सीबीआई ने कहा आडवाणी पर चले केस

By: Team Aapkisaheli | Posted: 07 May, 2012

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सीबीआई ने कहा आडवाणी पर चले केस
नई दिल्ली। बाबरी मस्जिद कांड को लेकर सीबीआई भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी को किसी प्रकार की रियायत देने के मूड में नहीं है। उसने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह न केवल आडवाणी पर से साजिश के आरोप हटाने के खिलाफ है बल्कि वह चाहती है कि मुलजिम कारसेवकों के साथ-साथ आडवाणी पर भी मुकदमा चले। बाबरी मस्जिद कांड में 2 एफआईआर दर्ज की गई थीं।

पहली एफआईआर नंबर 197/92 उन कारसेवकों पर थी, जिन पर मस्जिद को ढहाने का आरोप लगा था। दूसरी एफआईआर नंबर 198/92 कार सेवकों को उकसाने के लिए आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया और साध्वी ऋतंभरा का नाम है। ताजा शपथ-पत्र में सीबीआई ने कहा, कुछ लोगों को विवादित ढांचा को ढहाने में सीधे तौर पर शामिल न होने की वजह से एफआईआर 197/92 के आरोपियों से अलग करना संभव नहीं है।

जांच एजेंसी ने कहा, यह कहना गलत होगा कि 197/92 और 198/92 दो अलग केस हैं या तथ्य अलग हैं और घटनाएं अलग-अलग जगह घटित हुईं। सीबीआई की जांच में पता चला है कि विवादित ढांचे को ढहाने के लिए एक बडी साजिश रची गई थी। चार्जशीट में आरोपित 49 केस के सभी आरोपियों ने इस आपराधिक साजिश के मकसद को पूरा करने की खातिर अपना-अपना रोल निभाया। आडवाणी की भूमिका पर सीबीआई ने कहा, ढांचे को ढहाए जाने से पहले और उसके दौरान एफआईआर नंबर 198/92 में शामिल 8 लोगों समेत कई आरोपियों ने मंच से नारों के जरिए उकसाया, जिसकी वजह से कार सेवकों ने ढांचे को ढहाने की कोशिश की। 30 पेज के शपथ-पत्र में सीबीआई ने कहा, गुंबद के गिरते ही आरोपी नेताओं समेत मंच पर मौजूद लोगों ने तालियां बजाकर खुशी जाहिर की।

एक-दूसरे के गले लग कर बधाइयां दीं और मिठाइयां बांटीं। यह सब विवादित ढांचे से 175 मीटर दूरी पर हुआ, जहां से ढांचे का नजारा साफ दिखता है। इसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के 12 फरवरी, 2001 को दिए फैसले का हवाला भी दिया गया है, जिसमें कहा था, उत्तेजक नारे लगाकर दो समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा करना, राष्ट्रीय एकता को प्रभावित करना, ढांचा को ढहाना और वहां जो घट रहा था उसे रिकॉर्ड करने से रोकने के लिए मीडिया के लोगों पर हमला करना, एक ही कार्रवाई का हिस्सा है और इन्हें एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता है। इस शपथ-पत्र के जरिए सीबीआई ने हाई कोर्ट के 2012 के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें कोर्ट ने आडवाणी पर साजिश रचने का चार्ज हटाने की बात कही थी। कोर्ट ने दोनों एफआईआर पर अलग मुकदमे चलाने के लिए कहा था। कोर्ट ने 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में मौजूद न रहने वाले बाल ठाकरे समेत 13 लोगों के खिलाफ चार्ज हटाने के लिए भी कहा था।
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