अब मजबूत होगी अर्थव्यवस्था, वित्तीय प्रोत्साहन देने की कोई गुंजाइश नहीं : मनमोहन सिंह

By: Team Aapkisaheli | Posted: 05 Jun, 2012

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अब मजबूत होगी अर्थव्यवस्था, वित्तीय प्रोत्साहन देने की कोई गुंजाइश नहीं : मनमोहन सिंह
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कमजोर पडती अर्थव्यवस्था को संभालने और इसमें नई जान फूंकने के लिए सोमवार को कुछ अहम फैसले किए। उन्होंने कोयला क्षेत्र की समस्याओं को दूर करने के लिए मंत्रियों का एक समूह गठित किया और बुनियादी क्षेत्र की अटकी पडी बडी परियोजनाओं की समीक्षा के लिए छह जून को एक बैठक बुलाई है।

प्रधानमंत्री ने जहां एक तरफ मौजूदा मुश्किल समय में देश को सुधारों के रास्ते पर चलते रहने की नसीहत दी वहीं वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कच्चे तेल के गिरते दाम और सामान्य मानसून की उम्मीद को अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर बताया। शेयर बाजार पर इसका सकारात्मक असर हुआ। आधारभूत परियोजनाओं के 1.46 लाख करोड रूपए की परियोजनाएं लंबित पडी हैं। प्रधानमंत्री वरिष्ठ कैबिनेट सहयोगियों के साथ इन परियोजनाओं की समीक्षा करेंगे। बिजली, इस्पात, राजमार्ग और सीमेंट कारखाने लगाने की ये परियोजनाएं नियामक संस्थाओं से मंजूरी मिलने की प्रतीक्षा में लंबित पडी हैं। प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई यह बैठक इस मामले में काफी अहम है, क्योंकि वर्ष 2011-12 में देश की आर्थिक वृद्धि दर घटकर 6.5 फीसद रह गई। यह दर पिछले नौ साल में सबसे कम है।

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कर अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था को वित्तीय समर्थन के लिए अब कहीं कोई गुंजाइश नहीं बची है। प्रधानमंत्री ने कोयला क्षेत्र में नियामक स्थापित करने को लेकर बने मतभेदों को दूर करने के लिए नौ सदस्यों का एक मंत्रिस्तरीय पैनल बनाने को मंजूरी दी। कोयला क्षेत्र के विधेयक के मसौदे में कोयला क्षेत्र के लिये नियामक बनाने का प्रस्ताव है। इसको लेकर विभिन्न मंत्रालयों में एक राय नहीं बन पाई है। देश में कई बडी परियोजनाएं लंबे समय से लंबित पडी हैं। कोरियाई कंपनी पोस्को की 12 अरब डालर की इस्पात परियोजना, 90 अरब डालर की अनुमानित लागत से बनने वाला दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा जैसी ब़डी परियोजनाएं कई तरह की मंजूरियां नहीं मिलने और भूमि अधिग्रहण नहीं होने की वजह से अटकी पडी हैं।

प्रधानमंत्री ने इन्हीं मुद्दों को ध्यान में रखते हुए 1,000 करोड रूपए अथवा इससे अधिक राशि की परियेजनाओं के çR यान्वयन पर निगरानी के लिए निवेश निगरानी प्रणाली बनाने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री ने कहा, "देश और हमारी अर्थव्यवस्था के लिए यह कठिन समय है। उन्होंने कहा कि यह समय है जब हमारी इच्छा शक्ति और प्रतिबद्वता की परीक्षा होगी। हमें अपने पर विश्वास रखते हुए रास्ते पर आगे बढना होगा।
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