सत्यमेव जयते : दास्तां दहेज की

By: Team Aapkisaheli | Posted: 20 May, 2012

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सत्यमेव जयते : दास्तां दहेज की
पिछले रविवार को दर्शकों के सामने आमिर खान ने बाल यौन शोषण की समस्या को रखा था। उस कडी को देखने के बाद दर्शकों में आमिर खान के प्रति एक तीखी प्रतिक्रिया गई थी जिसमें कहा गया था कि वे दर्शकों की भावनाओं के साथ खेलना चाहते हैं। उनके सामने बैठे दर्शकों और श्रोताओं के आंखों से बहने वाले आंसु बनावटी हैं।

शो की शुरूआत में पीडित द्वारा जिस तरह से रोने या दुखी होने का अभिनय किया जा रहा है वह सब शो को लोकप्रिय बनाने का एक माध्यम है। लेकिन आज अपने कार्यक्रम की तीसरी कडी में उन्होंने जो दिखाया उसने न चाहते हुए भी दर्शकों की आंखों से आंसू बहने दिए बल्कि कई महिला दर्शकों की तो हिचकिया तक बंधवा दी। दास्तां दहेज की सत्यमेव जयते का तीसरा एपिसोड जिसने अपनी शुरूआत से लेकर आखिर तक दर्शकों को अपने साथ बांधकर रखा।

डेढ घंटे के इस कार्यक्रम को देखते वक्त दर्शक उस वक्त भी नहीं हिला जब कार्यक्रम के बीच में ब्रेक लिया गया। नई दिल्ली की कोमल सेठी से आरम्भ हुई दहेज के दर्द की दास्तां मदुरई की होनहार लेक्चरर निशाना से होते हुए पंजाब की परमजीत कौर तक पहुंची। हर कहानी निरन्तर बहते आंसुओं की स्याही से लिखी हुई थी।

दहेज के खिलाफ सत्यमेव जयते का यह एपिसोड इतना उम्दा और कसावट भरा था कि पूरे वक्त परिवार स्तब्ध सा टीवी के सामने रहा। क्योंकि हर घर में एक बेटी होती है, मां और बहन होती है। क्योंकि यह दर्द हर दिल में रिसता है। अंत में गीत पतवार बनूंगी, लहरों से ल़डूंगी के आह्वान के बाद आमिर के ज्वलंत विचार झकझोरने में सक्षम रहे। सत्यमेव जयते के साथ सोचना हम सबको है क्योंकि दहेज कोई नई समस्या नहीं है, इससे ल़डने के लिए अपनी सोच नई बनानी होगी।
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