आर्मी चीफ की वार्निंग के बाद एडवाइजरी जारी, मुठभेड़ स्थलों से दूर रहें लोग
By: Team Aapkisaheli | Posted: 17 Feb, 2017
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में प्रशासन ने आम लोगों से उन जगहों से दूर रहने के
लिए कहा है जहां सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ चल रही हो।
साथ ही तीन जिलों के कुछ स्थलों के तीन किलोमीटर के दायरे में निषेधाज्ञा
लगाने का फैसला किया है। प्रशासन की सलाह सेना प्रमुख के उस बयान के बाद
आया है, जिसमें उन्होंने आतंक रोधी अभियानों में रुकावट डालने वालों के
खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी।
एक अधिकारी ने कहा, श्रीनगर,
बडग़ाम और शोपियां के जिला प्रशासकों ने लोगों को हताहत होने से बचने के लिए
उन्हें उन स्थलों की ओर न आने और भीड़ न लगाने को कहा है जहां सुरक्षाबलों
और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ चल रही हो। उन्होंने बताया कि तीन जिलों
में मुठभेड़ स्थल के तीन किलोमीटर के दायरे में निषेधाज्ञा लगा दी गई है।
हालांकि एंबुलेंस, चिकित्सा, पैरामेडिकल और सरकारी कर्मचारियों पर यह
निषेधाज्ञा लागू नहीं होगी।
यह निर्णय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के
उस बयान के बाद लिया गया है कि कश्मीर में आतंकवादी अभियानों के दौरान
पथराव करने वाले नागरिकों को देश विरोधी माना जाएगा और उनके साथ उसी तरह से
बर्ताव किया जाएगा। जनरल रावत का यह बयान घाटी में मंगलवार को हुई दो
अलग-अलग मुठभेड़ों में एक मेजर सहित सेना के चार जवानों के शहीद होने के एक
दिन बाद आया था। उन्होंने कहा था कि कश्मीर घाटी में स्थानीय लोगों के
शत्रुतापूर्ण आचरण के कारण लोग अधिक हताहत होते हैं। मंगलवार को बांदीपोरा
में एक एनकाउंटर के दौरान सैनिकों को आम लोगों के पथराव का सामना करना पड़ा
था। पत्थरबाजों की मदद की वजह से आतंकियों को सुरक्षाबलों पर हथगोले
फेंकने और फायरिंग करने का मौका मिला। इसकी वजह से तीन जवान शहीद हो गए
जबकि कुछ घायल हुए। हाल के दिनों में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच
मुठभेड़ के दौरान स्थानीय लोगों द्वारा बाधा पहुंचाने और पथराव करने के
मामलों में इजाफा हुआ है।
सेना प्रमुख के इस बयान की जहां कुछ राजनीतिक
दलों ने आलोचना की, वहीं रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने उनका समर्थन किया
है। पर्रिकर ने कहा कि सेना हर कश्मीरी को आतंकवादी नहीं मानती है, लेकिन
अगर कोई आर्मी के खिलाफ कुछ करे, तो मौजूद अधिकारी फ्री हैंड होता है।
पर्रिकर ने कहा कि सैन्य अभियान में अगर स्थानीय लोगों ने रुकावट डालने की
कोशिश की तो, उस समय कमांडिंग ऑफिसर को निर्णय लेने का पूरा अधिकार होता
है। उन्होंने साथ ही कहा कि सेना हर कश्मीरी को आतंकियों का समर्थक नहीं
मानती, लेकिन जो आतकियों के साथ है, वह आतंकी ही है। हालांकि उनकी इस
चेतावनी का लोगों पर ज्यादा असर होता नहीं दिखा और गुरुवार को पुलवामा व
शोपियां में स्थानीय लोगों द्वारा पुलिस पर पथराव करने की घटना सामने आई।
इससे
पहले, जम्मू-कश्मीर के डीजीपी एसपी वैद्य ने घाटी के युवाओं से अपील की कि
वे एनकाउंटर वाली जगहों और पत्थरबाजी से दूर रहें। डीजीपी के मुताबिक,
आर्मी, सीआरपीएफ, पुलिस, सभी बल लोगों के इस बर्ताव की वजह से भारी कीमत
चुका रहे हैं। ये सुरक्षा बल घाटी में शांति कायम करने के लिए अपने लोगों
की कुर्बानियां दे रहे हैं। यह शांति आपके लिए है। हम सभी चाहते हैं कि
कश्मीर समृद्ध बने और पुराने गौरवशाली दिन लौटें। यह सभी के भले की बात है
इसलिए मैं सभी युवाओं से अपील करता हूं कि इन सब चीजों से बचें। सकारात्मक
चीजों में अपनी ऊर्जा लगाने के लिए आगे आएं।’
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