भारतवंशी शोधकर्ता का दावा, रैनसमवेयर हमलों के पीछे उत्तर कोरिया का हाथ

By: Team Aapkisaheli | Posted: 16 May, 2017

भारतवंशी शोधकर्ता का दावा, रैनसमवेयर हमलों के पीछे उत्तर कोरिया का हाथ
लंदन/वाशिंगटन। बीते कुछ दिनों से पूरी दुनिया में साइबर हमलों ने तहलका मचा रखा है और लोग यह फिरौती वायरस हमला करने वाले हैकरों का पता नहीं लगा सके हैं, लेकिन गूगल के लिए काम करने वाले भारतीय मूल के शोधकर्ता नील मेहता ने दावा किया है कि ये साइबर हमले उत्तरी कोरिया से हो रहे हैं। नील ने ट्विटर पर दावा किया है कि उत्तर कोरिया के लिए काम करने वाला हैकरों का समूह लैजरस ग्रुप इन फिरौती वायरस हमलों के पीछे हो सकता है। नील ने कहा है कि दुनियाभर के 150 से ज्यादा देशों को निशाना बनाने वाले वानाक्राई फिरौती वायरस की कोडिंग का इस्तेमाल लैजरस ग्रुप द्वारा इससे पहले किए गए हमलों में भी हुआ है।

बीबीसी की वेबसाइट पर मंगलवार को प्रसारित रपट में कहा गया है कि मेहता ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय से स्नातक शिक्षा प्राप्त हैं और इससे पहले दिग्गज प्रौद्योगिकी कंपनी आईबीएम की इंटरनेट सिक्योरिटी सिस्टम्स में काम कर चुके हैं। नील ने ट्विटर पर एक मालवेयर के कोड्स पोस्ट किए हैं, जो फिरौती वायरस वानाक्राई और लैजरस ग्रुप के मालवेयर के बीच संबंध का संकेत देता है। अग्रणी एंटी-वायरस कंपनी कास्पस्र्की लैब (दक्षिण एशिया) के प्रबंध निदेशक अल्ताफ हाल्दे ने कहा हमारे शोधकर्ताओं ने इन सूचनाओं का विश्लेषण किया और पुष्टि की है कि भारतीय मूल के शोधकर्ता द्वारा रैनसमवेयर वानाक्राई और लैजरस ग्रुप के मालवेयर के बीच कोडों में समानता पाई गई है।

कास्पस्र्की लैब ने बताया, नील मेहता की खोज इस नए मालवेयर वानाक्राई के सामने आने के बाद सबसे अहम संकेत है। नील ने 2014 में एक मालवेयर हर्टब्लीड का पता लगाया था, जिसके हमले का शिकार लाखों कंप्यूटर, ऑनलाइन स्टोर और सोशल नेटवर्क साइटें हुई थीं और हैकरों ने सोशल मीडिया इस्तेमाल करने वालों की निजी सूचनाएं और वित्तीय जानकारियां हासिल कर ली थीं। नील के अनुसार, लैजरस ग्रुप के हैकर चीन में सक्रिय हैं, जो 2014 में सोनी पिक्चर्स को हैक करने और 2016 में बांग्लादेश का एक बैंक हैक करने में संलिप्त थे। कास्पस्र्की लैब ने हालांकि यह भी कहा है कि अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले वानाक्राई फिरौती वायरस के पिछले संस्करणों से जुड़ी अभी ढेरों जानकारियां चाहिए होंगी।

कास्पस्र्की ने बताया, हमारा मानना है कि दुनिया के दूसरे हिस्सों के शोधकर्ता इन समानता की जांच करें और वानाक्राई से जुड़े अधिक से अधिक तथ्य हासिल करने की कोशिश करें। सोनी पिक्चर्स हैक मामले में हालांकि उत्तर कोरिया ने अपनी संलिप्तता कभी स्वीकार नहीं की। वहीं सिक्योरिटी शोधकर्ता और अमेरिकी सरकार इन साइबर हमलों में उत्तर कोरिया का हाथ होने का दावा करती रही हैं, हालांकि उत्तर कोरिया का ध्वज जानबूझकर इस्तेमाल करने की संभावना से भी इनकार नहीं किया। कास्पस्र्की ने कहा कि ऐसा भी हो सकता है कि लैजरस ग्रुप ने उत्तर कोरिया के दिशा-निर्देश पर नहीं बल्कि खुद स्वतंत्र तौर पर यह साइबर हमला किया हो।

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