते हैं वैसे वैसे अपने पार्टनर के प्रति आकर्षण कम होता जाता है। शादी के कुछ सालों के बाद महिलाएं अपनी गूहस्थी और बच्चों को संभालने में लग जाती है और पति अपने बच्चों की अच्छी परवरिश और परिवार को समाज में अच्छा स्थान दिलाने के लिए जिंदगी की रेस में लग जाता है। इस तरह की समस्या से आज के पति-पत्नी ही नहीं, पुराने जमाने के पति-पत्नी पढे-लिखे हैं, उन्हें बोलने की आजादी भी पहले की अपेक्षा कहीं अधिक है। उन्हें जो अच्छा नहीं लगता है, उसे स्पष्ट शब्दों में कह देते हैं और पुराने जमाने के पति-पत्नी अंदर ही अंदर घुटते रहते थे, मन की बात मन में ही रह जाती थी। यह मन भी बहुत अजीब चीज है। समय के साथ-साथ या भी बदलता रहता है। जो चीज उसे आज अच्छी लगेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं। वैवाहिक जीवन में एक दूसरे को अच्छा लगना बहुत ही आवश्यक है। पत्नी खूबसूरत है, स्मार्ट भी है और एक सी ही साज-स”जजा, श्रृंगार और परिधान में रोजाना ही पति क ो नजर आती है तो इससे उसका सौंदर्य पति पर कोई खास असर नहीं डालता है। ड्रेस रोजाना बदलती रहनी चाहिए।
आदत और दिनचर्या:
आदत और दिनचर्या ये दोनों चीजें ऎसी हैं, जो उम्र के साथ-साथ नहीं बदलती हैं तो वैवाहिक जीवन में एकरसता पसर जाती है। आपको डार्क कलर की लिपिस्टिक लगाने की आदत है तो बढती उम्र में यह आदत आपको पति की नजरों में कुरूप बना सकती है, क्योंकि चटक और भडकीले रंगों वाली चीजें युवा अवस्था में तो जंचती हैं, लेकिन उम्र के बढने पर ये ही चीजें सौंदर्य में फूहडता लाती हैं, क्योंकि उम्र बाल, स्किन, होंठ, आंखों आदि पर अपना प्रभाव निश्चित रूप से ही छोडती हैं, इस बदलाव को रोका नहीं जा सकता। पिसे आप रोक नहीं सकते, जिस पर आपका कोई जोर नहीं चलने वाला, उससे निपटने का सबसे आसान उपाय यह है कि आप स्वयं को उसी के अनुरूप ढाल लें। दिनचर्या भी उम्र के साथ-साथ बदलती रहें। जैसे आप युवा अवस्था में दो-तीन बार भोजन कर लेती थीं। लेकिन बढती उम्र में ऎसा करने से आप असुविधा की अनुभूति करती हैं। आपको पहले बालों की चोटियां बनाना अच्छा लगता था। सजने-संवरने में पहले आप खास रूचि लेती थीं, लेकिन प्रौढावस्था में आप किसी-किसी दिन एक बार भी बालों में कंघी नहीं करती हैं। चेहरे पर कोई ध्यान नहीं देती हैं। इस उम्र में हाथों व चेहरे की त्वचा शुष्क और मोटी हो जाती है, जिससे आपका सौंदर्य पहले की अपेक्षा बहुत ही कम हो जाता है। इसलिए त्वचा की कोमलता बनाए रखने के लिए आपको इसकी मालिश करनी चाहिए।

त्वचा: पुरूष अपनी उम्र पर ध्यान बहुत ही कम देते हैं। जबकि प्रौढावस्था में उनकी भी त्वचा कोमलता त्याग कर शुष्कता को अपना लेती है। सौंदर्य त्वचा की कोमलता से ही कायम रहता है। बढती उम्र सबसे अधिक त्वचा को ही छूती है, तभी तो बुढापा पहले त्वचा से ही झलकता है।
समझ:
प्रौढावस्था में पति-पत्नी का सौंदर्य तो महत्व रखता ही है, समझ भी मायने रखती है। बच्चों में बढिया संस्कार डालना, पति की जरूरतों का ध्यान रखना, घर को बजट के अनुसार मलाना और किसी भी बात को लेकर फिजूल की बहस में न उलझना इस उम्र के पति-पत्नी दोनों के लिए ही अधिक महत्व रखता है। इससे घर का माहौल शांत रहता है और शांति में ही सब का कुशल-मंगल होता है।
 ध्यान दें:
जिंदगी की इस दौड में दौडते-दौडते हम अपनों पर ही ध्यान देना बंद कर देते हैं। नई नई शादी के बाद पति अपनी पत्नी की हल्की सीछींक से भी परेशन हो जाते हैं लेकिन कई वर्ष बीत जाने के बाद पति को इतनी फुर्सत भी नहीं रह जाती कि वह अपनी बीमार पत्नी को डॉक्टर के दिखा लाए। इससे अपनापन का अहसास मिटता है तो व्यक्ति एकदम से अकेला पड जाता है। सबके होते हुए भी पत्नी खुद को अकेला महसूस करने लगती है। पत्नी के दर्द को महसूस करना, उसे डॉक्टर को दिखाना और पर्याप्त समय देना मैरिड-लाइफ के लिए बेहद ही आवश्यक है। बच्चा बीमार है, पत्नी बीमार है या पति बीमार है या और भी किसी तरह की बात है तो पल्ला झाडने से बात बनती नहीं है। उम्र के बढने के साथ-साथ अच्छी सोच और समझ का बढना पति-पत्नी के आंतरिक और बाहरी दोनों ही ब्यूटी को दोगुना कर देता है। फिर न तो पति-पत्नी में रूप-सौंदर्य की तलाश करता है और न पत्नी ही पति में पुरूषोचित सौंदर्य की कमी की अनुभूति करती है। एक दूसरे की परवाह करना ऎसा हथियार है, जो सारी खामोशियों पर परदा डाल देता है। इस उम्र में बाहरी सौंदर्य क ो निखारने के साथ-साथ जिम्मेदारियों को निभाने की कला भी जानिए।

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