आजम खान मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा- जमानत मिलते ही उन्हें किसी और मामले में जेल भेज दिया जाता है
By: Team Aapkisaheli | Posted: 11 May, 2022
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि
समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान के मामले में शायद एक पैटर्न उभर रहा है
कि जब भी उन्हें जमानत मिलती है, तो उन्हें किसी और मामले में जेल भेज दिया
जाता है। जमीन हड़पने के एक मामले में उनकी जमानत अर्जी पर सुनवाई में
देरी को लेकर खान की याचिका पर शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को जवाब
दाखिल करने का निर्देश दिया।
जस्टिस बी. आर. गवई और ए. एस. बोपन्ना
के साथ ही एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, यह क्या है?
उन्हें जाने क्यों नहीं दिया?
पीठ ने यूपी सरकार के वकील से कहा कि
खान दो साल से जेल में है और एक या दो मामलों में तो यह ठीक है, लेकिन 89
मामलों में ऐसा नहीं हो सकता।
पीठ ने राज्य सरकार के वकील से कहा, जब भी उन्हें जमानत मिलती है, उन्हें फिर से किसी अन्य मामले में जेल भेज
दिया जाता है। आप जवाब दाखिल करें। हम मंगलवार को सुनवाई करेंगे।
राज्य
सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने पीठ
के समक्ष दलील दी कि गलत धारणा बनाई जा रही है और खान के खिलाफ प्रत्येक
मामले का एक आधार है।
हालांकि, न्यायमूर्ति गवई ने कहा, यह सिलसिला
जारी रहेगा। जैसे ही उन्हें एक मामले में जमानत पर रिहा किया जाता है, आप
एक नई प्राथमिकी दर्ज कर देते हैं और उन्हें सलाखों के पीछे रखना जारी रखते
हैं।
खान का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि इस मामले में
विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है। शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई अगले
सप्ताह मंगलवार को तय की है।
सुप्रीम कोर्ट ने 6 मई को जमीन हड़पने
के एक मामले में समाजवादी पार्टी के नेता की जमानत अर्जी पर फैसला लेने में
हो रही देरी पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि उन्हें इस मामले को छोड़कर
बाकी सभी मामलों में जमानत मिल गई है।
अदालत ने कहा था कि यह न्याय का मजाक है और हम कुछ और नहीं कहेंगे।
खान
का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा कि उच्च
न्यायालय ने जमानत अर्जी पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। पीठ ने कहा कि
खान को 87 में से 86 मामलों में जमानत मिली है। शीर्ष अदालत ने दलीलें
सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई 11 मई को निर्धारित की थी।
पिछले
साल दिसंबर में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खान की जमानत याचिका पर फैसला
सुरक्षित रख लिया था। बाद में, राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय से कुछ नए
तथ्यों को रिकॉर्ड में लाने की अनुमति देने का अनुरोध किया और इस मामले में
पिछले सप्ताह नए हलफनामे दायर किए गए।
फरवरी में, शीर्ष अदालत ने
उत्तर प्रदेश चुनावों में प्रचार करने के लिए खान को अंतरिम जमानत देने से
इनकार कर दिया था और उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय जाने के लिए कहा था,
जहां उनकी जमानत याचिका लंबित थी।
खान और अन्य के खिलाफ कथित तौर पर
संपत्ति हड़पने और सैकड़ों करोड़ रुपये से अधिक के सार्वजनिक धन की
हेराफेरी करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।
--आईएएनएस
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