भारतीय सेना से नाता तोडना चाहते हैं विजय कुमार

By: Team Aapkisaheli | Posted: 07 , 2012

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भारतीय सेना से नाता तोडना चाहते हैं विजय कुमार
नई दिल्ली। लंदन ओलंपिक के सबसे कामयाब निशानेबाज विजय कुमार शर्मा भारतीय सेना से नाता तोडना चाहते हैं। अपने पहले ही ओलंपिक में रजत जीतने वाले विजय को मलाल है कि सेना में उनके राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन को अहमियत नहीं मिली और पिछले छह वर्षो में उन्हें कोई पदोन्नति नहीं दी गई। लंदन ओलंपिक में 25 मी रैपिड फायर पिस्टल स्पर्घा में दूसरा स्थान हासिल करने वाले विजय भारतीय सेना में 16 डोगरा रेजीमेंट के द्वितीय श्रेणी में सूबेदार हैं। विजय ने लंदन में हिन्दुस्तानी मीडिया को दिए अपने साक्षात्कार में कहा कि निशानेबाजी में मुझे भारतीय सेना से काफी मदद मिली, जिसमें कोचिंग सुविधा और पिस्टल तथा कारतूस शामिल हैं, लेकिन मेरी रोजमर्रा की जरूरतें पूरे करने के लिए धन की जरूरत होती है। इस 26 वर्षीय निशानेबाज ने हालांकि ओलंपिक पदक का श्रेय अपने परिवार, प्रायोजक, सेना और कोचों को दिया, लेकिन उन्होंने कहा कि 2006 से मैंने कई अंतरराष्ट्रीय पदक जीते हैं, जिसमें राष्ट्रमंडल खेलों के तीन स्वर्ण और एक रजत तथा अन्य पदक शामिल हैं, लेकिन कोई भी मेरी सिफारिश नहीं भेज रहा। मुझे कोई पदोन्नति या मानद सम्मान नहीं मिला और किसी तरह की अन्य सुविधा नहीं मिली है। छह बार के राष्ट्रीय चैम्पियन विजय ने आईएसएसएफ विश्व कप में दो रजत पदक प्राप्त किए हैं और ग्वांग्झू एशियाई खेलों में वे रैपिड फायर में पदक से चूक गए, लेकिन उन्होंने एयर पिस्टल और सेंटर फायर पिस्टल में दो कांस्य अपने नाम किए थे। दोहा में एशियाई शूटिंग चैम्पियनशिप में उन्होंने स्वर्ण पदक प्राप्त किया। लंदन ओलंपिक में पदक जीतने वाले वे भारत के चौथे निशानेबाज बन गए हैं। इससे पहले अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक में स्वर्ण, राज्यवर्धन सिंह राठौड ने एथेंस ओलंपिक में रजत और लंदन ओलंपिक में गगन नारंग ने कांस्य पदक अपने नाम किया। ओलम्पिक पदक के बाद खिलाडी की जिंदगी में बदलाव आते हैं तो यह पूछने पर कि इस बदलाव के लिए तैयार हैं तो उन्होंने कहा कि मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि मेरी मेहनत का फल मिल गया, मैं किसी तरह के नखरे नहीं करता, जिससे मुझे लेकर मीडिया हाइप नहीं हुई। मीडिया ने भी उन्हें पदक का दावेदार नहीं माना था, पर अब वे सुर्खियां बन गए हैं, तो इस पर निशानेबाजी के जेम्स बांड ने कहा कि यह तो होना ही था, मुझे खुद पर पूरा भरोसा था कि मैं पदक जरूर जीतूंगा। विजय ने कहा कि ओलंपिक पदक हमेशा ही विशेष होता है, इस अहसास को बयां नहीं किया जा सकता। रूसी कोच पावेल स्मिरनोव के साथ ट्रेनिंग मेरे काफी काम आई, जो मानसिक और तकनीक रूप से काफी अच्छे हैं। वे पिछले चार साल से मेरे साथ काम कर रहे हैं, सेना ने अपने सभी निशानेबाजों के लिए उन्हें नियुक्त किया है, लेकिन पिछले दो महीनों से वे सिर्फ मेरे साथ ही थे। उन्होंने कहा कि अभी मैं सिर्फ परिवार के साथ रहना चाहता हूं, जिनसे मैं इतने समय से दूर रहा हूं। ओलंपिक की तैयारियों के लिए मैं करीब डेढ साल से घर से दूर हूं, सिर्फ फोन पर बात होती थी, इसलिए अभी फिलहाल कुछ दिन छुट्टी।
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