अफजल की याचिका खारिज कर पाएंगे महामहिम प्रणब मुखर्जी!

By: Team Aapkisaheli | Posted: 23 July, 2012

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अफजल की याचिका खारिज कर पाएंगे महामहिम प्रणब मुखर्जी!
नई दिल्ली। राजनीति की लंबी पारी खेल चुके चतुर और अनुभवी नवनिर्वाचित राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को अब कई नई चुनौतियों रूबरू होना होगा। इनमें सबसे बडी चुनौती फांसी की सजा पाए लोगों की उन दया याचिकाओं को निपटाना है जिन पर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने अपने कार्यकाल के दौरान कोई फैसला नहीं लिया।

इनमें संसद भवन पर हमले दोषी अफजल गुरू भी शामिल है। प्रतिभा पाटिल ने फांसी की सजा पाए 16 दोषियों की दया याचिका पर कोई फैसला नहीं लिया, इनमें अफजल गुरू की दया याचिका भी है। अफजल गुरू को 2001 में संसद पर हुए हमले के मामले में फांसी की सजा दी गई है। उसे फांसी न दिए जाना राजनीतिक विवाद की वजह बनता रहा है। प्रणब मुखर्जी के सामने राष्ट्रपति भवन को नई गरिमा देने की भी चुनौती है। निवर्तमान राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के कार्यकाल के दौरान, उनके परिवार से जुडे कई विवादों ने राष्ट्रपति भवन की चमक को फीका किया। यही नहीं, कांग्रेस से लंबे जुडाव और तमाम दांव-पेच लगाकर उसके संकट दूर करने वाले प्रणब मुखर्जी के सामने खुद को पूरी तरह निष्पक्ष साबित करने की भी चुनौती होगी।

उन्हें यह साबित करना होगा कि वह सिर्फ मुहर लगाने वाले राष्ट्रपति नहीं हैं। उधर, प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बन जाने से जीत का जश्न मना रही कांग्रेस के सामने भी कम चुनौती नहीं है। प्रणब के बाद पार्टी का अगला संकटमोचक कौन होगा, इस सवाल का जवाब देना आसान नहीं है। बहरहाल, इसमें शक नहीं कि संसदीय परंपराओं और इतिहास के बडे जानकार बतौर प्रणब मुखर्जी का राष्ट्रपति भवन में पहुंचना लोगों में भरोसा जगाता है। प्रणब मुखर्जी उन गिने-चुने राजनेताओं में हैं जिन्होंने उन दिनों को बेहद करीब से देखा है जब राजनीति में मर्यादा काफी मायने रखती थी। उनके कार्यकाल की सबसे बडी कसौटी यही है कि अतीत की उस चमक को वे वर्तमान में बिखेर पाते हैं कि नहीं।
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