इशकजादे : एक और सुपर तारिका का सफल आगाज

By: Team Aapkisaheli | Posted: 12 May, 2012

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इशकजादे : एक और सुपर तारिका का सफल आगाज
निर्माता : आदित्य चोपडा
कथा पटकथा व संवाद लेखक : हबीब फैजल, आदित्य चोपडा
निर्देशक : हबीब फैजल
संगीत : अमित त्रिवेदी
कलाकार : अर्जुन कपूर, परिणीति चोपडा
-राजेश कुमार भगताणी

राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त दो दूनी चार जैसी सिने इतिहास के लिए मील का पत्थर बनी फिल्म देने वाले निर्देशक लेखक हबीब फैजल बतौर लेखक कभी कामयाब साबित नहीं हुए हैं लेकिन निर्देशन में जरूर वे अपनी गहरी पकड साबित करते हैं।

यशराज कैम्प के लिए कई असफल फिल्म लिख चुके और पहली बार उनके लिए इशकजादे का निर्देशन करने वाले हबीब ने अपनी दूसरी निर्देशित फिल्म में जहां निर्देशन में कमाल दिखाया है वहीं अगर वे लेखक के तौर पर कहानी में कुछ नया दिखाने का प्रयास करते तो इशकजादे एक अच्छी प्रेम कहानी के रूप में दर्शकों के सामने आ सकती थी। हबीब फैजल और आदित्य चोपडा ने मिलकर कहानी लिखी है, लेकिन कुछ नया नहीं सोच पाए।

हजारों बार फिल्मी परदे पर इस तरह की कहानी देखी जा चुकी है। अलबत्ता फिल्म का ट्रीटमेंट, लोकेशन और मुख्य कलाकारों का अभिनय जरूर बेहतर है इसलिए फिल्म थोडी अलग-सी लगती है। फिल्म की कहानी में धर्म के साथ प्रेम को प्रमुखता दी गई है। नायक और नायिका अलग-अलग धर्मो से ताल्लुक रखते हैं। दोनों के खानदान के बीच जानी दुश्मनी है। आपसी टकराव के बाद दोनों में प्यार हो जाता है लेकिन अन्त में दोनों के खानदान उनके खून के प्यासे हो जाते हैं।

इस फिल्म का कथानक लिखते वक्त आदित्य चोपडा और हबीब फैजल ने मंसूर खान की कयामत से कयामत को ध्यान में रखा है। इस घिसी-पिटी कहानी में उन्होंने टि्वस्ट ये दिया गया है कि दोनों के परिवार राजनीति में हैं।

परमा (अर्जुन कपूर) के दादा और जोया (परिणीति चोपडा) के पिता चुनाव के मैदान में आमने-सामने हैं। चुनाव प्रचार के दौरान परमा को सब के सामने जोया थप्पड जमा देती है। इसका बदला वह उसे प्यार के जाल में फंसा और चुपचाप शादी करके लेता है। शादी के बाद सुहागरात मनाकर वह जोया को छोड देता है। उसका बदला पूरा हो गया। इसके बाद जोया परमा को जानवर से इंसान बनाती है और परमा सचमुच उससे प्रेम करने लगता है।

निर्देशक हबीब फैजल ने इस घिसी-पिटी कहानी को नए तरीके से पेश किया है। एक छोटे शहर का बैकड्रॉप और वहां होने वाली राजनीति को उन्होंने जीवंतता के साथ पेश किया है। उन्होंने कुछ सीन बेहतरीन फिल्माए हैं। हबीब ने अपने कलाकारों से बेहतरीन काम लिया है।

बोनी कपूर के बेटे अर्जुन कपूर की यह पहली फिल्म है, लेकिन उन्होंने परमा की जो बॉडी लैंग्वेज पकडी है वो कमाल की है। छोटे शहर के दबंग छोकरे का किरदार उन्होंने पूरी ऊर्जा और तीव्रता के साथ पेश किया है। लेडिस वर्सेस रिकी बहल में अपने अभिनय से प्रभावित करने वाली परिणीति चोपडा ने एक बार फिर दमदार एक्टिंग की है और क्लाइमेक्स में उनका अभिनय देखने लायक है। उनके बिंदास अभिनय को देखकर यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं है कि बॉलीवुड को भावी सुपर तारिका मिल गई है।

हिन्दी फिल्मों में श्रीदेवी के बाद एक ऎसी अभिनेत्री का आगाज हुआ है जो अकेले दम पर बॉक्स ऑफिस पर अपनी फिल्म को सफलता प्रदान करवा सकती है। भविष्य में अगर उन्होंने अच्छी फिल्मों को चुना तो आने वाले समय में वे करीना कपूर, विद्या बालन, कैटरीना कैफ इत्यादि को बिसारने पर मजबूर कर देंगी।

फिल्म में जहां सितारों का अभिनय गजब का है, वहीं उसके दूसरे पहलुओं ने भी अपनी उपस्थिति का अहसास करवाया है। अर्से बाद कोई ऎसी फिल्म देखने को मिली है जिसकी सम्पादन प्रक्रिया कसी हुई है। फिल्म का पहला हॉफ रोचक है। श्रेष्ठ सम्पादन के लिए आरती बजाज को धन्यवाद। रंजीत बारोट का बैकग्राउंड स्कोर और हेमंत चतुर्वेदी का कैमरावर्क फिल्म को रिच लुक देता है। लेकिन यहां पर संगीतकार अमित त्रिवेदी का काम अखरता है। अमित त्रिवेदी फिल्म में एक भी ऎसा गीत नहीं दे पाये हैं जिसे गुनगुनाया जा सके।
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