सोने का मोह भंग, रिकॉर्ड गिरावट, खरीद में 4 प्रतिशत की कमी, निजी हाथों में 1 हजार अरब डॉलर का सोना

By: Team Aapkisaheli | Posted: 01 Jun, 2012

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सोने का मोह भंग, रिकॉर्ड गिरावट, खरीद में 4 प्रतिशत की कमी, निजी हाथों में 1 हजार अरब डॉलर का सोना
लंदन। अमरीका में आर्थिक संकट, यूरोप का सरकारी ऋण संकट और एशियाई बाजारों में ऊंची कीमतों के कारण मई 2012 के दौरान वैश्विक स्तर पर सोने के दामों में 30 वर्षो की गिरावट दर्ज की गई है। प्राप्त आंक़डों के अनुसार मई के दौरान सोने के दामों में छह प्रतिशत की गिरावट रही है। इससे पहले इस स्तर की गिरावट वर्ष 1982 में देखी गई थी। सोने की आसमान छूती कीमतों और लगातार बढती महंगाई के कारण देश में इस पीली धातु के प्रति लोगों का मोह कुछ कम हुआ है।

एक रिपोर्ट के अनुसार देश में सोने की खरीद में करीब चार प्रतिशत की कमी आई है। हालांकि सोने का उपयोग लोग अब साज सज्जा के लिए कम और निवेश की दृष्टि से अधिक कर रहे हैं जिससे निवेश के तौर पर इसमें चार प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। एल्फ्वााइज संगठन के इंडियन गोल्ड सर्वे-2012 के अनुसार शहरी भारत में सोने की मांग में 13 प्रतिशत की कमी आई है जबकि ग्रामीण भारत में यह चार प्रतिशत बढी है। रिपोर्ट के अनुसार देश में मौजूद दस प्रतिशत सोना निजी हाथों में है जो करीब एक हजार अरब डालर के करीब है।

सोने की खपत देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की 2.3 प्रतिशत है तथा वर्ष 2011 में यह विश्व में कुल सोने की मांग का एक चौथाई थी। देश में लगातार सोने की मांग को पूरा करने के लिए सरकार को इसके आयात पर निर्भर होना पड रहा है ऎसे में सरकार नए कर लगाकर सोने की मांग में कटौती करने का प्रयास कर रही है। रिपोर्ट के अनुसार सोने की मांग इस समय निवेश और उपभोग दोनों वर्गो में हो रही है। शहरी भारत में जहां अब भी सोने की शादी ब्याह और दिखावे के प्रतीक के तौर पर मांग बनी हुई है वहीं लोग इसे निवेश और संपत्ति के तौर पर देख रहे हैं।

सर्वेक्षण के अनुसार देश में लोग एक तिहाई सोना जमा पूंजी के रूप में रखते हैं लेकिन वर्ष 2012 में इसमें कमी देखी गई है। इसका मुख्य कारण यह भी है कि लोग अब अच्छी ब्याज दर के मद्देनजर सोने की बजाय सावधी जमा योजना में निवेश कर रहे हैं।
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