लोग साथ हों तो कोई सफर मुश्किल नहीं : कमल हासन

By: Team Aapkisaheli | Posted: 26 July, 2018

लोग साथ हों तो कोई सफर मुश्किल नहीं : कमल हासन
नई दिल्ली। अभिनेता, फिल्मकार व राजनेता कमल हासन ने महज तीन साल की उम्र में फिल्म उद्योग में प्रवेश किया था और इस आधार पर देखा जाए तो उन्हें फिल्मों में काम करते हुए 60 साल हो चुके हैं, लेकिन अब उन्होंने अपने छोटे-छोटे कदमों से दक्षिण भारत की राजनीति में नई यात्रा शुरू की है।

कमल कहते हैं कि उन्हें समर्थन मिल रहा है, लोग साथ देते हैं तो कोई भी यात्रा गंतव्य बहुत दूर होने के बावजूद कठिन और कष्टकर नहीं होता।

कमल ने 21 फरवरी, 2018 को मदुरै में ‘मक्कल नीधि मय्यम’ नामक अपनी पार्टी गठित की थी। इसके 48 घंटों भीतर इस तमिल फिल्म जगत की इस बड़ी हस्ती की पार्टी में शामिल होने के लिए  2,01,597 लोगों ने अपना पंजीकरण कराया था।

राजनीतिक यात्रा के बारे में पूछे जाने पर कमल ने आईएएनएस को एक ईमेल साक्षात्कार में बताया, ‘‘तनाव बहुत है, बहुत ही उतावलेपन वाली स्थिति है, लेकिन इसी से हमारे दिमाग में चीजें स्पष्ट हो रही हैं और आगे का रास्ता भी स्पष्ट हो जाएगा। जब लोग आपके साथ होते हैं तो आपके अंदर बहुत विश्वास आता है और तब कोई भी सफर कठिन और तकलीफदेह नहीं लगता।’’

उन्होंने यह भी घोषणा की थी कि अब वह किसी फिल्म में काम नहीं करेंगे और उन्होंने तमिलनाडु के लोगों की भलाई के लिए राजनीति में कदम रखा है और यह फैसला आखिरी है।

अब आगे के लिए उनकी क्या योजना है? उन्होंने कहा, ‘‘देखिए हमारे पास लॉजिस्टिक हैं जो चुनाव के लिए हमारी तैयारी करेंगे, वे क्या करेंगे और हमारा प्रदर्शन कैसा होगा, वह चुनाव के नतीजों के बाद सामने आएगा, लेकिन फिलहाल के लिए हमने फैसला कर लिया है।’’

कमल ने फिल्मों को अलविदा कह दिया है, लेकिन प्रशंसक कमल को उनकी अगली फिल्म ‘विश्वरूप 2’ में देखेंगे जो 10 अगस्त को रिलीज होगी। इसका हिंदी संस्करण रोहित शेट्टी और अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली कंपनी रिलायंस एंटरटेंमेंट पेश करेगी।

कमल ने कहा कि ‘विश्वरूप 2’ एक जासूसी फिल्म है, जो उनके दिल के बहुत करीब है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे हमेशा जासूसी फिल्में अच्छी लगती हैं। मेरे सबसे बड़े मामा पुलिस विभाग में थे और फिर वह खुफिया ब्यूरो में चले गए थे। इसलिए जेम्स बॉण्ड की फिल्मों की तुलना में हमने जो कहानियां उनसे सुनीं, वे बहुत अलग और एक्स्ट्रीम थीं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी एमआई6 (खुफिया एजेंसी) में शामिल होना चाहते थे और उन्होंने एमआई6 में प्रशिक्षण लिया था। वह जो कहानियां हमें सुनाते थे, वह कुछ अलग तरह की होती थीं और हमारे अंदर एक अलग तरह की भावना आती थी। इसलिए मैं हमेशा से ही इसी भावना को फिल्म में शामिल करना चाहता था।’’

कमल कहते हैं, ‘‘वास्तव में जब हमने ‘नायागन’ बनाई तो हमने फैसला किया कि हमारे विलेन अजीब सी शर्ट या अपने चेहरे को काले कपड़े से ढकेंगे नहीं। यह ऐसे होंगे कि आप उन्हें आम लोगों से अलग नहीं कर पाएंगे। इसलिए फिल्म में हमने उन्हें बिल्कुल इसी तरह का लुक दिया था।’’

उन्होंने तमिल, हिंदी, तेलुगू और मलयालम में 200 से अधिक फिल्मों में काम किया है। कमल के लिए मील का पत्थर साबित होने वाली कौन सी फिल्म थी, यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ‘एक दूजे के लिए’ और उसके बाद के. विश्वनाथ की ‘सागार संगाममस’, ‘सदमा’ और ‘थेवर मगन’ रही हैं।

उन्होंने ‘अप्पू राजा’, ‘हे राम’ और ‘दशावतार’ का भी जिक्र किया।
(आईएएनएस)

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