हंगामे के बीच राज्यसभा में आरक्षण विधेयक पेश

By: Team Aapkisaheli | Posted: 09 Jan, 2019

हंगामे के बीच राज्यसभा में आरक्षण विधेयक पेश
नई दिल्ली। सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में आरक्षण के प्रावधान वाले विधेयक को बुधवार को राज्यसभा में पेश किया गया। विधेयक को लेकर विपक्ष के हंगामे के कारण कार्यवाही अपराह्न तक के लिए स्थगित कर दी गई। विपक्ष ने मांग की है कि सामान्य वर्गों को आरक्षण प्रदान करने वाले संविधान विधेयक पर व्यापक विचार के लिए एक प्रवर समिति के पास भेजा जाए। हालांकि सरकार इसे शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन बुधवार को पारित कराना चाहती है।

लोकसभा में संविधान (124वां संशोधन) विधेयक पारित हो चुका है। यह सरकारी सेवा और उच्च शिक्षण संस्थानों में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करता है। केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत ने इसे राज्यसभा में पेश किया।

गहलोत द्वारा विधेयक पेश किए जाने के दौरान द्रविड़ मुनेत्र कडग़म (द्रमुक) की कनिमोझी ने इस पर आपत्ति जताई और इसे प्रवर समिति के पास भेजने की मांग की।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के डी. राजा ने भी आपत्ति जताते हुए विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की।

कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री ने कहा कि विधेयक पूर्ण नहीं है। उन्होंने सरकार से कहा कि एक ही दिन में इसे पेश किया जाना और उसी दिन इस पर मतदान नहीं हो सकता। उन्होंने पूछा कि विधेयक को पारित करने को लेकर इतनी जल्दी क्यों है।

कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्य नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 के विरोध में सदन के बीच पहुंच गए, जो मंगलवार को लोकसभा में पारित हुआ था।

सदस्य सत्र के बुधवार तक ‘एकतरफा’ विस्तार के खिलाफ भी यह कहते हुए विरोध कर रहे थे कि यह विपक्ष के परामर्श के बिना किया गया। उन्होंने कहा कि सभापति ने सदन के कार्य दिवस में एक दिन के विस्तार की घोषणा नहीं की और न ही सदस्यों की सहमति मांगी।

संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने कहा कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह अपराह्न दो बजे नागरिकता संशोधन विधेयक पर बयान देंगे। उन्होंने कांग्रेस पर आरक्षण विधेयक को रोकने के लिए तकनीकी मुद्दों को उठाने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप खुले तौर पर विधेयक का विरोध करते हैं, तो यह अलग बात है। अन्यथा, इस पर चर्चा किया जाए, क्योंकि यह पहले ही पेश किया जा चुका है।’’

कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि उनकी पार्टी आरक्षण विधेयक का विरोध नहीं कर रही है, लेकिन सरकार को सत्ता में रहने के साढ़े चार साल बाद विधेयक को पेश करने के पीछे का कारण बताना चाहिए।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार वोट हासिल करने के लिए ऐसा कर रही है।

विधेयक को पेश करते हुए गहलोत ने कहा कि संविधान अभी आर्थिक आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता है और इसके कारण सामान्य श्रेणी के गरीब लोग अवसरों से चूक जाते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘सामान्य वर्ग के गरीबों द्वारा शिकायत की गई थी कि वे सरकारी लाभों का फायदा नहीं उठा पा रहे हैं। यह निर्णय बहुत सोच-विचार के बाद लिया गया है। यह विधेयक गरीबों के उत्थान के लिए होगा।’’

उन्होंने सदस्यों से विधेयक को सर्वसम्मति से पारित करने की अपील की। इसके बाद भाजपा सदस्य प्रभात झा ने बहस शुरू की। लेकिन, शोर-शराबा व हंगामा जारी रहा और उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने सदन को अपरान्ह दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।

संविधान (124 वां संशोधन) विधेयक के पक्ष में 323 सदस्यों द्वारा मतदान करने पर मंगलवार को लोकसभा में यह पारित हुआ। तीन सदस्यों ने इसके विरोध में मत दिया था।

इससे पहले भी, सत्र के ‘एकतरफा’ विस्तार पर सदस्यों के विरोध के बाद सदन को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया था।

(आईएएनएस)

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