प्रधानमंत्री मोदी ने मुसलमानों के लिए क्या किया,...क्यों बुलाए हम : बुखारी

By: Team Aapkisaheli | Posted: 30 Oct, 2014

प्रधानमंत्री मोदी ने मुसलमानों के लिए क्या किया,...क्यों बुलाए हम : बुखारी
नई दिल्ली। जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्यौता नहीं देने के सवाल पर कहा पीएम मुसलमानों के प्रतीकों का भी इस्तेमाल करने से कतराते हैं। उन्होंने कहा कि मोदी ने मुसलमानों के लिए क्या किया है। बुखारी ने कहा कि मोदी को मुसलमानों में विश्वास जगाने के लिए आगे आना चाहिए। गौरतलब है कि बुखारी ने अपने बेटे की दस्तारबंदी रस्म के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को बुलाया है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नहीं। बुखारी ने 19 साल के अपने छोटे बेटे शाबान बुखारी को अपना वारिस घोषित किया है। गौरतलब है कि बुखारी ने अपने बेटे की दस्तारबंदी रस्म के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को बुलाया है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नहीं। बुखारी ने 19 साल के अपने छोटे बेटे शाबान बुखारी को अपना वारिस घोषित किया है। इमाम की ताजपोशी के कार्यRम में बीजेपी के चार नेताओं गृह मंत्री राजनाथ सिंह, स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन, बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन और राज्यसभा सांसद विजय गोयल को न्योता भेजा गया है। इसके अलावा सोनिया गांधी, राहुल गांधी, अभिषेक मनु सिंघवी, एसपी मुखिया मुलायम सिंह यादव और सीएम अखिलेश यादव भी मेहमानों की लिस्ट शामिल किए गए हैं।
देश में इन नेताओं को बुलाया
शाही इमाम ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन राज्यसभा सांसद विजय गोयल सहित कई भाजपा नेताओं को समारोह में शामिल होने का न्योता दिया है। इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी, प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी, समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी आयोजन में शामिल होने का न्योता भेजा गया है। मोदी से नहीं जु़डे मुसलमान : बुखारी
बुखारी ने कहा कि देश के मुसलमान अभी तक मोदी से जु़ड नहीं पाए हैं। इसलिए उन्हें नहीं बुलाया गया है। शाही इमाम ने बताया कि मोदी मुसलमानों के प्रतीकों का भी इस्तेमाल करने से कतराते हैं। उनके इस रवैये से मुसलमान उनसे नहीं जु़ड पाए हैं। पीएम को मुसलमानों में विश्वास जगाने के लिए आगे आना चाहिए।
а350 साल से पुरानी शाही इमाम की परंपरा
जामा मस्जिद 1656 में तैयार हुई थी। 24 जुलाई 1656 को ईद के मौके पर मस्जिद में पहली बार नमाज पढ़ी गई, जिसके बाद इमाम गफूर शाह बुखारी को बादशाह की तरफ से लिबास और दोशाला दी गई और शाही इमाम का खिताब दिया गया। तभी से शाही इमाम की यह परंपरा चली आ रही है।

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