मां ने बेटी के अपहरण का आरोप लगाया था कोर्ट ने मुस्लिम लॉ के अनुसार शादी जायज बताई

By: Team Aapkisaheli | Posted: 06 Jun, 2012

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मां ने बेटी के अपहरण का आरोप लगाया था कोर्ट ने मुस्लिम लॉ के अनुसार शादी जायज बताई
नई दिल्ली। 16 साल की एक मुस्लिम लडकी की शादी को कानूनी बताते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि मुस्लिम लॉ के अनुसार 18 साल से कम उम्र की लडकी जिसे कि माहवारी (मेंसेज) शुरू हो चुकी हो वह अपनी मर्जी से शादी कर सकती है। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की कई रूलिंग के मद्देनजर अपने दिए आदेश में कहा कि इससे साफ है कि मुस्लिम कानून के अनुसार 15 साल की एक लडकी अपनी मर्जी के अनुसार शादी कर सकती है, लेकिन उसके मेंसेज शुरू हो चुके हों।

इस मामले में 16 साल की एक मुस्लिम लडकी ने हाईकोर्ट से मांग की थी कि उसे अपने पति के साथ रहने दिया जाए। जबकि लडकी की मां ने आरोप लगाया था कि उनकी बेटी का अपहरण कर युवक ने जबरन उससे शादी की है। न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट्ट व एसपी गर्ग की पीठ ने यह आदेश एक हैबियस कार्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका) की सुनवाई करते हुए दिया। मुस्लिम लडकी की मां का आरोप था कि गत वर्ष अप्रैल माह में एक युवक ने उसकी बेटी का अपहरण कर लिया और उसके बाद उससे जबरदस्ती शादी कर ली। याचिका में मांग की गयी थी कि पुलिस उनकी बेटी को जिंदा या मुर्दा पेश करे।

याचिका में कहा गया कि उनकी नाबालिग बेटी का अपहरण करने के बाद 13 मार्च 2011 को फोन पर धमकी दी गयी कि यदि उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाही की गयी तो उनकी दूसरी बेटी का भी अपहरण कर लिया जाएगा। कहा गया कि अपहरण के वक्त उनकी बेटी के पास डेढ लाख रूपए भी थे। याचिका के अनुसार घटना की जानकारी पुलिस उपायुक्त को देकर अपनी नाबालिग बेटी को युवक के चंगुल से मुक्त कराने की मांग की गयी और फिर उसके बाद 14 अप्रैल 2011 को थाना गोकुलपुरी में रिपोर्ट भी दर्ज करायी गयी। पुलिस ने लडकी को पेश करते हुए बताया कि वह अपनी मर्जी से कथित व्यक्ति के साथ बतौर बीवी रह रही है। नाबालिग लडकी ने भी अपने बयान में कहा कि वह उसी व्यक्ति के साथ रहना चाहती है और उसने अपनी मर्जी से शादी की है। पीठ ने लडकी के बयान को स्वीकार करते हुए उसके बयान से सहमति जताई और कहा कि युवक पर लगे आरोप अनुचित हैं।

इस मामले के चलने के दौरान किशोरी को निर्मल छाया भेज दिया गया था। इसके मद्देनजर पीठ ने निर्मल छाया को निर्देश दिया कि चाइल्ड वेलफेयर कमेटी जरूरी कानूनी कार्रवाही पूरी करने के बाद किशोरी को उसके पति के साथ रहने के लिए भेज दें। पीठ ने किशोरी, उसके पति व सास-ससुर को निर्देश दिया कि वह किशोरी के वेलफेयर के लिए हर छह महीने में कमेटी के सामने तब तक पेश हों जब तक कि वह बालिग नहीं हो जाती है। इस मामले में निर्मल छाया की तरफ से बताया गया कि किशोरी की उम्र 15 साल दस माह व 23 दिन है।
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