हाईकोर्ट ने कहा: इंडिया में विवाहित महिलाएं ससुराल से ज्यादा तो सडकों पर सुरक्षित

By: Team Aapkisaheli | Posted: 30 , 2014

हाईकोर्ट ने कहा: इंडिया में विवाहित महिलाएं ससुराल से ज्यादा तो सडकों पर सुरक्षित
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने 2011 में पत्नी की हत्या करने वाले एक शख्स की उम्रकैद की सजा को कायम रखा है। साथ ही यह टिप्पणी भी की, भारत में विवाहित महिलाएं ससुराल से ज्यादा तो स़डकों पर सुरक्षित हैं। कोर्ट ने यह भी कहा, भारत में हत्या की हर दसवीं अपील में पति दोषसिद्ध आरोपी होता है और पत्नी पीч़डत। जबकि घटना ससुराल में होती है।
 इससे साफ है कि विवाहित महिलाएं ससुराल में सुरक्षित नहीं हैं। जस्टिस प्रदीप नांद्राजोग और मुक्ता गुप्ता की बेंच ने सोमवार को आरोपी प्रदीप की अपील को खारिज कर दी। ट्रायल कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने कहा था कि हत्या के बाद प्रदीप के घटनास्थल से भागने से साबित होता है कि वह दोषी है। हाईकोर्ट ने भी कहा, ससुराल में हत्या होने पर पत्नी की मौत का कारण बताने की जिम्मेदारी पति की बनती है।
 ऎसा नहीं करने पर पति को हमलावर माना जा सकता है। यह मामला 15 मई 2011 का है। पुलिस के मुताबिक नजफगढ़ रोड पर निवासी प्रदीप ने पत्नी संतोषी की फाव़डा मारकर हत्या कर दी थी। प्रदीप के भाई और उसकी पत्नी ने कोर्ट में बयान दिया था कि हत्या के समय वह घर में मौजूद था। ट्रायल कोर्ट ने इसी आधार पर प्रदीप को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
हाईकोर्ट ने कहा कि यदि किसी और ने संतोषी को चोट पहुंचाई होती तो प्रदीप उसे अस्पताल ले जाता। कोर्ट ने कहा कि भारत में यह देखा गया है कि हमारे समक्ष हत्या के मामले में हर 10वीं अपील करने वाला दोषी मुजरिम पति है और शिकार पत्नी है और अपराध की जगह ससुराल है।
कोर्ट ने कहा कि हत्या के मामले में हमारे सामने आने वाली 10 में से नौ अपील, जिनकी अपराध की जगह घर से बाहर है और इसमें मृतक व्यक्ति पुरूष है। ऎसा लगता है कि भारत में शादीशुदा महिलाएं अपने ससुराल की तुलना में स़डकों पर कहीं अधिक सुरक्षित हैं।

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