हाउसफुल-2 : द डर्टी डजन : दिल खोलकर हंसो, ठहाके लगाओ

By: Team Aapkisaheli | Posted: 00 Aug, 0000

शाहरूख का महिलाओं का सम्मान, शुरूआत दीपिका से करेंगे!
हाउसफुल-2 : द डर्टी डजन : दिल खोलकर हंसो, ठहाके लगाओ
हाउसफुल-2 : द डर्टी डजन : दिल खोलकर हंसो, ठहाके लगाओ
निर्माता : साजिद नाडियाडवाला
निर्देशक : साजिद खान
कलाकार : रणधीर कपूर, ऋषि कपूर, मिथुन चक्रवर्ती, अक्षय कुमार, असिन, जॉन अब्राहम, जैकलीन फर्नाडिस, रितेश देशमुख, जरीन खान, श्रेयस तलपडे, शाजान पद्मसी, बोमन ईरानी, जॉनी लीवर, चंकी पांडे, मलाइका अरोडा खान -
राजेश कुमार इसमें कोई शक नहीं कि साजिद खान के निर्देशन में बनी फिल्म "हाउसफुल-2" पर आईपीएल का कोई असर नहीं होगा। जिस अंदाज में उनकी इस फिल्म ने ओपनिंग की है उससे स्पष्ट संकेत हैं कि आईपीएल का क्रेज दर्शकों में काफी कम है। साजिद खान की पिछली फिल्म हाउसफुल को देखकर दर्शक बहुत हंसा था लेकिन इस बार हाउसफुल-2 को देखकर वह जोर-जोर से ठहाके मारता है और कभी-कभी तो सीट से उछल पडता है। ऎसा नहीं है कि यह सिर्फ युवा करता है बल्कि पैंतालीस और उससे बडी उम्र का दर्शक भी कुछ ऎसा ही करता है। दर्शक करता नहीं है बल्कि अपने आप ही उसके मुंह से ठहाके गूंजने लगते हैं। इस फिल्म को देखने के बाद एक बात निश्चित रूप से कही जा सकती है कि फिल्म उद्योग में एक ऎसा ईमानदार निर्देशक आया है जो कभी अपनी फिल्मों के लिए बडे-बडे दावे किया करता था लेकिन इस फिल्म के लिए उसने बडे-बडे दावे तो नहीं किए लेकिन यह जरूर कहा कि इसे देखकर दर्शक जोर-जोर से ठहाके लगाते हुए हसेंगे और फिर रोने लगेंगे। दरअसल जोरदार ठहाके मारते-मारते आदमी की आंख से आंसू बहने लगते हैं। इस वर्ष बॉक्स ऑफिस पर सीक्वल फिल्मों की बहार रहेगी। इसकी शुरूआत निर्माता साजिद नाडियाडवाला की हाउसफुल-2 : द डर्टी डजन से हुई जो उनकी पिछली फिल्म हाउसफुल का सीक्वल है। इस फिल्म को साजिद खान ने निर्देशित किया है।
निर्देशक साजिद खान ने हास्य फिल्म की अपनी शैली विकसित की है, जो डेविड धवन से अलग है और मनमोहन देसाई के निकट है। साजिद खान को गंभीर सामाजिक सोद्देश्यता वाली फिल्म बनाने का कोई शौक नहीं है। उनका स्पष्ट कहना है कि वे हल्के-फुल्के मनोरंजन की फिल्म गढना पसंद करते हैं और व्यक्तिगत जीवन में भी खुशमिजाज आदमी हैं। मुफलिसी के दौर से निकले लोग हास्य की फिल्में बनाते हैं, क्योंकि इन लोगों को विफलता की चिन्ता नहीं होती है, परंतु जिन्हें अपनी कृति पर यकीन होता है कि उनकी फिल्म अधिकतम लोगों के मनोरंजन के लिए बननी चाहिए और बॉक्स ऑफिस के परे कुछ नहीं है। "हाउसफुल" महज साजिद खान की फिल्म का नाम नहीं है, उनके विचार का केंद्र भी है। फिल्म बनाते समय कोई फ्रेम खाली न देखे और एक भी क्षण नीरस न हो। वह फ्रेम्स के बीच खाली स्थान नहीं छोडते।
