प्रथम पुण्यतिथि : याद आए शम्मी कपूर

By: Team Aapkisaheli | Posted: 14 , 2012

शाहरूख का महिलाओं का सम्मान, शुरूआत दीपिका से करेंगे!
प्रथम पुण्यतिथि : याद आए शम्मी कपूर
बॉलीवुड के बहुचर्चित कपूर खानदान के सदस्य शम्मी कपूर की आज प्रथम पुण्यतिथि है। शम्मी कपूर ने रविवार 14 अगस्त, 2011 को मुम्बई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली थी। शम्मी कपूर बॉलीवुड के दिवंगत अभिनेता पृथ्वीराज कपूर के तीन बेटों में से एक थे। वह अपने भाइयों राजकूपर और शशि कपूर की तरह ही हरफनमौला अभिनेता थे।

शम्मी कपूर ने वर्ष 1948 में सिनेमा जगत में बतौर जूनियर कलाकार की हैसियत से कदम रखा था। उस समय उन्हें प्रति महीने 150 रूपये मिलते थे। उन्होंने वर्ष 1953 में फिल्म जीवन ज्योति से अपने अभिनय करियर की शुरूआत की। बॉलीवुड के इस जंगली अदाकार ने अपना फिल्मी करियर अपने पिता पृथ्वीराज कपूर के पृथ्वी थियेटर में अभिनय की बारीकियाँ सीखने के बाद स्वयं के बलबूते पर शुरू किया था। जिन दिनों शम्मी कपूर ने अपना अभिनय सफर शुरू किया था उनके बडे भाई राजकपूर अपना सिक्का बॉलीवुड में जमा चुके थे। वे सुपर सितारे और निर्माता निर्देशक के रूप में जाने जाते थे। ऎसा नहीं कि शम्मी कपूर के सामने सिर्फ राजकपूर ही थे, बल्कि उनके सामने राजकपूर से कहीं ज्यादा उम्दा अदाकार दिलीप कुमार और देव आनन्द भी थे, जिनके सामने स्वयं को सिद्ध करना बेहद मुश्किल काम था।

जिस तरह से फिल्म उद्योग में दूसरा दिलीप कुमार, राजकपूर और वर्तमान समय के महानायक अमिताभ बच्चन बॉलीवुड को नहीं मिल सकता है, उसी तरह शम्मी कपूर के बाद बॉलीवुड को उन जैसा कलाकार देखने को शायद ही मिले। जीवन ज्योति (1953), रेल का डिब्बा (1953), ठोकर (1953), लैला मजनूं (1953, नूतन), लडकी (1953), गुल सनोबर (1953), खोज (1953), शमा परवाना (1954), मेहबूबा (1954), अहसान (1954), चोर बाजार (1954), तांगे वाली (1955), नकाब (1955), डाकू (1955), मिस कोका कोला (1955), हम सब चोर हैं (1956), मेमसाहब (1956), रंगीन रातें (1956, माला सिन्हा), सिपहसालार (1956) जैसी बी ग्रेड फिल्मों में उन्हें काम मिला।

ये सभी फिल्में लाइन से पिटी। पतली-सी पेंसिल मूंछ और अजीब सी हेअर स्टाइल वाले शम्मी कपूर को इन फिल्मों की असफलता ने यह तो दर्शा दिया कि अगर उन्हें राजकपूर, दिलीप कुमार और देव आनन्द के सामने स्वयं को दर्शकों की नजरों में लाना है तो कुछ ऎसा करना पडेगा जिससे दर्शक उनकी फिल्मों को देखने के लिए सिनेमा हॉल की तरफ रूख करें। इसी को मद्दे नजर रखते हुए शम्मी कपूर ने हॉलीवुड सितारे एçल्क्स प्रेस्ले और जेम्स डीन को अपना आदर्श बनाया और बॉलीवुड में उनकी स्टाइल को अपनाते हुए स्वयं को नए सिरे दर्शकों के सामने पेश किया जिसमें उनकी मदद फार्मूला फिल्मों के कामयाब निर्माता-निर्देशक नासिर हुसैन ने की। 1957 में नासिर हुसैन ने शम्मी कपूर को अमिता नामक एक नई नायिका के साथ तुम सा नहीं देखा में नए गैटअप में पेश किया।

