योजना आयोग में 35 लाख के टॉयलट फिजूलखर्ची नहीं : मोंटेक

By: Team Aapkisaheli | Posted: 07 Jun, 2012

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योजना आयोग में 35 लाख के टॉयलट फिजूलखर्ची नहीं : मोंटेक
नई दिल्ली। योजना आयोग में 35 लाख रूपए के आधुनिक शौचालय बनाने के मुद्दे पर बुधवार को दिन भर हो हल्ला मचता रहा। इन शौचालयों पर जहां आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया को सफाई देनी पडी वहीं राजनीतिक दलों ने आलोचना की। योजना आयोग ने शौचालयों के नवीनीकरण पर 35 लाख रूपए खर्च किए जाने पर कहा कि यह सामान्य रखरखाव प्रक्रिया थी और इसे "फिजूलखर्ची" कहना दुर्भाग्यपूर्ण है। योजना आयोग ने एक बयान में कहा कि 30 लाख रूपए की जो राशि बताई जा रही है वह सही है लेकिन ऎसी धारणा बनाई जा रही है कि सिर्फ दो शौचालयों पर इतनी राशि खर्च की गई है। यह सही नहीं है क्योंकि इन शौचालय ब्लॉकों में कई सीटें हैं। साथ ही अशक्त लोगों के लिए भी अलग से सुविधाएं हैं। एक आरटीआई आवेदन में जानकारी मिली थी कि आयोग ने दो शौचालयों के नवीनीकरण पर 35 लाख रूपए खर्च किए हैं। इसके बाद आयोग की आलोचना हो रही है। आयोग ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सामान्य रखरखाव व उन्नयन को फिजूलखर्ची के तौर पर पेश किया जा रहा है। बयान में कहा गया है कि नवनिर्मित शौचालयों में चोरी की घटनाएं होती रहती थीं। इसको देखते हुए एक्सेस कंट्रोल सिस्टम प्रणाली का परीक्षण किया गया लेकिन वह व्यावहारिक साबित नहीं हुआ। आयोग ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों या सदस्यों के लिए बने शौचालयों का नवीनीकरण नहीं किया गया है बल्कि सार्वजनिक शौचालयों का नवीनीकरण कराया गया है। बयान में कहा गया है कि लंबे समय से शौचालयों की खराब हालत की शिकायत मिल रही थी। यह शिकायत सिर्फ मंत्री ही नहीं कर रहे थे बल्कि आने वाले विदेशी अतिथियों और कर्मचारियों के अलावा पत्रकारों की भी ऎसी ही शिकायतें थीं। नवीनीकरण के दौरान महसूस किया गया कि पुराने पाइप एवं सीवेज सिस्टम खराब हो चुके हैं और उन्हें पूरी तरह से बदलने की जरूरत है। इसके अलावा अग्नि नियंत्रण व्यवस्था को भी दुरूस्त किया गया। भाजपा ने योजना आयोग को निशाना बनाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले संस्थान का 35 लाख रूपए दो शौचालयों के नवीनीकरण पर खर्च कर देना बहुत शोचनीय है जबकि सरकार इन दिनों फिजूलखर्ची नहीं करने करने के दावे कर रही है। पार्टी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा, "योजना आयोग एक ओर कह रहा है कि जो लोग प्रतिदिन 32 रूपए से अधिक कमाते हैं वे अमीर हैं। और दूसरी ओर उसने दो शौचालयों पर 35 लाख रूपए फूंक डाले। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कार्यरत योजना आयोग ऎसे लोगों द्वारा चलाया जा रहा है जो नहीं जानते कि गरीबी क्या है। वे सिर्फ किताबों में गरीबी के बारे में पढते हैं।" हुसैन ने कहा, "जिस देश में कर्ज की वजह से किसान खुदकुशी कर रहे हों वहां ऎसे बेवजह के खर्च रोके जाने चाहिए।" बीपीएल का पैमाना सम्मानजनक जिंदगी के संदर्भ में होना चाहिए। पटना में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गरीबी रेखा के लिए तय योजना आयोग के पैमाने को आडे हाथ लेते हुए बुधवार को कहा कि बीपीएल का निर्धारण सम्मानजनक जीवन के संदर्भ में होना चाहिए, कैलॉरी उपभोग या प्रतिदिन की कमाई को लेकर नहीं। कांग्रेस ने योजना आयोग द्वारा दो शौचालयों के पुनर्निर्माण पर तीस लाख रूपए खर्च किए जाने के संबंध में कहा कि सरकारी धन का सावधानीपूर्वक इस्तेमाल किया जाना चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने यहां संवाददाताओं के प्रश्नों के उत्तर में कहा कि शौचालयों के पुनर्निर्माण पर हुए खर्च के बारे में योजना आयोग ही कोई सफाई दे सकता है लेकिन पार्टी का मानना है कि सरकारी धन जनता का धन होता है और उसका सावधानीपूर्वक इस्तेमाल होना चाहिए।
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