टीपीडब्ल्यूएस होता तो टल सकता था यह हादसा

By: Team Aapkisaheli | Posted: 23 May, 2012

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टीपीडब्ल्यूएस होता तो टल सकता था यह हादसा
नई दिल्ली। आंध्रप्रदेश में हुए भीषण रेल हादसे के बाद एक बार फिर से देश में रेल सुरक्षा और चेतावनी प्रणाली की चर्चा होने लगी है। कहा जा रहा है कि रेलवे द्वारा कई बार इस प्रणाली को लगवाने की मांग करने के बावजूद रेलवे बोर्ड ने कभी इस पर गम्भीरता से विचार नहीं किया। गौरतलब है कि मंगलवार को हुए रेल हादसे में 25 लोग मारे गए हैं, जिनमें 5 बच्चे शामिल हैं। बार-बार हो रहे रेल हादसों के बावजूद रेलवे ने अभी तक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण रेल सुरक्षा और चेतावनी प्रणाली (टीपीडब्ल्यूएस) को नहीं लगवाया है।

इस अत्याधुनिक यूरोपीय प्रौद्योगिकी के माध्यम से रेलवे ट्रैक पर होने वाले हादसों को रोका जा सकता है। रेल मंत्रालय ने अभी तक वर्ष 2012-13 में बनने वाले 800 किलोमीटर लंबे रूट पर टीपीडब्ल्यूएस लगाने का ठेका देने की प्रक्रिया ही पूरी नहीं की है। एक किलोमीटर टीपीडब्ल्यूएस के निर्माण में करीब 50 लाख रूपए का खर्च आएगा। इस प्रौद्योगिकी में अगर चालक लाल सिग्नल को पार करता है तो ट्रेन में अपने आप आपातकालीन ब्रेक लग जाएगा। पहले जोनल रेलवे को टीपीडब्ल्यूएस लगाने के लिए कहा गया था, लेकिन फिर निर्णय लिया गया कि इसके लिए ठेका देने का फैसला रेलवे बोर्ड करेगा।

इस फैसले के कारण ही इसमें और देर हो रही है। 12वीं पंचवर्षीय योजना के अनुसार रेलवे 3200 करोड रूपए की लागत से पूरे देश में 3200 किलोमीटर के रूट पर टीपीडब्ल्यूएस लगाएगी। वर्ष 2012-13 और 2013-14 के लिए क्रमश: 800 और 1200 किलोमीटर लंबे रूट पर टीपीडब्ल्यूएस लगाने का फैसला किया गया है, लेकिन इस लक्ष्य के पूरा होने की संभावनाएं कम ही लग रही हैं। आंकडों के अनुसार वर्ष 2000 से 2010 के बीच हुई 2,763 रेल दुर्घटनाओं में से 50 प्रतिशत से ज्यादा रेलवे कर्मचारियों की लापरवाही के कारण हुए।
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