मनमोहन की थीन सीन से मुलाकात, 50 करोड डॉलर का ऋण देगा भारत

By: Team Aapkisaheli | Posted: 28 May, 2012

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मनमोहन की थीन सीन से मुलाकात, 50 करोड डॉलर का ऋण देगा भारत
ने पाई ता। म्यांमार की ऎतिहासिक राजनीतिक यात्रा पर गए भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने द्विपक्षीय सहयोग के लिए कार्य योजना पर राष्ट्रपति थीन सीन के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया। इस मौके पर सिंह ने कहा कि भारत म्यांमार के आर्थिक विकास में मदद के लिए प्रतिबद्ध है। करीब 25 साल में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली म्यांमार यात्रा है। बातचीत के दरम्यिान भारत ने म्यांमार को 50 करोड डॉलर की ऋण सहायता देने की घोषणा की। इसके साथ ही दोनों देशों ने द्विपक्षीय सहयोग में नए युग की शुरूआत करते हुए वायु सेवा समेत विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग मजबूत बनाने के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इस मौके पर भारत ने म्यांमार को 50 करोड डॉलर की ऋण सुविधा की घोषणा की।

इस बाबत भारत के निर्यात-आयात बैंक तथा म्यांमार विदेश व्यापार बैंक ने सहमति पत्र पर दस्तखत किए। पिछले साल म्यांमार के राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान ऋण सहायता को लेकर सहमति बनी थी। दोनों देशों ने हवाई सेवा समझौता तथा संयुक्त व्यापार तथा निवेश मंच एवं दोनों देशों की सीमा के पास सीमा व्यापार केंद्र स्थापित किए जाने को लेकर सहमति पत्र पर दस्तखत किए। प्रधानमंत्री ने थीन सीन से कहा कि भारत-म्यांमार संबंधों में एक-दूसरे के बीच संपर्क और आवाजाही की सुविधाओं के विकास पर मुख्य रूप से ध्यान देने की जरूरत है। इस देश के लिए भारत की विकास सहायता में म्यांमार की आर्थिक व्यापारिक क्षमता के निर्माण का प्राथमिकता दी गई है।

आज जिन 12 समझौतों पर दस्तखत किए गए, उसमें कलकत्ता विश्वविद्यालय तथा यंगून स्थित दागोन विश्वविद्यालय के बीच शोध में सहयोग, म्यामार इंस्टीट्यूट आफ इनफार्मेशन टेक्नोलाजी की स्थापना, नेपीदाव में एडवास सेंटर फार एग्रिकल्चर रिसर्च एंड एजुकेशन की स्थापना, सीमा के आसपार हाट तथा नेपीदाव में बायो पार्क स्थापित करना एवं दोनों देशों के रक्षा संगठनों के बीच सहयोग शामिल हैं। इससे पहले, अपनी पत्नी के साथ यहां पहुंचे प्रधानमंत्री सिंह का राष्ट्रपति भवन के लॉन में भव्य स्वागत किया गया। सिंह के साथ विदेश मंत्री एस एम कृष्णा भी आए हैं। थीन सीन के साथ बातचीत से पहले कृष्णा ने कहा कि भारत और म्यामार को आतंकवाद तथा उग्रवाद से निपटने के लिए संयुक्त रणनीति पर काम करना चाहिए क्योंकि दोनों देश इस समस्या का सामना कर रहे हैं। उन्होंने म्यामा के साथ संबंध को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि भारत की तरह म्यामा भी विकासशील देश है। वे आंतरिक समस्या से बाहर निकले हैं और ऎसा लगता है कि वे अब विकास पर पूरा ध्यान लगाना चाहते हैं। मुझे लगता है कि म्यामा की जनता को भारत की सहायता की जरूरत है और भारत मदद करने को इच्छुक है।
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