पेट्रोल कीमत में 7.50 रूपए बढोतरी, कच्चे तेल में नरमी फिर क्यों बढे दाम

By: Team Aapkisaheli | Posted: 23 May, 2012

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पेट्रोल कीमत में 7.50 रूपए बढोतरी, कच्चे तेल में नरमी फिर क्यों बढे दाम
नई दिल्ली। आम आदमी को एक बार फिर पेट्रोल की दरों में बढोतरी की मार झेलनी पडेगी। पेट्रोल की कीमतों में साढे सात रूपए प्रति लीटर का इजाफा हो गया है। बढी हुई दरें गुरूवार रात से लागू हो जाएंगी। यह पहला मौका है जब पेट्रोल के दामों में सर्वाधिक बढोतरी की गई है। विदेशों में कच्चे तेल की कीमतों में फिलहाल नरमी का संकेत है, किंतु डालर के मुकाबले टूटते रूपए ने कंपनियों की चिंता को बढा दिया है। देश में ईधन की जरूरत को पूरा करने के लिए कुल मांग का करीब 70 प्रतिशत कच्चा तेल आयात किया जाता है। तेल कंपनियों का कहना है कि वर्तमान में पेट्रोल पर अंडर रिकवरी 7.17 रूपए है और इसमें स्थानीय करों को मिला दिया जाएगा तो कम से कम 8.60 रूपए प्रति लीटर की वृद्धि की जानी चाहिए। संसद का बजट सत्र मंगलवार को समाप्त होने के साथ ही साफ संकेत मिलने लगे थे कि तेल विपणन कंपनियां किसी भी समय पेट्रोल की कीमतों में भारी बढोतरी का ऎलान कर सकती है, हुआ भी ऎसा ही। घटक दलों की नाराजगी के बावजूद सरकार पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढोतरी के लिए गुरूवार को हरी झंडी दे दी। तेल कंपनियां ने पेट्रोल की कीमत में एक दिसम्बर 2011 को अंतिम बार बढोतरी की थी और इसके बाद उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और अरूणाचल विधानसभाओं और अप्रेल में दिल्ली नगर निगमों के चुनाव फिर बजट सत्र की वजह से दाम नहीं बढ़ाए जा सके। हालांकि इस दौरान कंपनियों ने सरकार से दाम बढ़ाने की अनुमति मांगी थी, किंतु सरकार की तरफ से हरी झंडी नहीं मिली। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने वित्त विधेयक पर संसद के दोनों सदनों में वित्तीय विधेयक पर हुई चर्चाओं का उत्तर देते हुए इस बात के संकेत दिए थे कि यदि कदम नहीं उठाए गए तो स्थिति बिगड सकती है। मुखर्जी ने कीमतों में बढ़ोतरी का सारा भार उपभोक्ताओं पर नहीं पडे इसके लिए इसे केन्द्र, राज्य सरकार और उपभोक्ताओं में विभाजित करने की बात कही थी। उन्होंने राज्य सरकारों को करों में कमी करने का सुझाव दिया है। देश में तेल विपणन क्षेत्र की अग्रणी कंपनी इंडियन आयल कार्पोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष आर एस बुटोला का कहना है कि वर्तमान कीमत पर पेट्रोल बेचने से कंपनी को आठ रूपए का नुकसान हो रहा है। कंपनी को एक लीटर डीजल की बिक्री पर 13.64 रूपए, मिट्टी तेल पर 31.41 रूपए पर रसोई गैस के 14 किलो के सिलेंडर पर 479 रूपए का भारी घाटा हो रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2011-12 के दौरान पेट्रोल को लागत से कम कीमत पर बेचने से तेल विपणन कंपनियों को 4859 करोड रूपए का घाटा हुआ है। डीजल, मिट्टी तेल और रसोई गैस की 138541 करोड रूपए की अंडर रिकवरी अलग है।
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