इसलिए नहीं भाता सिनेमा : ओमपुरी

By: Team Aapkisaheli | Posted: 00 Aug, 0000

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इसलिए नहीं भाता सिनेमा : ओमपुरी
अन्ना के भ्रष्टाचार आंदोलन में मंच पर से सांसद को अपशब्द कहने वाले अभिनेता ओमपुरी आज भी अन्ना के साथ खडे नजर आते हैं। एक वर्ष की अवधि के दौरान उन्होंने जब-जब भी मीडिया से बात की, अन्ना की वकालत की।

शुRवार को कुरूक्षेत्र में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने अन्ना का नाम न लेकर युवाओं को भ्रष्टाचार को उखाड फेंकने तक का आह्वान किया। वे कुवि में आयोजित मीडिया फिल्म उत्सव में शिरकत करने आए। उन्होंने कहा कि आज देश में सबसे बडी समस्या भ्रष्टाचार की है। जिसके कारण देश का हजारों करोड रूपया गलत हाथों में पहुंच गया है।

देश को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ समाज में भ्रष्टाचारियों को भी इससे प्रेरणा मिल रही है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि देश में पहले हुई आतंकवादी घटनाओं में अशिक्षित लोग लिप्त पाए जाते थे लेकिन अब प्रोफेसर, इजीनियर व प्रबुद्ध लोग कहीं न कहीं ऎसी गतिविधियों में लिप्त पाए जा रहे हैं। वे सिनेमा में कॉर्पोरेट के बढते प्रभाव पर भी बेबाकी से बोले और कहा यह सिनेमा के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। एक दौर था जब सिनेमा में थियेटर व साहित्य से लोग आते थे। इसी के कारण उस दौर का सिनेमा लोगों के जीवन के लिए अर्थपूर्ण था लेकिन अब कॉरपोरेट सिनेमाई संस्कृति का हिस्सा हो गया है जिसके कारण रचनात्मक फिल्में बनना कम हो गई है जो भारतीय सिनेमा उद्योग के लिए चिंता का विषय है।

फिल्म व टेलीविजन ऎसे माध्यम है जो लोगों के जीवन को सीधे प्रभावित करते हैं। इसलिए इन माध्यमों की विषय वस्तु पर लेखकों, फिल्म निर्माताओं, अभिनेताओं को गंभीरता से विचार करना चाहिए। उन्होंने साफ कहा कि आज फिल्मों में साहित्य के लोग नहीं बल्कि व्यापारियों का जमावडा है। छोटे-छोटे शहरों में फिल्म समारोहों के आयोजनों से ही देश में फिल्म संस्कृति का विकास होगा जो भारतीय सिनेमा को भविष्य में एक नई दिशा दे सकता है। उन्होंने कहा कि सिनेमा किसी भी देश की संस्कृति व सभ्यता का परिचायक होता है। ऎसे में उन्होंने सरकार से मांग की है कि सामाजिक सरोकार रखने वाली शिक्षाप्रद फिल्मों को स्कूल व कॉलेजों में विद्यार्थियों को दिखाना चाहिए ताकि किसी लेखक व निर्माता की वह रचनात्मक कृति जाया न हो।

उतर व पूर्वी भारत में क्षेत्रीय सिनेमा दम तोडता जा रहा है। जबकि दक्षिण भारत की स्थिति बेहतर है क्योंकि दक्षिण भारत में बनने वाली क्षेत्रीय फिल्मों का अनुवाद करके उसे देश के विभिन्न राज्यों में दिखाया जा रहा है। आज कॉमेडी फिल्मों का दौर है और फिल्मों में घटिया मजाक इस्तेमाल किया जाता है।
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