झारखंड में पेपर लीक पर उम्र कैद और 10 करोड़ तक जुर्माना, नए कानून को राज्यपाल ने दी मंजूरी
By: Team Aapkisaheli | Posted: 30 Nov, 2023

रांची। झारखंड में प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक और नकल रोकने के लिए
सख्त कानून लागू करने का रास्ता साफ हो गया है। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन
ने विधानसभा से बीते अगस्त महीने में पारित विधेयक को मंजूरी दे दी है।
राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना जारी होते ही यह कानून का रूप ले लेगा।
इस
कानून में प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक करने पर कम से कम 10 साल और
अधिकतम आजीवन कारावास की सजा से लेकर 10 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाने
जैसे सख्त प्रावधान हैं।
इस कानून का नाम झारखंड प्रतियोगी परीक्षा
(भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम निवारण के उपाय) अधिनियम, 2023 होगा।
इसमें प्रावधान किया गया है कि प्रतियोगी परीक्षा में कोई अभ्यर्थी पहली
बार नकल करते हुए पकड़ा जाता है तो उसे एक वर्ष की जेल होगी और पांच लाख
रुपए का जुर्माना लगेगा।
दूसरी बार पकड़े जाने पर तीन साल की सजा
एवं 10 लाख जुर्माना का प्रावधान है। न्यायालय द्वारा सजा होने पर संबंधित
अभ्यर्थी 10 वर्षों तक किसी प्रतियोगी परीक्षा में सम्मिलित नहीं हो
सकेंगे।
पेपर लीक और नकल से जुड़े मामलों में बगैर प्रारंभिक जांच
के एफआईआर और गिरफ्तारी का भी प्रावधान किया गया है। पेपर लीक और किसी
प्रतियोगी परीक्षाओं के बारे में भ्रामक जानकारी प्रचारित-प्रसारित करने
वाले भी इस कानून के दायरे में आएंगे। यह कानून राज्य लोक सेवा आयोग, राज्य
कर्मचारी चयन आयोग, भर्ती एजेंसियों, निगमों और निकायों द्वारा आयोजित
होने वाली परीक्षाओं में लागू होगा।
पेपर लीक से जुड़े मामलों को
लेकर इस कानून में सबसे सख्त प्रावधान किए गए हैं। इसमें परीक्षाओं के
संचालन से जुड़े व्यक्ति, एजेंसियां, प्रिंटिंग प्रेस एवं षड्यंत्र में
शामिल लोग दायरे में आएंगे। अगर कोई प्रिंटिंग प्रेस, परीक्षा आयोजित करने
वाला प्रबंधन तंत्र, परिवहन से जुड़ा व्यक्ति या कोई कोचिंग संस्थान
साजिशकर्ता की भूमिका निभाता है तो 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा
हो सकती है। इसमें 2 करोड़ से 10 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने का भी
प्रावधान है। जुर्माना न देने पर तीन साल की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
बता
दें कि इस विधेयक को लेकर विधानसभा में जबर्दस्त हंगामा हुआ था। विपक्ष के
विधायकों ने इसकी प्रतियां फाड़ दी थीं और भाजपा ने इसे काला कानून की
संज्ञा दी थी। विपक्ष के विधायकों के बहिष्कार के बीच यह विधेयक पारित किया
गया था।
--आईएएनएस
ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे7 कमाल के टिप्स: ऎसे संवारे लडके अपनी त्वचा...
अनचाहे बालों को हटाना अब मुसीबत नहीं...
गर्लफ्रैंड बनने के बाद लडकियों में आते हैं ये 10 बदलाव