नाम को सार्थक करती है बर्फी

By: Team Aapkisaheli | Posted: 15 , 2012

शाहरूख का महिलाओं का सम्मान, शुरूआत दीपिका से करेंगे!
नाम को सार्थक करती है बर्फी
फिल्म समीक्षा
निर्माता : यूटीवी मोशन पिक्चर्स लेखक
निर्देशक : अनुराग बसु
संगीत : प्रीतम
कलाकार : रणबीर कपूर, प्रियंका चोपडा, इलियाना डिक्रूज, सौरभ्भ शुक्ला राजेश कुमार भगताणी

अनुराग बसु की बर्फी उन फिल्मों में शामिल है जिसका पहला दृश्य ही दर्शक के चेहरे पर हलकी मुश्कान आता है और अंतिम दृश्य मन में इतनी करूणा पैदा करता है कि वह भावविभार हो जाता है और उसकी पलकों पर आंसुओं की बुन्दे झिलमिलाने लगती है। बसु ने फिल्म के मध्य भाग को नमकीन जैसा स्वादिष्ट और चरपरा बनाया है। यह स्वाद दर्शक को दिल खोलकर हसने को मजबुर करता है। बर्फी में ऎसा बहुत कुछ है जो तारिफे काबील है। विशेष रूप से तारिफ करना चाहेंगे बसु की जिन्होंने दृश्य को फिल्माते समय पठकथा की महिन-से-महिन डोर को पकडकर रखा है।

सिनेमाई इतिहास में मर्डर, गैंगस्टर, लाइफ इन मेट्रो जैसी बेहतरीन प्रेम कहानियों को अपने अंदाज में बनाने वाले अनुराग बसु काइट्स की विफलता के बाद पुन: अपनी शैली की ओर लौटे हैं। बर्फी का कथानक सशक्त है, अभिनय उम्दा है लेकिन कमजोर सम्पादन की वजह से दर्शक इस फिल्म से स्वयं को बंधा हुआ नहीं पाता है।

हालांकि शारीरिक तौर पर विकलांग नायक नायिका को पूरी सहानुभूति मिलती है, जो फिल्म के अंत तक आते-आते दया में बदल जाती है। बस यहीं पर फिल्म अपना उद्देश्य खो देती है। फिल्म का कहानी का नायक गूंगा बहरा और नायिका मंद बुद्धि है। लेकिन दोनों अपने प्रेम से समाज में एक मिसाल कायम करते हैं। बसु ने कमाल की पटकथा लिखी है इसमें कोई संशय नहीं है लेकिन उनके सम्पादक सम्पादन में कमजोर साबित हुए हैं। सम्पादन का तात्पर्य होता है निर्देशक व पटकथाकार द्वारा लिखे और फिल्माए गए लम्बे, मध्यम और छोटे-छोटे दृश्यों को इस तरह से आपस में जोडना जिससे वो फिल्म का और पटकथा का हिस्सा लगे यहां इसी बात की कमी नजर आती है। अनुराग ने कई दृश्यों को बेहतरीन तरीके से फिल्माया है। उनके दृश्यों में जान डालने का काम किया है रणबीर कपूर, प्रियंका चोपड और इलियाना डिक्रूज ने।

इलियाना का चेहरा कैनवास की तरह नजर आता है जहां किरदार के भावों की पूरी अभिव्यक्ति दिखाई पडती है। पल-पल में बदलते इलियाना के चेहरे को देखकर अभिनय का ज्ञान होता है। रणबीर कपूर ने गजब का अभिनय किया है। उन्होंने अपने किरदार को पूरी तरह से अपने अभिनय में आत्मसात किया है। उनका किसी भी परिस्थिति का हंसते हुए मुकाबला करना, भावों के जरिए दृश्य की आवश्यकता को पेश करना उन्हें विलक्षण अदाकारों की श्रेणी में लाता है। गत वर्ष रॉक स्टार में किए अपने अभिनय के लिए जहां रणबीर कपूर ने चर्चाएं और पुरस्कार बटोरे इस वर्ष भी वे इस मामले में आगे रहेंगे।

प्रियंका चोपडा ने मंदबुद्धि युवती के किरदार में चौंकाया है। आज जहां हर नायिका स्वयं को सैक्सी और ग्लैमरस दिखाने का प्रयास करती है, वहीं प्रियंका ने अपने अभिनय से अपनी मादकता को छुपाने में सफलता प्राप्त की है। उनका शरीर स्थिर है लेकिन उनकी आँखों में जो चमक और कशिश है वह उन्हें उन नायिकाओं से इतर करती हैं जो सिर्फ अपने शरीर की दिखावट को अभिनय मानती हैं। पूरी फिल्म में प्रियंका की आंखें और हंसी दर्शकों के दिलों में समाती नजर आती हैं।

चरित्र भूमिकाओं में आए अदाकारों से भी अनुराग ने बेहतरीन काम करवाया है। विशेष रूप से इंसपेक्टर की भूमिका में सौरभ शुक्ला बेहतरीन हैं। सत्तर के दशक को अनुराग बसु ने सफलतापूर्वक परदे पर पेश किया है। सिर्फ एक बात यह समझ में नहीं आती कि अनुराग ने नायक को गंूगा और बहरा क्यों दिखाया है, जबकि वो बचपन में अपना नाम मर्फी बोलता हुआ बताया गया। पूरी फिल्म में नायक द्वारा यही एक शब्द बोला गया है।

बॉलीवुड में बन रही इन दिनों निरर्थक और निरूद्देश्य एक्शन फिल्मों की भीड में बर्फी अपनी उपस्थिति का अहसास कराने में कामयाब है। जिन दर्शकों को प्रेम और भावाभिव्यक्ति की परदे पर तलाश हैं उन्हें इस फिल्म को जरूर देखना चाहिए। बॉलीवुड के इस वर्ष के पुरस्कारों में रणबीर कपूर, प्रियंका चोपडा और इलियाना दौड में सबसे आगे रहेंगे यह बात निश्चित है विशेष रूप से इलियाना, जिन्हें हिन्दी फिल्मों की शुरूआत के लिए इससे अच्छा प्लेटफार्म शायद ही मिल पाता।

 

शाहरूख का महिलाओं का सम्मान, शुरूआत दीपिका से करेंगे!Next

Mixed Bag

Ifairer