वह नीरवता और सन्नाटे का कोई पल अपनी फिल्म में नहीं रखते। हाउसफुल 2 कहानी है चार बेटियों, उनके चार पिताओं और उनके होने वाले चार दामादों की। पिता चाहते हैं कि उनकी बेटियों की शादी बहुत ही अमीर लडके से हो ताकि उसे कोई असुविधा न हो। लडकियां सोचती हैं कि वे जिन लडकों से शादी कर रही हैं वे बहुत अमीर हैं और दामाद सोच रहे हैं वे बहुत ही अमीर लडकी से शादी कर रहे हैं। हर किरदार बेईमान किंतु मनोरंजक है। खास बात तो ये है कि इनमें से कोई भी एक-दूसरे को बर्दाश्त नहीं कर सकता है फिर भी वे एक ही छत के नीचे इकट्ठा हैं। एक बहुसितारा फिल्म किसे कहा जाता है इसे हाउसफुल-2 देखकर अच्छी तरह से समझा जा सकता है। फिल्म में 12 अदाकार मुख्य भूमिका में हैं और छोटी-मोटी भूमिकाओं में भी तकरीबन इतने ही अदाकार नजर आते हैं। साजिद खान ने हर अदाकार से अभिनय के नाम पर जो हरकतें करवाई हैं वह उनके बचपने को प्रकट करती हैं और यही हरकतें दर्शकों को हंसा-हंसा कर थकाती हैं।
मुस्कराहट को रोकने की जितनी कोशिश की जाती है वह उतनी ही तेजी से दर्शक के चेहरे पर आती है और कभी-कभी यही मुस्कराहट ठहाके के रूप में तब्दील हो जाती है। हर सितारे ने अपने अंदाज में हास्य को प्रकट किया है। अक्षय कुमार, रितेश देशमुख और श्रेयस पहले भी कई फिल्मों में इस तरह की भूमिका अभिनीत कर चुके हैं। इन तीनों सितारों की टाइमिंग हास्य दृश्यों में परफैक्ट है। अफसोस जॉन अब्राहम को देखकर होता है। उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं आता है, दृश्य रोने का हो या हंसने दोनों वक्त एक जैसे लगते हैं। बुजुर्ग सितारों में ऋषि कपूर ने कमाल का काम किया है। इस उम्र में जिस अंदाज से यह अभिनेता अपने अंदर के कलाकार की परतें खोल रहा है उसकी जितनी तारीफ की जाए कम है। बोमन ईरानी टाइप्ड नजर आते हैं, वहीं रणधीर कपूर को परदे पर देखना अच्छा लगता है।
मिथुन चक्रवर्ती भी इन दिनों चरित्र भूमिकाओं में काफी सक्रिय हैं। जवानी में तो उन्होंने प्रभावित नहीं किया लेकिन बुढापे में जरूर प्रभावित कर रहे हैं। फिल्म की चारों नायिकाओं ने ग्लैरम का तडका लगाया है और अपनी नृत्य कौशल का भरपूर प्रदर्शन किया है। फिल्म का गीत संगीत सामान्य है। वक्ती तौर पर श्रोताओं को गीत लुभाते हैं लेकिन लम्बे समय तक इन गीतों को याद नहीं किया जा सकता है। फिल्म की लम्बाई कुछ ज्यादा है। लगभग ढाई घंटे की फिल्म के साथ 6 ट्रेलर दिखाए जाने से दर्शक को लगभग तीन घंटे तक परदे पर देखना पडता है। ढाई घंटे लम्बी इस फिल्म को साजिद चाहते तो कुछ कम कर सकते थे। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि अपने दिमाग को घर छोडकर आइए फिल्म देखते वक्त यह मत सोचिए कि यह क्या हो रहा है, देखिए दिल खोलकर हंसिए और हो सके तो जोर-जोर से ठहाके लगाइए आपके दिमाग में जितना भी तनाव होगा वह दूर हो जाएगा।
शाहरूख का महिलाओं का सम्मान, शुरूआत दीपिका से करेंगे!Next

Mixed Bag

Ifairer