मैं अपने-आप में ही सौ वर्षों का इतिहास हूं: जोहरा सहगल

By: Team Aapkisaheli | Posted: 05 Jan, 2020

मैं अपने-आप में ही सौ वर्षों का इतिहास हूं: जोहरा सहगल
जोहरा सहगल अपने सकारात्मक मिज़ाज और प्रतिभा के लिए जानी जाती थीं। लेकिन किरन सैगल के लिए उनकी  माँ एक प्रेरणा, विश्वास और एक अत्यंत अनुरागी महिला थीं। जोहरा सहगल: फैटी किरन सैगल द्वारा रचित एक  मेधावी कलाकार की जीवनकथा है, जिसे लेखिका ने बड़े ही कलात्मक ढंग से प्रस्तुत किया है।

किताब की शुरुआत,  दिल को छू देने वाली प्रस्तावना से होती है, जो आगे चलकर हमें उस इतिहास से भी परिचित कराती है, जो लेखिका  की माँ, जोहरा सहगल से जुड़ जाती है।  लेखिका के मुताबिक, जोहरा सहगल, रोहिला पठान के समुदाय की है, जिनका वंशवृक्ष 15वीं सदी से चली आ रहा है।

कहानी मोड़ लेती है 1920 की तरफ़, जब हमें जोहरा सहगल के बचपन का दौर जानने को मिलता है, इनका जन्म  सहारनपुर, उत्तर प्रदेश के एक कुलीन मुस्लिम परिवार में हुआ और यहीं से उनके ज़िंदगी के कई उतार-चढ़ाव और  संघर्ष के दौर आरंभ होते हैं, उनका अभिनय के प्रति समर्पण और निष्ठा का भी पाठकों को अनुभव होता है।

जोहरा मुमताज़ सहगल ने उदय शंकर की मंडली में एक प्रभावशाली नर्तकी के रूप में अपनी करियर की शुरुआत की,  यही नहीं, यह किताब हमें ज़ोहरा सैगल की कई दुर्लभ और जीवंत तसवीरों से भी रूबरू कराती है, जो उनके जीवन के  कुछ खूबसूरत पलों को रोशनी देती है। ज़िंदगी हर तरह के क्षणों और परिस्थितियों का मिश्रण है, जिससे हर इनसान  को गुज़रना पड़ता है, जोहरा सहगल के जीवन में भी ऐसे कुछ क्षण भी आते हैं, जो बेहद ही तनावपूर्ण और दुखद थे,  परंतु वह कैसे इन सबके बीच अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व को कायम रखती हैं, इसका काफी रोचक तरीक़े से  लेखिका ने उल्लेख किया है। इस पुस्तक को पढ़ते समय ऐसा व्यतीत होता है, मानो जोहरा सहगल अपनी कहानी खुद  सुना रही हो और एक बेटी का माँ के प्रति आदर और सम्मान का भाव भी झलकता है। जोहरा सहगल: फैटी सचमुच  अपने आप में एक सौ वर्षों का इतिहास है।


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