उसने सिर्फ चालीस हजार में बेचा जिगर का टुकडा

By: Team Aapkisaheli | Posted: 10 , 2012

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उसने सिर्फ चालीस हजार में बेचा जिगर का टुकडा
जयपुर। राजस्थान में एक मां ने अपने जिगर के टुकडे को महज चालीस हजार रूपए में बेच दिया। पुलिस ने इस मामले में संध्या नाम की एक महिला और उसके पति अशोक सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए लोगों में संध्या के आठ दिन के नवजात बच्चे को खरीदने वाले दम्पती विनोद और उनकी पत्नी शकुन्तला भी शामिल हैं। संध्या एक ऎसी अभागी माँ है जिसे अपने नवजात बेटे को सिर्फ इसलिए बेचना पड गया, क्योंकि उसे अपने दूसरे लाल की जिंदगी बचाने के लिए पैसों की जरूरत थी। उसका दूसरा बेटा रौनक साढे तीन साल का है, जो बीमार था। यह घटना राज्य के सरहदी जिले श्रीगंगानगर में उस वक्त सामने आई जब बच्चों को खरीदने वाले ने वादे के मुताबिक पैसों का भुगतान नहीं किया और संध्या और उसका पति अशोक इसकी शिकायत लेकर पुलिस थाने पहुंचे। पुलिस के मुताबिक यह सौदा चालीस हजार में हुआ। संध्या का दूसरा बेटा जन्म से ही बीमार है और उसके इलाज के लिए चालीस हजार रूपए का खर्च बताया गया था। श्रीगंगानगर में पुलिस की मानव तस्करी विरोधी शाखा के प्रमुख श्रवण दास ने बताया कि पुलिस ने सौदे की पहली किश्त में भुगतान हुए बीस हजार रूपए में से चौदह हजार संध्या के परिवार से बरामद कर लिए जबकि छह हजार रूपए संध्या के प्रसव में इलाज पर खर्च हो गए। पुलिस ने इस मामले में एक सब रजिस्ट्रार सहित 11 लोगों का नाम प्राथमिकी में दर्ज किया है, क्योंकि यह सारी कार्यवाही गोदनामे के बहाने हुई और बाकायदा उसका पंजीयन भी हुआ। श्रवण दास के मुताबिक, इसमें गवाह, वकील और इस दस्तावेज का पंजीयन करने वाले सरकारी अधिकारी से पूछताछ हो रही है। अगर आरोप साबित हुआ तो और भी गिरफ्तारियां की जा सकती हैं। संध्या ने 31 जुलाई को श्रीगंगानगर शहर में बच्चे को जन्म दिया और तीन अगस्त को करार के मुताबिक, संध्या ने अपने आँखों के तारे को दूसरे दम्पती को दे दिया। और जब पुलिस के पास पहुंचा तो वह हरकत में आई और यह नन्हीं जान फिर से अपनी मां के आंचल की छांव में आ गई। राजस्थान में सरकार ने बीते साल ही अपने चौदह हजार स्वाथ्य केंद्रों और अस्पतालों पर सभी के लिए मुफ्त दवा का उपलब्ध कराने का काम शुरू किया है। ऎसे में सवाल उठता है कि इस पर भी कोई मां सिर्फ एक बेटे के इलाज के लिए दूसरे को दवा-इलाज के लिए क्यों बेच रही है सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव का कहना है कि मुफ्त दवा कार्यक्रम का हम स्वागत करते हैं मगर अब भी इलाज बहुत महंगा है। हम चाहते हैं सरकार एक विहंगम स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू करे, क्योंकि विकलांग और अपाहिज बच्चों के लिए कुछ भी नहीं है।
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