आयात शुल्क मामले में पीएमओ को नसीहत

By: Team Aapkisaheli | Posted: 21 Jun, 2012

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आयात शुल्क मामले में पीएमओ को नसीहत
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यालय मे बुधवार को विद्युत मंत्रालय ने कहा कि वह विद्युत उपकरणों पर आयात शुल्क के विवादित मुद्दे को एक बार फिर से मंत्रिमंडल के समक्ष उठाए। खासकर चीन से, सस्ते आयात की वजह से घटती बाजार हिस्सेदारी से घरेलू उपकरण निर्माताओं को नुकसान हो रहा है और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) जैसी सरकारी और एलऎंडटी जैसी निजी क्षेत्र की कंपनियां आयात पर अतिरिक्त शुल्क थोपे जाने की मांग कर रहे हैं। इससे हालांकि रिलायंस पावर लिमिटेड जैसी निजी विद्युत कंपनियों द्वारा स्थापित की जाने वाली नई क्षमताओं के लिए उत्पादन लागत बढ जाएगी, क्योंकि वे देश से बाहर से उपकरण खरीद रही हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मई में इस मामले पर अपने फैसले को टाल दिया था। विद्युत सचिव पी उमा शंकर ने कहा, विद्युत मंत्रालय से उपकरण आयात के लिए शुल्क ढांचे पर एक कैबिनेट नोट तैयार करने को कहा गया है। हम इस मुद्दे को फरवरी में मंत्रिमंडल के समक्ष पहले भी उठा चुके हैं। इस प्रस्ताव पर अब नए सिरे से विचार किया जाएगा। बिजली मंत्रालय ने फरवरी में आयात पर 19 फीसदी का शुल्क लगाए जाने का प्रस्ताव रखा था। हालांकि शंकर ने नए कैबिनेट नोट में प्रस्तावित शुल्क ढांचे का ब्योरा देने से इनकार कर दिया। लेकिन एक सूत्र ने बताया कि नए कैबिनेट नोट में कुल 21 फीसदी का आयात शुल्क लगाए जाने का प्रस्ताव है जिसमें 5 फीसदी सीमा शुल्क, 4 फीसदी अतिरिक्त आयात शुल्क और 12 फीसदी काउंटर-वेलिंग ड्यूटी (सीवीडी) शामिल है। बुधवार का निर्णय प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव पुलक चटर्जी की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया जिसमें विद्युत, भारी उद्योग, वाणिज्य एवं वित्त मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए। अतिरिक्त शुल्क थोपे जाने की पहल को इसलिए भी महЮवपूर्ण समझा जा रहा है, क्योंकि मौजूदा योजना की अवधि में स्थापित होने वाली ताजा क्षमता का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा आयातित उपकरण पर आधारित होगा। मौजूदा समय में संयंत्रों में इस्तेमाल के लिए 1000 मेगावॉट क्षमता से कम के विद्युत उपकरण का निर्यात 5 फीसदी के सीमा शुल्क के दायरे में आता है। वहीं 1000 मेगावॉट से अधिक क्षमता वाले संयंत्रों को इससे मुक्त रखा गया है। शुरू में योजना आयोग के सदस्य अरूण मैरा के नेतृत्व में गठित कमेटी ने इस मामले पर विचार किया था और आयात पर 14 फीसदी शुल्क लगाए जाने का प्रस्ताव रखा था। मूल सीमा शुल्क की मात्रा को लेकर विद्युत, वाणिज्य, भारी उद्योग एवं वित्त मंत्रालयों की राय में मतभेद है। विद्युत मंत्रालय ने 5 फीसदी सीमा शुल्क, वाणिज्य मंत्रालय 15 फीसदी और भारी उद्योग मंत्रालय 10 फीसदी सीमा शुल्क की मांग कर रहे हैं।
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