सीबीआई कौन होती है जांच करने वाली : महाराष्ट्र सरकार

By: Team Aapkisaheli | Posted: 18 Jun, 2012

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सीबीआई कौन होती है जांच करने वाली : महाराष्ट्र सरकार
मुंबई। आदर्श हाउसिंग घोटाले में सीबीआई द्वारा प्राथमिकी दर्ज किये जाने के करीब डेढ साल बाद महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में मामले में जांच करने के एजेंसी के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी। राज्य सरकार के वकील अनिल सखारे ने अदालत में कहा कि सीबीआई के पास मामले की जांच का अधिकार नहीं है क्योंकि न तो राज्य सरकार ने और न हाईकोर्ट ने उसे मामले की जांच सौंपी।

ज्ञात रहे, इस हाई प्रोफाइल केस में सीबीआई के अलावा प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग भी अनियमितताओं की जांच कर रहे हैं। चव्हाण के अलावा मामले में नियमों को तोडने के सिलसिले में पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे तथा विलासराव देशमुख जांच दायरे में हैं। इसी क्रम में सोमवार को जस्टिस एसए बोबडे और जस्टिस मृदुला भाटकर की खंडपीठ ने सखारे को एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जिसमें यह उल्लेख हो कि राज्य सरकार ने सीबीआई को घोटाले की जांच के लिए अपनी सहमति नहीं दी। सखारे ने कहा, एक न्यायिक आयोग ने पहले ही रिपोर्ट जमा कर दी है जिसमें कहा गया है कि जिस जमीन पर आदर्श हाउसिंग सोसायटी की इमारत बनी है वह राज्य सरकार की है और रक्षा मंत्रालय की नहीं है। इसलिए सीबीआई तस्वीर में नहीं आती। दिल्ली पुलिस विशेष प्रतिष्ठान अधिनियम के तहत सीबीआई बनाई गयी थी और उसके अनुसार एजेंसी तभी मामले की जांच कर सकती है जब राज्य सरकार या उच्च न्यायालय उसे तफ्तीश का काम दे। आदर्श सोसायटी की ओर से वरिष्ठ वकील शेखर नफाडे ने भी दलील दी कि सीबीआई के पास मामले की जांच का अधिकार नहीं है। अदालत ने सोसायटी को भी इस पर आवेदन दाखिल करने का निर्देश दिया। सीबीआई ने 30 अप्रैल को पिछली सुनवाई के दौरान अदालत को आश्वासन दिया था कि वह मामले में 15 जून तक आरोप पत्र दाखिल करेगी। एजेंसी ने आज कहा कि वह आरोपपत्र 10 दिन में जमा करेगी। सीबीआई के वकील एजाज खान ने अदालत को बताया, जांच अंतिम स्तर पर है। आरोपपत्र 10 दिन में दाखिल कर दिया जाएगा। इसके बाद अदालत ने सुनवाई चार जुलाई तक टाल दी। सीबीआई ने रक्षा मंत्रालय के निर्देशों पर 2010 में आदर्श घोटाले की जांच शुरू की थी। जनवरी, 2011 में एजेंसी ने मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण समेत 14 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिनमें सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी, नेता और नौकरशाह हैं। मामले के नौ आरोपियों को इसी साल मार्च में गिरफ्तार किया गया था लेकिन बाद में जमानत पर छोड दिया गया। सीबीआई उनके खिलाफ 60 दिन की नियत अवधि में आरोपपत्र दाखिल नहीं कर पाई थी। जिन नौ आरोपियों को जमानत दी गयी थी, उनमें आईएएस अधिकारी प्रदीप व्यास, शहरी विकास विभाग में पूर्व उप सचिव पीवी देशमुख, सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर एमएम वांचू, सेवानिवृत्त रक्षा संपदा अधिकारी आरसी ठाकुर, सेवानिवृत्त मेजर जनरल एआर कुमार, सेवानिवृत्त मेजर जनरल टीके कौल और पूर्व विधान परिषद सदस्य कन्हैयालाल गिडवानी हैं।
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