मुश्किल में फंसे लोगों कें संकटहर्ता निर्मल बाबा

By: Team Aapkisaheli | Posted: 14 Apr, 2012

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मुश्किल में फंसे लोगों कें संकटहर्ता निर्मल बाबा
नई दिल्ली। थर्ड आई ऑफ निर्मल बाबा नाम के विज्ञापन दिखाकर लोगों के कष्ट दूर करने का दावा करने वाले निर्मल नरूला उर्फ निर्मल बाबा खुद संकट में फंसते दिख रहे हैं। झारखंड से प्रकाशित होने वाले हिन्दी समाचार पत्र प्रभात खबर के खुलासे के बाद आयकर विभाग निर्मल बाबा की कमाई पर नजर रख रहा है।

विभाग उनकी कमाई और रिटर्न की जांच कर सकता है। गौरतलब है कि अखबार ने दावा किया था कि निर्मल बाबा के दो बैंक खातों में सिर्फ इस साल अब तक 232 करोड रूपए जमा हुए हैं। दूसरी और इस खुलासे के बाद बाबा के भक्तों की संख्या में भी कमी आ गई है। उनकी बैंकों में जमा होने वाली दैनिक कमाई को भी जोरदार झटका लगा है।

जहां खुलासे से पहले निर्मल बाबा और उनके ट्रस्ट के खातों में प्रतिदिन एक करोड रूपए जमा होते थे, वहीं खुलासे के बाद शुक्रवार को उनके खातों में 34 लाख रूपए ही जमा हो पाए। इस बीच देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग निर्मल बाबा के खिलाफ केस दर्ज कराने लगे हैं। लखनऊ के गोमती नगर थाने में दो बच्चों तान्या ठाकुर (16) और उसके भाई आदित्य ठाकुर (13) ने उनके खिलाफ पहले ही तहरीर दे दी थी। अब भोपाल के अरेरा कॉलोनी में रहने वाले राजेश सेन ने निर्मल बाबा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। सेन का आरोप है कि बाबा ने उन्हें बताया था कि घर में काला पर्स रखने से उनकी समस्याएं दूर हो जाएंगी, पर &प्त2318;सा नहीं हुआ। उधर , एक चैनल से बातचीत में बाबा ने सफाई देते हुए कहा कि मैंने कभी चमत्कार का दावा नहीं किया है। हालांकि उन्होंने दावा किया कि उनके ऊपर ईश्वरीय कृपा है। >प्रभात खबर का दावा है कि निर्मल बाबा के दो खाते हैं। एक निर्मल दरबार के नाम से (जिसका नंबर टीवी पर चलता रहता है ) और दूसरा निर्मलजीत सिंह नरूला के नाम से।