इस फिल्म को दर्शकों ने हाथों-हाथ लिया और शम्मी कपूर ने तुमसा नहीं देखा कि जरिये पहली बार सफलता का स्वाद चखा। इस फिल्म की सफलता से पहले शम्मी कपूर ने बॉलीवुड को लाइन से 21 असफल फिल्में दीं। उस वक्त इतनी बडी असफलता के बाद भी अगर निर्माता निर्देशक उन्हें अपनी फिल्मों में ले रहे थे तो सिर्फ इसलिए कि उन समय की तिकडी के पास इन निर्माता निर्देशकों के लिए समय नहीं था और दूसरे निर्देशकों को यह विश्वास था कि यह पृथ्वीराज कपूर का बेटा और राजकपूर का भाई है कभी न कभी तो दर्शकों के सामने स्वयं को सिद्ध करेगा ही। इसी विश्वास का नतीजा रहा जब शम्मी कपूर ने नासिर हुसैन की तुम सा नहीं देखा जैसी सफलतम फिल्म दी। इसके बाद शम्मी कपूर ने कभी पीछे मुडकर नहीं देखा। तुमसा नहीं देखा के बाद शम्मी कपूर ने 1957 में ही महारानी, कॉफी हाउस, मिर्जा साहिब, मुजरिम (1958) बॉलीवुड को दीं लेकिन इन फिल्मों को वो सफलता नहीं मिली जो तुमसा नहीं देखा को मिली थी।

उनके करियर की गाडी को खींचने का जिम्मा फिर से नासिर हुसैन ने उठाया और उन्हें 1958 में एक और नई तारिका आशा पारिख के दिल देके देखो में पेश किया। नासिर हुसैन मसाला फार्मूला फिल्मों के जनक शशधर मुखर्जी के साथ फिल्मस्तान स्टूडियो में काम कर चुके थे उन्हें मालूम था कि दर्शक को किस तरह से रिझाया जा सकता है। नतीजा सामने था 1958 में प्रदर्शित हुई दिल देके देखो ने सफलता का नया इतिहास रचा जिसने शम्मी कपूर को तो बॉलीवुड में चलताऊ नायक बनाया ही, वहीं नई तारिका आशा पारेख को भी उसने स्थायित्व प्रदान किया। शशधर मुखर्जी के पुत्र सुबोध मुखर्जी ने शम्मी कपूर द्वारा इजाद की गई नृत्य शैली को भांपा और उन्होंने उन्हें बॉलीवुड की बेहद खूबसूरत अभिनेत्री सायरा बानो के साथ 1961 में जंगली नामक फिल्म में पेश किया। जंगली शम्मी कपूर के करियर के पहली &प्त2318;सी फिल्म थी जिसने उनके करियर में सफलता का वो इतिहास लिखा जिसे वे आगामी दस वर्ष अर्थात् 1971 तक जब तक वे नायक बनकर आते रहे, नहीं दोहरा पाए।

सुबोध मुखर्जी की जंगली में उनका याहू स्टाइल की नृत्य शैली ने सबको अपना दीवाना बनाया। शम्मी कपूर ने सुप्रसिद्ध अभिनेत्री गीताबाली के साथ पहला विवाह किया था। उन दिनों गीताबाली सुपर सितारा और गायिका थीं। लेकिन इन दोनों के प्रेम में कभी भी असफलता-सफलता आडे नहीं आई। इन दोनों की प्रेम कहानी 1955 में फिल्म रंगीन रातें से शुरू हुई थी, जिसमें शम्मी कपूर नायक थे और गीताबाली ने इस फिल्म में एक कैमियो किया था। गीताबाली से शम्मी कपूर को एक लडका आदित्य और बेटी कंचन हुई। 1965 में जब शम्मी कपूर आशा पारेख के साथ नासिर हुसैन की तीसरी मंजिल की शूटिंग में व्यस्त थे, गीताबाली की चेचक से मृत्यु हो गई। 1968 में शम्मी कपूर का अपनी सहनायिका मुमताज के साथ चल रहा प्रेम प्रसंग असफल रहा। मुमताज के साथ उन दिनों शम्मी कपूर जीपी सिप्पी की फिल्म ब्रम्हचारी कर रहे थे। हालांकि इस फिल्म की मुख्य नायिका राजश्री थी, जिनके साथ वे इससे पहले जानवर कर चुके थे। मुमताज के साथ अपने सम्बन्धों के खात्मे के बाद उन्होंने 1969 में गुजरात के भावनगर के शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाली नीला देवी गोहिल से दूसरा विवाह किया, जो उनके मरणोपरान्त तक कायम रहा।
शाहरूख का महिलाओं का सम्मान, शुरूआत दीपिका से करेंगे!Next

Mixed Bag

Ifairer