रणवीर सेना प्रमुख की हत्या, भडकी हिंसा

By: Team Aapkisaheli | Posted: 01 Jun, 2012

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रणवीर सेना प्रमुख की हत्या, भडकी हिंसा
आरा। बिहार में ऊंची जातियों की प्रतिबंधित निजी सेना रणवीर सेना के मुखिया ब्रहवेश्वर सिंह उर्फ मुखियाजी की शुक्रवार सुबह अज्ञात हमलावरों ने भोजपुर जिले के आरा में गोली मार कर हत्या कर दी। हत्या के बाद हिंसा भडक उठी। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन ने आरा में एक दिन का कर्फ्यू लगा दिया। गुस्साए समर्थकों ने सर्किट हाउस, बीडीओ कार्यालय व स्थानीय रेलवे स्टेशन तथा कुछ वाहनों में आग लगा दी। प्रदर्शनकारियों ने आरा में जिला जज के घर पर भी हमला किया।

प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों ने आरा में स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में बताई है। पूरे जिले में धारा 144 भी लागू कर दी गई। मुखिया को सुबह टहलते समय पटना से करीब 71 किलोमीटर दूर नवादा पुलिस थाने के अंतर्गत कतिरा मोहल्ले में गोली मारी गई। हमलावरों ने कई गोलियां सिंह के शरीर में उतार दीं। मुखिया की हत्या के बाद वहां हिंसा फैल गई। सेना के सैंक़डों समर्थक हत्या वाले स्थान पर एकत्र हो गए और सरकार विरोधी नारे लगाने लगे। उन्होंने मौके पर पहुंची पुलिस को भी दौडाया। मुखिया के समर्थकों ने सर्किट हाउस व एक छात्रावास में आग लगा दी। हालांकि पुलिस ने हालात पर काबू पा लिया। मुखिया के खिलाफ नरसंहार के कई मामले थे। 16 मामलों में मुखिया को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया था। बाकी छह मामलों में वह जमानत पर था।

भोजपुर जिले में संदेश ब्लॉक की खोपिरा पंचायत के पूर्व मुखिया सिंह ने 1947 में बेलौर ब्लॉक के तत्कालीन मुखिया शिव नारायण चौधरी के स्थान पर रणवीर किसान संघर्ष समिति का नेतृत्व संभाला था। दरअसल चौधरी के नेतृत्व में समिति भोजपुर जिले के कई गांवों में किसानों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने के सीपीआई (माले) के फैसले का विरोध नहीं कर पा रही थी। तब मुखिया ने समिति को एक सशस्त्र संगठन में बदल दिया जो अंततया रणवीर सेना बनी। 25 जुलाई 1995 को रणवीर सेना ने बेलौर गांव में स्थित सेना मुख्यालय के पास सरथुआ गांव में एक जाति के छह लोगों की हत्या कर दी। हालांकि मुखिया भोजपुर जिले के सहर ब्लॉक के बथानी टोला में 10 जुलाई 1996 को किए गए नरसंहार के बाद सबकी नजरों में आया। इस नरसंहार में मरने वालों में अधिकतर बच्चे व महिलाएं थीं। हाल ही मुखिया को बथानी टोला नरसंहार मामले में बाइज्जत बरी कर दिया गया था। राज्य में 90 के दशक में हुए कई नरसंहारों में रणवीर सेना का हाथ माना जाता है।
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