टेक्सटाइल डिजाइनर-शानदार करियर का ताना-बाना

By: Team Aapkisaheli | Posted: 21 Jun, 2012

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टेक्सटाइल डिजाइनर-शानदार करियर का ताना-बाना
कपडों के मामले में भारत बहुत समृद्ध है। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू बाजार की मांग से कदम मिलाए रखने के लिए हमें योग्य और प्रतिभाशाली डिजाइनरों की जरूरत है.... जानें टेक्सटाइल की विभिन्न किस्में फैब्रिक के मामले में समृद्ध भारत में पांच किस्म के बेसिक फाइबर पाए जाते हैं-रेशम, ऊन, जूट, सूती और लिनन। रेशम की भी भारत में एक नहीं, छह किस्में उपलब्ध हैं-मलबरी, टसर, एरी और मूंगा आदि। बुनाई, रंगाई, प्रिंटिंग और कढाई जैसे कौशल से फैब्रिक को कई रूपों में गढ़ा जा सकता है। यही विविधता टेक्सटाइल डिजाइनरों को रोमांचित करती है।
कहां हैं केन्द्र
कॉरपोरेट ऑफिस और डिजाइनर स्टूडियो शहरों में स्थित है, लेकिन असल गतिविधियां तो करूर, पानीपत, कुन्नूर जैसे कस्बों में स्थित फैक्टरियों, हथकरघे और हस्तशिल्प केन्द्रों में हो रही हैं जहां परंपरागत शिल्प के अनुसार काम किया जाता है। होम फर्नीशिंग का कलेक्शन तैयार किया जाता है, वह विदेशों में लगातार बिकता है।
बनाएं करिअर
एक टेक्सटाइल डिजाइन प्रोग्राम आपको डिजाइन के तकनीकी और रचनात्मक पहलुओं में प्रशिक्षित करेगा। एक प्रतिष्ठित संस्थान से टेक्सटाइल डिजाइन प्रोग्राम पास करने वाले उम्मीदवार को पहली ही नौकरी में 20,000 से 30,000 रूपए मासिक वेतन मिल सकता है। तो पोलिटेक्निक से कोर्स करने वाला छात्र एक्सपर्ट हाउस जैसे संस्थानों में 8,000 रूपए से शुरूआत कर सकते हैं। काम की दृष्टि से देखें तो टेक्सटाइल उद्योग 1980 से अब तक एक लंबा सफर तय कर चुका है। तब आप या तो एक छोटे से डिजाइन स्टुडियो के लिए काम कर सकते हैं, जो उसे टेक्सटाइल मिलों को ही भेजता था या आप मिल में ही काम पा सकते हैं।चुनौती, डिजाइन की पेपर ड्राइंग तैयार करने तक ही सीमित हैं, आप नहीं जानते कि आपकी रचना किस रूप में सामने आएगी।
फुलटाइम जॉब

टेक्सटाइल डिजाइन ग्रेजुएट्स, एक्सपोर्ट हाउस, बाइंग (खरीदार) हाउस, टेक्सटाइल मिल, हैंडलूम मिल में फुलटाइम नौकरी कर सकते हैं या फिर फैशन डिजाइनरों, डिजाइन स्टुडियो या बाइंग एजेंसी के लिए काम कर सकते हैं। हमें स्थानीय बाजार से फैब्रिक खरीदना पडता था, उसके अनुसार डिजाइन तैयार करने पडते हैं, कढाई करवानी पडती और कलेक्शन से मैच करते पैटर्न प्रिंट करने पडते, उसके बाद ही अच्छा उत्पाद तैयार हो पाात है। कई एक्सपोर्ट हाउस अपने डिजाइनरों को भारत और विदेशों में डिजाइन ईवेंट्स और प्रदर्शनियों में जाने का भी अवसर देते हैं। आप रेमण्ड जैसे अग्रणी फैब्रिक और फैशन रिटेलर के साथ भी काम कर सकते हैं। घरेलू बाजार में टेक्सटाइल डिजाइनरों की मांग है ही, विदेशों में आउटसोर्सिग के लिए डिजाइनरों की मांग बढ रही है।
बन सकते हैं, उद्यमी भी

