डिपार्टमेंट : पूरी फिल्म को अमिताभ बच्चन ने अपने कंधों पर उठाया

By: Team Aapkisaheli | Posted: 19 May, 2012

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डिपार्टमेंट : पूरी फिल्म को अमिताभ बच्चन ने अपने कंधों पर उठाया


कलाकार: अमिताभ बच्चन, संजय दत्त, राणा दग्गुबती, अंजना सुखानी, मधु शालिनी, दीपक तिजोरी, विजय राज और नतालिया कौर
निर्माता: सिद्धार्थ ओबेरॉय, अमित
लेखक निर्देशक: राम गोपाल वर्मा
गीत : शब्बीर अहमद, संदीप सिंह संगीत: बप्पी लाहिडी, विक्रम नागी, धरम संदीप


सिविल इंजीनियरिंग में इंजीनियर रहे रामगोपाल ने कभी कोई निर्माण नहीं किया। उन्होंने वीडियो पर फिल्में देख-देखकर सिनेमा को गहराई से समझा। विशेषकर कैमरा को। अपनी फिल्मों में कैमरे का अद्भुत प्रयोग करने वाले रामगोपाल वर्मा ने डिपार्टमेन्ट को 5डी कैमरे से फिल्माया है। डिपार्टमेन्ट में गजब का कैमरा वर्क है। नए डिजीटल कैमरों से यह सुविधा बढ गई है कि क्लोजअप में जाकर चलती फिरती तस्वीरें उतार सकते हैं और रामू ने यही काम बडी कुशलता के साथ किया है। उन्होंने कैमरे के साथ बच्चों की तरह खेला है उसे जैसा चाहे वैसा घुमाया है।

अमिताभ बच्चन के साथ सरकार और सरकार राज जैसी कामयाब फिल्में देने वाले रामगोपाल वर्मा ने जब डिपार्टमेन्ट के लिए अमिताभ बच्चन के साथ संजय दत्त को लिया था तो उम्मीद की जा रही थी कि इस बार रामगापोल वर्मा कुछ ऎसा नया देंगे, अंडरवर्ल्ड की दुनिया की नई परत खुलेगी जिसे देखने के लिए दर्शक सिनेमा हालों पर जुटेंगे लेकिन ऎसा कुछ नहीं हुआ। उनकी इस शुक्रवार को प्रदर्शित हुई डिपार्टमेन्ट ने बेहद धीमी शुरूआत की है। पुलिस डिपार्टमेंट के नियम-कानूनों की लक्ष्मण रेखा लांघकर गुंडों का सफाया करने का विषय नया तो नहीं है फिर भी इस फिल्म की कहानी अच्छी है। अंडरवल्र्ड पर रामगोपाल वर्मा ने सत्या, कम्पनी, सरकार और सरकार राज जैसी बेमिसाल फिल्में दी हैं जिसमें उन्होंने अपने तकनीकी कौशल को सफलतापूर्वक दर्शाया था।

रामगोपाल वर्मा अपनी फिल्मों में एक्सपेरिमेंट करते हैं। ये फिल्में उनके काम करने का अंदाज बताती हैं। वह नॉट ए लव स्टोरी जैसी बोल्ड फिल्म दर्शकों के सामने रख चुके हैं। लेकिन डिपार्टमेंट में रामू क्या कहना चाहते हैं, बिल्कुल समझ नहीं पडता। अपनी शुरूआत में फिल्म को देखते हुए महसूस होता है फिल्म आगे जाकर दमदार निकलेगी लेकिन कुछ देर बाद ही दर्शक का यह भ्रम टूट जाता है जब वह फिल्म को छोटे-छोटे खण्डों में बंटा हुआ पाता है। दो वर्ष पूर्व रक्त चरित्र जैसी मारकाट वाली फिल्म के बाद रामगोपाल वर्मा ने डिपार्टमेंट में जमकर गोलियां और गालियां चलवाई हैं। फिल्म की शुरूआत गोली से और अन्त गोली से। इतनी गोलियां चलवाकर रामगोपाल वर्मा क्या सिद्ध करना चाहते हैं। क्रिएटिविटी के नाम पर किया गया कैमरा मूवमेंट समझ से परे है। जैसे कि जब पुलिस अफसर बात करते रहते हैं तो कैमरा उनके चेहरे और भावों को फिल्माने के बदले उनके बॉडी लैंग्वेज के साथ चाय-पानी के ग्लास पर फोकस करता है। इस तरह के दृश्यों से रामगोपाल वर्मा क्या दिखाना चाहते हैं दर्शक यही सोचता रहता है।

फिल्म की कहानी पुलिस विभाग पर केन्द्रित है। मुंबई पुलिस अंडरवर्ल्ड की लगातार बढती गतिविधियों से निपटने के लिए खुफिया तौर से डिपार्टमेंट नाम से एक टीम बनाती है। जिसका दारोमदार महादेव (संजय दत्त) के ऊपर है। महादेव मुंबई पुलिस के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट हैं। उसका निशाना कभी नहीं चूकता। महोदव अपनी इस टीम में जांबाज साथियों को चुनता है। टीम के लिए महादेव ने शिवनारायण (राणा दग्गुबती) को चुना। उसके काम करने का तरीका महादेव से बहुत कुछ मिलता है। शिव भी अपने सामने आए अपराधी को गोली पहले मारता है और बात बाद में करता है। मुंबई पुलिस की यह टीम अंडरवर्ल्ड के सफाए में जुट जाती है। इसी बीच शिवनारायण की मुलाकात पावरफुल राजनेता सर्रेजी राव गायकवाड (अमिताभ बच्चन) से होती है। वह कभी अंडरवर्ल्ड का शहंशाह था, लेकिन अब राजनीति की दुनिया में है। सर्रेजी राव के साथ जुडने के बाद शिवनारायण को महादेव और सर्रेजी राव का एक दूसरा चेहरा नजर आता है। पूरी फिल्म को अमिताभ बच्चन ने अपने कंधों पर उठाया है। 70 वर्ष के इस अभिनेता के अभिनय में आज भी ताजगी नजर आती है।

संजय दत्त के बढते वजन से उनके चेहरे पर आए भावों का अहसास नहीं होता। रामगापोल वर्मा ने अमिताभ- संजय दत्त को कम समय के लिए आमने सामने किया है, जिन दृश्यों में यह दोनों नजर आए डायलॉग कम और चेहरों पर बस एक्सप्रेशन बदलते दिखे। रामू ने बिग बी का गेटअप किस राजनेता से प्रेरित होकर लिया है, यह बहस का विषय हो सकता है।

गुस्सैल शिवनारायण के रोल में राणा दग्गुबती अपने रोल में फिट हैं। दर्शकों को रामू ने जहां कैमरे का कमाल दिखाया है वहीं उन्होंने उत्तेजक दृश्यों को भी बखूबी परदे पर उतारा है। इस काम में उनकी मदद अभिमन्यु सिंह और मधु शालिनी ने की है। दोनों का हिंसक प्रेम जुगुप्सा पैदा करता है। उन्होंने अपनी जिम्मेदारी को ईमानदारी से निभाया है। नतालिया कौर पर फिल्माया गया आइटम सांग बेअसर है। रामगापोल वर्मा ने तीन-तीन संगीतकारों को लिया है लेकिन एक भी संगीतकार ने ऎसा गीत नहीं दिया है जो हॉल से बाहर निकलकर याद आए।
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