भारी आवक और कमजोर मांग से जीरा नरम

By: Team Aapkisaheli | Posted: 13 Apr, 2012

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भारी आवक और कमजोर मांग से जीरा नरम
नई दिल्ली। भारी आवक और कमजोर मांग से जीरे की कीमतें दिसंबर 2011 से अब तक 20 फीसदी से ज्यादा टूट चुकी हैं। ऊंझा के हाजिर बाजार में कीमतें सोमवार को 11,000-11,500 रूपये प्रति क्विंटल पर रहीं जबकि कुल आवक 50,000 बोरी (55 किलो प्रति बोरी) रही। कारोबारी सूत्रों के मुताबिक, साल 2011 के दौरान जीरे का रकबा करीब-करीब दोगुना हो गया है और इस बार बंपर उत्पादन हुआ है। ऊंझा के एक जीरा कारोबारी व निर्यातक ने कहा कि गुजरात में इस साल जीरे की बुआई 2.65 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल 1.30 लाख हेक्टेयर रकबा था। हालांकि दीवाली के बाद मौसम में उतारचढ़ाव के कारण फसल को नुकसान पहुंचने का डर था। लेकिन अब स्थितियां बदल गई हैं और बाजार में जीरे की बाढ़ आ गई है और कीमतें भी लगातार कम हो रही हैं। दिसंबर 2011 में ऊंझा बाजार में जीरे का भाव 13,500 से 14,500 रूपये प्रति क्विंटल था। पिछले तीन महीने में हाजिर बाजार में जीरे की कीमतें 20 फीसदी से ज्यादा टूटी हैं और यह फिलहाल 11,000-11,500 रूपये प्रति क्विंटल है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में जीरे की कीमतें 2500 डॉलर प्रति टन है जबकि सीरिया के जीरे की कीमतें 3300 डॉलर प्रति टन। ऊंझा व्यापारी महामंडल के पूर्व अध्यक्ष और उद्योग के विश्लेषक अरविंद पटेल ने कहा कि हमें 32-33 लाख बोरी जीरा उत्पादन की उम्मीद है जबकि पिछले साल 28 लाख बोरी उत्पादन हुआ था। घरेलू बाजार में मांग कमजोर है और रोजाना 30,000 बोरी सामान्य आवक के मुकाबले करीब 40,000 बोरी जीरे की आवक हो रही है। सोमवार को आवक बढ़कर 50,000 बोरी हो गई थी। इससे कीमतों पर दबाव प़डा है। कमजोर मांग के चलते कीमतें हाजिर बाजार में 110 रूपये प्रति किलोग्राम से नीचे भी जा सकती हैं। गुजरात में इस साल 12-13 लाख बोरी जीरा उत्पादन की संभावना है जबकि राजस्थान का योगदान करीब 10 लाख बोरी का हो सकता है।
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