अलग पार्टी बनाएंगे योगेंद्र-प्रशांत, आप को देंगे टक्कर

By: Team Aapkisaheli | Posted: 31 Mar, 2015

अलग पार्टी बनाएंगे योगेंद्र-प्रशांत, आप को देंगे टक्कर
नई दिल्ली। आप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से निकाले गए वरिष्ठ नेता योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण ने अलग पार्टी बनाने के संकेत दिए हैं। जिससे आम आदमी पार्टी से टूटकर एक नई पार्टी सामने आ सकती है। राजनीतिक माहौल को भांपने के मकसद से प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव डॉ. बीआर आंबेडकर के जन्मदिवस पर 14 अप्रैल को अपने समर्थकों के साथ एक बैठक करेंगे। इस बैठक में आप के बागी सदस्य और सामाजिक आंदोलनों से जु़डे नेता शामिल होंगे।

बैठक में आप के आंतरिक लोकपाल रहे ऎडमिरल एल रामदास और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को भी आमंत्रित किया गया है। योगेंद्र यादव ने साफ किया है कि वह वापस ऎकडेमिक्स की ओर नहीं जाएंगे, बाह्नल्क राजनीति में ही बने रहेंगे। वहीं, प्रशांत भूषण का कहना है, "हमारे पास तीन विकल्प हैं। हम पार्टी को केजरीवाल और उनकी मंडली से बचाने के लिए चुनाव आयोग या कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। हालांकि इसमें मेरी निजी दिलचस्पी कम ही है।

दूसरा ऑप्शन कुछ राजनीतिक तौर पर नया दल ख़डा करना है जो उन मकसदों और सिद्धांतों को सहेजे जो आम आदमी पार्टी के बनने के समय हमारे दिमाग में थे। तीसरा विकल्प यह है कि किसी राजनीतिक दल के बजाय जन आंदोलन को आगे बढ़ाएं और भूमि अधिकार और ऎसे मुद्दों के लिए संघर्ष करें। साथ ही सिस्टम में बदलाव के लिए वॉलंटियर्स और अन्य मेंबर्स की सकरात्मक ऊर्जा का उपयोग करें।

प्रशांत भूषण ने कहा कि आखिर पैससला सभी लोगों की राय के बाद ही लिया जाएगा। आगे की रणनीति के बारे में योगेंद्र यादव का कहना है, कि मेरी राय है कि आप आंदोलन की स्प्रिट जिन्दा रहनी चाहिए, हमें उसे लेकर आगे बढ़ना चाहिए। हम नहीं चाहते कि कुछ नकरात्मक चीजें इस स्प्रिट पर असर डाले। हमें अपने रास्ते पर आगे बढ़ना चाहिए। इसी तरह से हम देश में ताकत पैदा कर सकते हैं। पार्टी से बाहर किए जाने की आशंका को भांपते हुए योगेंद्र यादव का कहना है कि आप लीडरशिप जब तक हम दोनों को पार्टी से बाहर नहीं कर देती, तब तक वे नरम नहीं प़डेंगे।

योगेंद्र यादव ने कहा कि वह और प्रशांत इसके लिए तैयार हैं। यादव ने कहा, पिछले एक महीने में जो कुछ हुआ वह पहले से तय था। शुरू में मैंने सोचा था कि पॉलिटिकल अपेसयर्स कमेटी (पीएसी) से बाहर कर ही वे शांत हो जाएंगे। लेकिन इसके बाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी से भी बाहर कर दिया गया। यह एक नाटक सा खेला जा रहा है। स्टालिन के सफाई अभियान के तरह यह नाटक भी तब ही थमेगा जब हमें पार्टी से बाहर कर दिया जाएगा।

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