हो जाइए तैयार बढेंगे पेट्रोल के दाम!

By: Team Aapkisaheli | Posted: 22 May, 2012

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हो जाइए तैयार बढेंगे पेट्रोल के दाम!
नई दिल्ली। पेट्रोलियम कंपनियों ने साफ किया है कि वह मंगलवार को खत्म हो रहे संसद सत्र के बाद कभी भी पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि कर सकती हैं। तेल कंपनियों का कहना है कि वर्तमान में पेट्रोल पर अंडर रिकवरी 7.17 रूपए है और इसमें स्थानीय करों को मिला दिया जाएगा तो कम से कम 8.60 रूपए प्रति लीटर की वृद्धि की जानी चाहिए। इंडियन आयल कंपनी ने कहा है कि उसे एक लीटर पर सात रूपये का घाटा उठाना प़ड रहा है। इस घाटे के लिए उसको पेट्रोल की कीमतों में करीब आठ रूपये की वृद्धि करनी होगी। देश में तेल विपणन क्षेत्र की अग्रणी कंपनी इंडियन ऑयल कार्पोरेशन लिमिटेड (आईओसी) के अध्यक्ष आरएस बुटोला का कहना है कि वर्तमान कीमत पर पेट्रोल बेचने से कंपनी को आठ रूपए का नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारी घाटे और कंपनी की वित्तीय सेहत पर इसके पडने वाले प्रभाव को देखते हुए पेट्रोल की कीमत में जल्दी ही बढोतरी करनी पड सकती है। बुटोला ने कहा कि कंपनी ने सरकार से डीजल, एलपीजी और मिट्टी के तेल की बिक्री पर हो रही अंडर रिकवरी के लिए भी पत्र लिखा है। कंपनी को एक लीटर डीजल की बिRी पर 13.64 रूपए, मिट्टी तेल पर 31.41 रूपए पर रसोई गैस के 14 किलो के सिलेंडर पर 479 रूपए का भारी घाटा हो रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2011-12 के दौरान पेट्रोल को लागत से कम कीमत पर बेचने से तेल विपणन कंपनियों को 4859 करो़ड रूपए का घाटा हुआ है। डीजल, मिट्टी तेल और रसोई गैस की 138541 करोड रूपए की अंडर रिकवरी अलग है। पेट्रोल की बढी कीमतों की आहट अभी से बाजारों में सुनने को मिल रही है। आम जनता को अब बढती महंगाई के लिए तैयार होना होगा क्योंकि पेट्रोल की कीमतों में हुई वृद्धि के साथ ही रोजाना इस्तेमाल की जाने वाली चीजों के दाम बढ जाएंगे। आने वाले दिनों में अब लोगों को अपनी जरूरत की चीजों के लिए कुछ और जेब ढीली करनी होगी। संसद का बजट सत्र समाप्त हो गया है और इसके बाद तेल विपणन कंपनियां पेट्रोल की कीमतों में भारी बढोतरी का कभी भी ऎलान कर सकती है। तेल विपणन कंपनियों को जून 2010 में ही पेट्रोल की कीमतों को अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों के आधार पर संशोधन करने की स्वतंत्रता दे दी गई थी। किंतु चुनावों के मौकों पर दामों में बढोतरी के राजनीतिक असर को देखते हुए कंपनियां चाह कर भी सरकार से अनुमति नहीं मिलने पर वृद्धि नहीं कर पाई हैं। तेल कंपनियां ने पेट्रोल की कीमत में एक दिसम्बर 2011 को अंतिम बार बढोतरी की थी और इसके बाद उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और अरूणाचल विधानसभाओं और अप्रैल में दिल्ली नगर निगमों के चुनाव फिर बजट सत्र की वजह से दाम नहीं बढाए जा सके। हालांकि इस दौरान कंपनियों ने सरकार से दाम बढाने की अनुमति मांगी थी। किंतु सरकार की तरफ से हरी झंडी नहीं मिली। घटक दलों की नाराजगी के बावजूद सरकार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कुछ बढोतरी के लिए हरी झंडी दे सकती है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने वित्त विधेयक पर संसद के दोनों सदनों में वित्तीय विधेयक पर हुई चर्चाओं का उत्तर देते हुए इस बात के संकेत दिए थे कि यदि कदम नहीं उठाए गए तो स्थिति बिगड सकती है। मुखर्जी ने कीमतों में बढोतरी का सारा भार उपभोक्ताओं पर नहीं पडे इसके लिए इसे केन्द्र, राज्य सरकार और उपभोक्ताओं में विभाजित करने की बात कही थी। उन्होंने राज्य सरकारों को करों में कमी करने का सुझाव दिया है। विदेशों में कच्चे तेल की कीमतों में फिलहाल नरमी का संकेत है। किन्तु डॉलर के मुकाबले टूटते रूपए ने कंपनियों की चिंता को बढा दिया है। देश में ईंधन की जरूरत को पूरा करने के लिए कुल मांग का करीब 70 प्रतिशत कच्चा तेल आयात किया जाता है।
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