निर्मल दरबार के नाम से चलने वाले खाते में इस साल जनवरी से अब तक 109 करोड रूपये जमा हुए। उनके पर्सनल अकाउंट नंबर 1546000102129694 में अखबार के मुताबिक 4 जनवरी 2012 से 13 अप्रैल 2012 के बीच 123 करोड ( कुल 1,23,02,43,974) रूपये जमा हुए। खुद निर्मल बाबा ने भी एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में स्वीकार किया कि फर्जीव़ाडे से बचने के लिए ही उन्होंने दो खाते रखे हैं। इसके अलावा बाबा के नाम 25 करोड फिक्स्ड डिपॉजिट भी हैं। निर्मल बाबा की आय के दो स्त्रोत हैं- निबंधन शुल्क और दसवंद शुल्क। समागम में भाग लेने के लिए भक्तों से दो हजार रूपये प्रति व्यक्ति वसूला जाता है, जबकि दसवंद शुल्क का अर्थ आय का दसवां हिस्सा बाबा के पास जमा करना। यह राशि पूर्णिमा के पहले जमा करनी होती है। निर्मल बाबा को लेकर जैसे-जैसे विवाद बढ़ता जा रहा है भक्तों की श्रद्धा भी उनमें घटती जा रही है। प्रभात खबर के मुताबिक, निर्मल दरबार के नाम से आईसीआईसीआई बैंक में खुले निर्मल बाबा के खाता संख्या 002-905-010-576 में शुRवार को सिर्फ 34 लाख जमा किए गए। पहले इस खाते में रोज औसतन एक करोड रूपये जमा किए जा रहे थे। पहले औसतन चार से साढ़े चार हजार लोग हर रोज निर्मल बाबा के खाते में राशि जमा कर रहे थे। शुRवार शाम पांच बजे तक देश भर के 1800 लोगों ने ही बाबा के आईसीआईसीआई बैंक खाते में राशि जमा की है। निर्मल बाबा की आय स्त्रोतों पर आयकर विभाग की नजर है। विभाग उनके बैंक खातों की जांच कर सकता है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार , फाइनैंशल इंटेलिजेंस यूनिट ( एफआईयू ) निर्मल बाबा की आय के स्त्रोतों के अलावा इस बात की भी जांच कर सकती है कि बैंक खातों के अलावा निर्मल बाबा को और किन-किन माध्यमों से पैसे दिए गए और उन्होंने कहां-कहां निवेश किया है। बाबा को विदेशों से मिले फंडिंग पर भी पूछताछ हो सकती है। यदि उन्होंने पैसों को विदेशी खातों में हस्तांतरित किया है तो इस बात की भी जांच की जाएगी। बाबा की सफाई पूरे प्रकरण पर पहली बार बाबा ने शुRवार को चुप्पी तोडी। आज तक चैनल को दिए इंटरव्यू में निर्मल बाबा ने कहा, मेरे यहां किसी तरह की गडबडी नहीं है। मैं चुनौती देता हूं कि किसी अंतरराष्ट्रीय संस्था से मेरे दावों की जांच करवाई जाए। मेरा टर्नओवर 85 करोड नहीं, बल्कि सालाना 235-238 करोड का है, जिसका मैं टैक्स चुकाता हूं। मैं इन पैसों से एक भव्य मंदिर बनवाना चाहता हूं। मैंने कोई ट्रस्ट नहीं बनाया है। फर्जीवाडे से बचने के लिए मैं दो अकाउंट रखता हूं।

निर्मल दरबार और निर्मलजीत सिंह नरूला के नाम चल रहे दो बैंक खाते मेरे हैं। नीलम कपूर के नाम पर बने ड्राफ्ट के सवाल पर निर्मल बाबा ने कहा कि नीलम कपूर से मैंने फ्लैट खरीदा था, इसलिए उनके नाम पर ड्राफ्ट बनवाया गया। निर्मलजीत सिंह नरूला से निर्मल बाबा बनने के सवाल पर उन्होंने कहा, मुझे निर्मलजीत सिंह नरूला से निर्मल बाबा बनाने में इंदरसिंह नामधारी का हाथ है। उन्होंने मेरी शुरू में मदद की थी। लेकिन बाद में झारखंड में मैं जिस मानसिक उत्पीडन से गुजरा उसके बाद ही मैं निर्मल बाबा बन गया। निर्मल बाबा ने आरोपों के जवाब में कहा, मैंने कभी चमत्कार का दावा नहीं किया। मैं इसे कृपा कहता हूं। मैं अंधविश्वास को तोडने वाला माना जाता हूं। यंत्र मंत्र तंत्र के पाखंड में फंसने वालों के खिलाफ हूं। ये कृपा पैसे से खरीदी नहीं जा सकती है। मेरे साथ लोग जुडते चले जा रहे हैं।

मेरे ऊपर पहली कृपा पटियाला के समाना मंडी में हुई थी। मैं अपनी मां के साथ था। घर की छत गिर गई और मेरी बहनें उसमें दब गईं। निर्मल बाबा झारखंड के पूर्व विधानसभा स्पीकर इंदरसिंह नामधारी के साले हैं। 1950 में जन्मे निर्मलजीत सिंह एक सिख परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके एक पुत्र और एक पुत्री है। इंदरसिंह नामधारी के मुताबिक, उन्होंने निर्मलजीत की बहन से 1964 में विवाह किया था। उस समय निर्मल की उम्र 14-15 साल थी। 70 के दशक में पिता की हत्या के बाद उनकी मां ने उन्हें डाल्टनगंज भेज दिया। उन दिनों निर्मल बाबा ने एक कपडे की दुकान की जो कुछ सालों बाद बंद हो गई। इसके बाद उन्होंने निर्मल ब्रिक्स के नाम से ईटों का व्यवसाय शुरू किया, लेकिन वह भी नहीं चला।
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