पुण्यतिथि : अदाकारा नहीं डॉक्टर बनना चाहती थी नरगिस

By: Team Aapkisaheli | Posted: 03 May, 2016

पुण्यतिथि : अदाकारा नहीं डॉक्टर बनना चाहती थी नरगिस
बचपन से डॉक्टर बनने का सपना संजोये नरगिस ने अपनी माँ अभिनेत्री और फिल्म निर्मात्री जद्दन बाई के कहने पर बड़े अनमने ढंग से मेहबूब खान को स्क्रीन टेस्ट दिया। यह सोचकर कि उन्हें अभिनेत्री नहीं बल्कि डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करनी है। हुआ इसका उल्टा मेहबूब खान को उनकी बेफिक्री और संवाद बोलने का अंदाज इतना ज्यादा भाया कि उन्होंने नरगिस को अपनी फिल्म ‘तकदीर’ की नायिका बना दिया। यह वर्ष 1943 की बात है। इन्हीं मेहबूब खान की वर्ष 1957 की फिल्म ‘मदर इंडिया’ ने नरगिस के सिने करियर और जीवन में जबरदस्त भूचाल ला दिया। इस फिल्म के एक दृश्य में नरगिस वास्तविक आग की चपेट में फंस गई थीं, जिन्हें सुनील दत्त ने अपनी जान पर खेलकर बचाया और उसके बाद इन दोनों ने विवाह कर लिया। मदर इंडिया में सुनील दत्त ने नरगिस के बेटे की भूमिका निभाई थी। अखबारों और रेडियो के माध्यम से जब दर्शकों और श्रोताओं को इन दोनों के विवाह करने की बात पता चली तो हिन्दुस्तानी महिलाओं ने कहना शुरू किया कैसा कलजुग आ गया है माँ ने अपने ही बेटे के साथ शादी कर ली। शादी के बाद नरगिस ने फिल्मों में काम करना कुछ कम कर दिया। करीब दस वर्ष के बाद अपने भाई अनवर हुसैन और अख्तर हुसैन के कहने पर नरगिस ने 1967 में फिल्म ‘रात और दिन’ में काम किया। इस फिल्म के लिये उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पहला मौका था जब किसी अभिनेत्री को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया था। इस फिल्म में उनके साथ फिरोज खान ने काम किया था। इस फिल्म के गीतों ने अपने समय में खासी प्रसिद्धि प्राप्त की थी ‘विशेषकर दिल की गिरह खोल दो चुप न बैठो कोई गीत गाओ. . . महफिल में अब कौन है अजनबी तुम मेरे पास आओ’।

नरगिस का जन्म कोलकाता शहर में एक जून 1929 को हुआ था। उनका असली नाम कनीज फातिमा राशिद था। नरगिस के घर में मां जद्दन बाई के अभिनेत्री और फिल्म निर्माता होने के कारण फिल्मी माहौल रहता था। इसके बावजूद बचपन में नरगिस की अभिनय में कोई दिलचस्पी नहीं थी। उनकी तमन्ना डाक्टर बनने की थी जबकि उनकी मां चाहती थीं कि वह अभिनेत्री बनें। एक दिन उनकी मां ने उनसे स्क्रीन टेस्ट के लिए फिल्म निर्माता एवं निर्देशक महबूब खान के पास जाने को कहा। चूंकि नरगिस अभिनय क्षेत्र में जाने की इच्छुक नहीं थीं इसलिए उन्होंने सोचा कि यदि वह स्क्रीन टेस्ट में फेल हो जाती हैं तो उन्हें अभिनेत्री नहीं बनना पड़ेगा। स्क्रीन टेस्ट के दौरान नरगिस ने अनमने ढंग से संवाद बोले और सोचा कि महबूब खान उन्हें स्क्रीन टेस्ट में फेल कर देंगे लेकिन उनका यह विचार गलत निकला। महबूब खान ने अपनी फिल्म ‘तकदीर’ 1943 के लिए बतौर नायिका उन्हें चुन लिया।

सन् 1945 में महबूब खान द्वारा ही निर्मित फिल्म ‘हुमाँयूं’ में नरगिस को काम करने का मौका मिला। वर्ष 1949 नरगिस के सिने कैरियर में अहम पड़ाव साबित हुआ। इस वर्ष उनकी बरसात और अंदाज जैसी सफल फिल्में प्रदर्शित हुयी। प्रेम त्रिकोण बनी फिल्म अंदाज में उनके साथ दिलीप कुमार और राजकपूर जैसे नामी अभिनेता थे। इसके बावजूद भी नरगिस दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रही। वर्ष 1950 से 1954 तक का वक्त नरगिस के सिने कैरियर के लिये बुरा साबित हुआ। इस दौरान उनकी शीशा, बेवफा, आशियाना, अंबर, अनहोनी, शिकस्त, पापी, धुन, अंगारे जैसी कई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल हो गयी लेकिन वर्ष 1955 में उनकी राजकपूर के साथ श्री 420 फिल्म प्रदर्शित हुयी जिसकी कामयाबी के बाद वह एक बार फिर से शोहरत की बुंलदियो पर जा पहुंची। नरगिस के सिने कैरियर मे उनकी जोड़ी राज कपूर के साथ काफी पसंद की गयी। राज कपूर और नरगिस ने सबसे पहले फिल्म वर्ष 1948 मे प्रदर्शित फिल्म ‘आग’ में एक साथ अभिनय किया था। इसके बाद नरगिस ने राजकपूर के साथ बरसात, अंदाज, जान-पहचान, प्यार, आवारा, अनहोनी, आशियाना, आह, धुन, पापी, श्री 420, जागते रहो, चोरी चोरी जैसी कई फिल्मों में भी काम किया। वर्ष 1956 में प्रदर्शित फिल्म ‘चोरी चोरी’ नरगिस और राजकपूर की जोड़ी वाली अंतिम फिल्म थी। हालांकि राजकपूर की फिल्म ‘जागते रहो’ में भी नरगिस ने अतिथि कलाकार की भूमिका निभायी। इस फिल्म के अंत मे लता मंगेश्कर की आवाज में नरगिस पर ‘जागो मोहन प्यारे’ गाना फिल्माया गया था।

साल 1957 में महबूब खान की फिल्म ‘मदर इंडिया’ नरगिस के सिने कैरियर के साथ ही व्यक्तिगत जीवन में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। इस फिल्म में नरगिस ने सुनील दत्त की मां का किरदार निभाया था। मदर इंडिया की शूटिंग के दौरान नरगिस को आग से सुनील दत्त ने बचाया था। इस घटना के बाद नरगिस ने कहा था कि पुरानी नरगिस की मौत हो गयी है और नयी नरगिस का जन्म हुआ है। उन्होंने अपनी उम्र और हैसियत की परवाह किये बिना सुनील दत्त को अपना जीवन साथी चुन लिया। नरगिस के सिने कैरियर में उनकी जोड़ी राजकपूर के साथ काफी पसंद गयी। नरगिस ने अपने सिने कैरियर में लगभग 55 फिल्मों में काम किया। नरगिस को अपने सिने कैरियर में मान-सम्मान बहुत मिला। वह पहली अभिनेत्री थी जिन्हें पदमश्री पुरस्कार दिया गया। उन्हें राज्यसभा सदस्य भी बनाया गया। अपने संजीदा अभिनय से सिने प्रेमियों को भावविभोर करने वाली नरगिस 03 मई 1981 को सदा के लिये इस दुनिया से रूखसत हो गयी।

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