POK में भडक़ा विद्रोह, सडक़ों पर लोग, मीडिया रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध

By: Team Aapkisaheli | Posted: 27 July, 2016

POK में भडक़ा विद्रोह, सडक़ों पर लोग, मीडिया रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध
नई दिल्ली। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर भाग (POK) में 21 जुलाई को हुए चुनाव में बबाल को लेकर जोरदार विरोध प्रदर्शन चालू हो गया है। बुधवार को पूरे इलाके में लोग सडक़ पर उतर आए, कई जगहों पर आगजनी की घटनाएं सामने आई हैं। इस चुनाव नें प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) को 41 में से 32 सीटों पर जीत मिली थी। चुनावी प्रक्रिया और नतीजों के विरोध में मुजफ्फराबाद, कोटली, चिनारी और मीरपुर में लगो भारी संख्या में सडक़ पर निकल आए हैं। गुस्से में लगों ने सडक़ पर टायर भी जलाए। रदर्शनकारियों का कहना है कि मतदाताओं को मतदान करने से रोका गया। उन्होंने धांधली के बारे में शिकायत की थी लेकिन कोई सुनवाई ही नहीं हुई। चुनाव में हार का सामना करने वाले एक मुस्लिम कॉन्फ्रेंस के नेता ने कहा, चुनावों में हेराफेरी के बाद पीएमएल-एन प्रॉपेगैंडा फैला रहा है और लोगों की हत्या में लिप्त है। पीएमएल के सदस्यों ने मेरे दोस्त की हत्या कर दी। यदि प्रशासन हत्यारे के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करता है, तो भविष्य की घटनाओं के लिए वही जिम्मेदार होगा। बताया जा रहा है कि मुजफ्फराबाद में पीएमएल (एन) के कुछ सदस्यों ने मुस्लिम कांफ्रेंस के एक समर्थक की हत्या कर दी थी। पाक प्रशासन ने मीडिया रिपोर्टिंग पर कड़ी कार्रवाई के लिए चेतावनी दी है। ऐसे भी आरोप लग रहे हैं कि पीएमएल को जीताने के लिए आईएसआई ने धांधली कराई। इस चुनाव में मुस्लिम कॉन्फ्रेंस और पीपीपी को तीन-तीन सीटें मिली हैं। राजनीतिक दलों ने चुनावों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। मुजफ्फराबाद से नीलम घाटी तक के वोटर्स ने शिकायत की है कि उन्हें वोट नहीं डालने दिया गया। पीओके के पूर्व प्रधानमंत्री और मुस्लिम कॉन्फ्रेंस के नेता बैरिस्टर सुल्तान मोहम्मद चौधरी ने कहा, चुनाव में भारी हेराफेरी की गई है। वोटर्स को खरीदने के लिए जमकर पैसे बांट गए। मीरपुर इलाके में वोटर्स को पैसे देने के मामले खूब सामने आए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चुनावी नतीजा हमेशा फिक्स होता है। पाकिस्तान की जो सत्ताधारी पार्टी होती है, उसे ही जीत मिलती है। इस मामले में उम्मीद न के बराबर होती है कि कोई तीसरी पार्टी को जीत मिले। एक स्थानीय नागरिक ने बताया, 2011 में पाकिस्तान पीपल्स पार्टी ने पीओके में सरकार बनाई थी, क्योंकि तब पाकिस्तान की सत्ता उसके पास थी। यह मजाक है कि लोगों को वोट देने का अधिकार है। यहां केवल चेहरे बदलते हैं, हमें हमेशा मूर्ख बनाया जाता है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वास्तविक वोर्टस को वोटिंग से दूर रखा गया। कहा जा रहा है कि आईएसआई ने पीएमएल को जिताने के लिए चुनाव में धांधली की। पीओके में हुए चुनाव को लोग फर्जी बता रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इन्होंने चुनाव में धांधली को लेकर शिकायत भी की, लेकिन किसी ने सुनी नहीं। चुनाव प्रक्रिया में धांधली का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने बताया है कि यह कोई पहली बार नहीं है, जब चुनाव के नाम पर कुछ भी निष्पक्ष तरीके से नहीं हुआ। हर चुनाव में यह देखने को मिलता है कि लोग सडक़ पर उतरते हैं और मीडिया में रिपोर्टिंग को बैन कर दिया जाता है। हर चुनाव में विदेशी पर्यवेक्षकों की भी नहीं आने दिया जाता।
यहां के लोगों की मांग है कि चुनाव को निष्पक्ष तरीके से कराने केलिए एक तटस्थ नेतृत्व को आगे किया जाए। पाकिस्तान की सरकार यहां के लोगों की डिमांड हमेशा खारिज करती रही है। पाकिस्तान कहता रहा है कि उसके कब्जे वाले कश्मीर में लोग खुश हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है।
प्रदर्शनकारियों ने यातायात को बाधित कर दिया है। पुलिस से लोगों की झड़प भी हुई है। प्रशासन ने मीडयिा पब्लिकेशन और प्रसारण को पूरी तरह से बैन कर दिया है। पीओके असेंबली हॉल और अन्य सरकारी इमारतों के पास भी प्रदर्शनकारी विरोध कर रहे हैं। इनका कहना है कि इन्हें मतदान करने से रोका गया। दूसरी तरफ, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत पर अंगुली उठाने के बजाय पाकिस्तान को अपने मानवाधिकारों के रिकॉर्ड पर ध्यान देना चाहिए।

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