NSG सदस्यता में भारत का काटा बना चीन

By: Team Aapkisaheli | Posted: 24 Jun, 2016

NSG सदस्यता में भारत का काटा बना चीन
नई दिल्ली। NSG (परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह) में सदस्यता को लेकर भारत की कोशिशें असफल हो गई हैं और इसी के साथ सोल बैठक में भी उसकी उम्मीद खत्म हो गई। 48 देशों वाले इस समूह की अहम सभा में सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी पर कोई निर्णय नहीं हो सका। चीन अंत तक भारत की सदस्यता के विरुद्ध अपना अडिय़ल रुख अपनाए रखा और इसमें उसका पांच अन्य देशों ने भी साथ दिया। भारत की एनएसजी सदस्यता को लेकर चीन से की गई अमेरिकी अपील का भी उस पर कोई असर नहीं हुआ और वह भारत के एनपीटी पर साइन करने को लेकर अड़ा रहा।

चीन ने भारत की दावेदारी का इस आधार पर विरोध किया कि चूंकि उसने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किया है इसलिए उसे इस क्लब में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। भारत के खिलाफ चीन की इस दलील को करीब दस अन्य देशों का भी समर्थन मिला। दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में शुक्रवार को एनएसजी सदस्यों की अहम बैठक खत्म होने के साथ ही दावेदारी के समर्थन में चलाया जा रहा अभियान भी खत्म हो गया।


भारत की दावेदारी को अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस समेत कई देशों का समर्थन मिला था, लेकिन एनएसजी सर्वसम्मति से किसी देश को सदस्य बनाती है। इसके पहले ताशकंद में पीएम नरेंद्र मोदी ने भी चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से विशेष मुलाकात कर समर्थन मांगा था। मोदी ने चिनफिंग से कहा कि भारत के आवेदन पर चीन निष्पक्ष रवैया अपनाकर समर्थन करें। हालांकि, चीन एनपीटी वाली अपनी दलील पर कायम रहा।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि हम समझते हैं कि एक देश ने प्रक्रियागत बाधाओं को लगातार उठाया। उसने कहा कि बड़ी संख्या में सदस्य देशों ने भारत की सदस्यता का समर्थन किया और भारत के आवेदन का सकारात्मक मूल्यांकन किया। हम उनमें से हर देश का धन्यवाद व्यक्त करते हैं। हमारी यह भी समझ है कि व्यापक भावना इस मामले को आगे लेकर गई।

भारत का मानना है कि उसके आवेदन पर जल्द फैसला व्यापक वैश्विक हित में है। एनएसजी में भारत की भागीदारी परमाणु अप्रसार को और मजबूत करेगी। इस बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने भारत के एससीओ सदस्य बनने पर शुक्रिया कहा है। पीएम मोदी ने कहा कि मुझे विश्वास है कि सभी एससीओ सदस्यों के साथ भारत की वार्ता एक ऐसा क्षेत्र बनाने में हमारी मदद करेगी जो अधिक स्थिर और आंतरिक रूप से सुरक्षित हो। उन्होंने कहा है कि भारत के एससीओ सदस्यों के साथ पुराने संबंध है। आर्थिक समृद्धि के लिए एक-दूसरे से जुडऩा जरूरी है। भारत एशिया पैसिफिक में खुशहाली का समर्थन करता है। भारत हर क्षेत्र में एससीओ का सहयोग करता रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत समाजों को घृणा, हिंसा और आतंक की कट्टरपंथी विचारधाराओं के खतरों से बचाने के लिए एससीओ के साथ साझेदारी करेगा।


एनएसजी में भारत की दावेदारी का करीब 20 देशों ने पूरी तरह से समर्थन किया लेकिन एनएसजी में फैसला सर्वसम्मति से होता है। भारत एनएसजी की सदस्यता की मांग कर रहा है ताकि वह परमाणु प्रौद्योगिकी का निर्यात और इसका कारोबार कर सके। परमाणु प्रौद्योगिकी के वैश्विक व्यापार का नियमन करने वाली एनएसजी तक पहुंच से ऊर्जा की जरूरत वाले भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार खुलने की संभावना है। भारत एक महत्वाकांक्षी ऊर्जा उत्पादन कार्यक्रम पर काम कर रहा है। भारत का प्रयास 2030 तक परमाणु कार्यक्रम से 63,000 मेगावाट ऊर्जा जरूरत को हासिल करना है।

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