टेक्सटाइल डिजाइनर बनने के बाद आपके लिए उद्यमी बनने के भी रास्ते खुले हैं। आप अपना डिजाइन स्टुडियो खोलकर डिजाइनरों की सेवाएं ले सकते है, और अंतर्राष्ट्रीय तथा भारतीय क्लाइंट्स की जरूरतें पूरी करने पर अपना ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं। 20-25 लोगों की टीम के साथ उनकी कंपनी डिजाइन फैब्रिक और सॉफ्ट होम फर्नीशिंग पर ध्यान केन्द्रित करती है। हालांकि जब-तब उन्हें अपनी वेबसाइट के जरिए विदेशों से एक अनूठा प्रोजेक्ट भी हाथ लग जाता है। लम्बे समय तक विदेशी ट्रेंड और तकनीक की समझ होने की वजह से हमें यह समझ आ जाती है कि कौन से प्रिंट चल सकते हैं, कौन से नहीं। नवीनतम डिजाइनों से परिचित होने के अलावा सफल उद्यमी बनने के लिए मार्केटिंग और प्रबंधन में कुशल होना भी जरूरी है। एप्रोच बहुत जरूरी है। रचनात्मकता जो बाजार में प्रासांगिक हो और सांस्कृतिक विरासत, शिल्प या क्षेत्रीय पहचान को सामने ला सके, वह आपके लिए अधिक जरूरी है। उनके प्रोजेक्ट्स में घरेलू रिटेल स्टोर के लिए टेक्सटाइल डिजाइन तैयार करना और आर्किटेक्ट्स तथा इंटीरियर डिजाइनरों के साथ काम घरों के लिए होम फर्नीशिंग तैयार करना शामिल है।
कारीगरों से संपर्क भी जरूरी
कारीगरों के साथ काम टेक्सटाइल डिजाइनरों के काम का एक अन्य पहलू है। कलाकारों से संपर्क बनाए रखने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है इससे समस्या सुलझने वाले अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्हें बाजार संबंधी जानकारी देना आपका भी काम है। यदि आप चुनौतियां स्वीकार नहीं करते तो डिजाइन प्रोफेशन आपके लिए है ही नहीं।
कहां से करें कोर्स
टेक्सटाइल डिजाइन कोर्स कक्षा 12 के बाद डिजाइन संस्थानों द्वारा करवाया जाने वाला चार वर्षीय अंडरग्रेजुएट कोर्स है। चयन प्रेक्टिकल स्टुडियो टेस्ट और इंटरव्यू के जरिए होता है, डिजाइन कैरियर में आपका एप्टीट्यूड, रूचि और मोटीवेशन का स्तर आंका जाता है। फैब्रिक, शिल्प या संबंधित पहलुओं का अनुभव जरूरी है। (प्रवेश परीक्षाओं के लिए कैरियर्स 360.कॉम देखें)। रचनात्मकता दर्शाने के लिए आपको पोर्टफोलियो भी तैयार करना पड सकता है। कोर्स में पहले साल बुनियादी डिजाइन कोर्स कराया जाता है, इसके अलावा छात्र स्पेशलाइजेशन के क्षेत्रों से परिचित होते हैं। पाठ्यक्रम प्रोजेक्ट्स से जुडा होता है और टेक्सटाइल के सारे पहलू इसमें शामिल होते हैं, मसलन, वीविंग (बुनाई), प्रिंटिंग, रंगाई और विभिन्न उपयोगों के लिए फैब्रिक तैयार करना। स्टुडेंट्स एक्सचेंज प्रोग्राम भी समृद्ध अनुभव करवाने वाले होते हैं।
पीजी के लिए योग्यता
आपने किसी संबंधित स्ट्रीम से ग्रेजुएशन किया है, तो टेक्सटाइल का ज्ञान अर्जित करने के लिए पीजी कर सकते हैं। एनआईडी में पीजी प्रोग्राम के लिए योग्यताएं हैं-बीएफए, डिजाइन डिग्री इन टेक्सटाइल, निटवियर या फैशन, टेक्सटाइल्स के साथ होम साइंस, इंटीरियर डिजाइन एंड आर्किटेक्चर, टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी में स्पेशलाइजेशन वाली इंजीनियरिंग डिग्री कर चुके भी पीजी प्रोग्राम कर सकते हैं। अन्य विषय में ग्रेजुएट्स को टेक्सटाइल्स उद्योग में एक साल का अनुभव है तो यह पीजी प्रोग्राम कर सकते हैं।
और भी हैं रास्ते
आप टेक्सटाइल डिजाइन में स्पेशलाइजेशन के साथ बैचलर इन फाइन आर्ट्स भी कर सकते हैं, इस कोर्स का फोकस तकनीकी कौशल पर होता है। लेकिन डिजाइन संस्थानों और फाइन आर्ट्स कॉलेजों में सीटें सीमित होती हैं। एक अन्य रास्ता है, बीएससी इन होम साइंस जिसमें टेक्सटाइल भी एक विषय होता है। मिसाल के तौर पर लेडी इरविन कॉलेज बीएससी इन होम साइंस प्रोग्राम में फैब्रिक एंड ऎपेरल साइंस की भी पेशकश करता है। इसके अलावा फैब्रिक एंड ऎपेरल साइंस में एमएससी भी उपलब्ध है। दुर्भाग्य से होम साइंस कोर्स महिलाओं के लिए ही है। पोलिटेक्निक और क्राफ्ट्स इंस्टीट्यूट भी ऎसे प्रोग्राम की पेशकश करते हैं। कई डिजाइन और छोटे स्टुडियो इन संस्थानों से सहायकों का चयन करते हैं। नियुक्ति पार्ट टाइम या प्रोजेक्ट के आधार पर होती है। आप कोई भी रास्ता अपनाएं, रचनात्मकता, टेक्सटाइल के लिए जुनून और अधिक से अधिक सीखने की लगन आपको दूसरों से आगे ले जाएगी।
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