हैप्पी बर्थ डे मृणाल दा!

By: Team Aapkisaheli | Posted: 14 May, 2012

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हैप्पी बर्थ डे मृणाल दा!
चार बार राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित और वर्ष 2005 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार प्राप्त करने वाले फिल्मकार मृणाल सेन का आज जन्म दिन है। वे अपना 90वां जन्म दिन मना रहे हैं। लेकिन इस मौके पर न कोई शोर शराबा न मित्रों का आना। तंहाई में अकेले बैठकर 90वें पडाव पर पहुंचकर नई फिल्म बनाने की सोच।

सिनेमाई परदे के लिए काम करने वाले कभी भी अपने आप को उससे सेवानिवृत नहीं कर पाता है। कुछ समय के लिए वह जरूर इससे दूर होता है लेकिन फिर वापस उसी में शामिल हो जाता है। ऎसे ही एक फिल्मकार हैं मृणाल सेन जो आज अपनी 90वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। उनके द्वारा निर्मित निर्देशित अन्तिम फिल्म एक दशक पूर्व वर्ष 2002 में प्रदर्शित हुई थी। प्रसिद्ध फिल्म निर्माता मृणाल सेन अभी भी काम में लगे हुए हैं और इस उम्र में भी उनमें एक नयी फिल्म बनाने का जज्बा कायम है।

खंडहर (1984) और भुवन सोम (1969) जैसी फिल्मों में बेहतरीन निर्देशन के लिए चार बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीतने के अलावा उन्हें फिल्म निर्माण में भारत के सबसे बडे पुरस्कार दादा साहेब फाल्के से वर्ष 2005 में सम्मनित किया गया था। सत्यजीत रे और रित्विक घटक के साथ ही दुनिया की नजरों में भारतीय सिनेमा की छवि बदलने वाले सेन ने कहा कि हर रोज मैं एक नयी फिल्म बनाने के बारे में सोचता हूं। देखते हैं कब मैं उस पर काम करता हूं।

अभिनेत्री नंदिता दास अभिनीत उनकी अंतिम फिल्म आमार भुवन (यह, मेरी जमीन) वर्ष 2002 में प्रदर्शित हुयी थी। उन्होंने कहा कि मैंने उसके बाद कोई फिल्म नही बनायी लेकिन मैंने यह कभी नहीं सोचा कि मैं सेवानिवृत हो गया हूं। उनकी फिल्मों में प्रत्यक्ष राजनीतिक टिप्पणियों के अलावा सामाजिक विश्लेषण और मनोवैज्ञानिक घटनाक्रमों की प्रधानता रही है। वाम झुकाव वाले निर्देशक भारत में वैकल्पिक सिनेमा आंदोलन के अग्रणी के रूप में जाने जाते हैं और अक्सर उनकी तुलना उनके समकालीन सत्यजीत रे के साथ की जाती है। हाल ही में एक बडे निजी बैंक ने उन्हें फिल्म बनाने के लिए धन देने का प्रस्ताव दिया था।

सेन ने कहा कि मेरे लिए धन की समस्या नहीं है। बैंक ने कहा है कि हम लोग पांच करोड से अधिक की धनराशि देने के लिए तैयार हैं। मैंने उनसे कहा कि मैं पांच करोड में छह फिल्म बना सकता हूं। उन्होंने कहा कि एक बात जो मुझे इस बुढापे में परेशान करती है वह है मेरी फिल्मों के प्रिंटों का जर्जर होना। जिसमें कई आज भी दर्शनीय मानी जाती हैं। सेन ने कहा कि उनमें से अधिकांश की स्थिति बहुत खराब है। ऎसा खराब जलवायु और उचित रखरखाव के अभाव के कारण हो रहा है।
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